शिक्षा विभाग की कार्यप्रणाली पर सवाल खड़े हो रहे हैं, क्योंकि विभाग में नियुक्त सीआरपी-बीआरपी और औपबंधिक सहायक अध्यापक वेतन व वेतनवृद्धि के लिए तरस रहे हैं। सितंबर माह में आउटसोर्सिंग एजेंसी के माध्यम से 955 में से 580 सीआरपी और बीआरपी की नियुक्ति हुई थी, लेकिन तीन महीने बीत जाने के बावजूद इन्हें अब तक वेतन नहीं मिला है।
विभाग का कहना है कि एमओयू के अनुसार पहले ठेका कंपनी को वेतन देना था और बाद में विभाग इसकी प्रतिपूर्ति करेगा। इस मामले में कंपनी को वेतन भुगतान के निर्देश दिए गए हैं, लेकिन कर्मचारियों को अब तक कोई आर्थिक राहत नहीं मिली है। भाजपा नेता रविंद्र जुगरान ने भी इसे कर्मचारियों के साथ अन्याय बताते हुए इसे तत्काल सुलझाने की मांग की है। वह इस संबंध में अपर शिक्षा सचिव एम.एम. सेमवाल से मिलकर अपनी चिंता व्यक्त कर चुके हैं।
वहीं दूसरी ओर, 2001-2003 में नियुक्त 802 शिक्षा मित्रों को 2015 में औपबंधिक सहायक अध्यापक बनाया गया था, इस शर्त पर कि टीईटी पास करने के बाद उन्हें नियमित वेतनमान और वेतनवृद्धि मिलेगी। लेकिन 69 ऐसे सहायक अध्यापक जिन्होंने एक वर्ष पहले टीईटी उत्तीर्ण कर लिया है, उनके औपबंधन अब तक नहीं हटाया गया।
उत्तराखंड समायोजित प्राथमिक शिक्षक संघ के प्रदेश अध्यक्ष ललित द्विवेदी का कहना है कि आरटीई एक्ट लागू होने से पहले राजकीय विद्यालयों में पढ़ा रहे शिक्षकों पर टीईटी बाध्यकारी नहीं होना चाहिए। उनका कहना है कि कुछ शिक्षकों से औपबंध हटाकर उन्हें वेतन वृद्धि दी गई, लेकिन अन्य शिक्षकों के साथ यह भेदभावपूर्ण व्यवहार किया गया, जो अनुचित है।