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जमीन अधिग्रहण के मुआवजे को लेकर विधायक ने उठाए सवाल

विधायक भरत सिंह चौधरी

सह खातेदारों को न मिले मुआवजा
विसंगति को लेकर लोग अदालत में जाने का बना रहे हैं मन
मुख्यमंत्री से वार्ता कर अध्यादेश जारी करने की रखी जाएगी मांग
रुद्रप्रयाग। विधायक भरत सिंह चौधरी ने आॅल वैदर रोड के लिए अधिग्रहीत की जा रही जमीन के मुआवजे को लेकर सवाल उठाए हैं। उन्होंने इस मामले में भूमि सुधार अधिनियम के तहत एक अध्यादेश जारी करने की मांग की है।
विधायक भरत सिंह चैधरी ने पत्रकारों से वार्ता करते हुए कहा कि मुआवजा उसी व्यक्ति को मिलना चाहिए, जिसकी जमीन जा रही है। सह खातेधारों को मुआवजा नहीं दिया जाना चाहिए। उन्होंने कहा कि राजस्व अभिलेखों में स्वतंत्र खाते हैं। एक खाते में बीस, तीस, चालीस लोग हैं और इनकी मौके पर जमीन जा रही है।

मुआवजा पूरे खातेदारों में बांटा जा रहा है। जो कि बिल्कुल गलत है। इसमें सुधार करने की अवाश्यकता है। रेलवे के लिए भूमि अधिग्रहण में इस बात की कोशिश की गई है कि मौके पर जो कब्जेधारी है, उसी को मुआवजा मिले। उसी एक्ट के अन्तर्गत राष्ट्रीय राजमार्ग के लिए भूमि का अधिग्रहण किया जा रहा है और सारे सह खातेदारों में मुआवजा बांटने की बात की जा रही है। जो अव्यवहारिक और गैर कानूनी है। इसमें प्रशासन कह रहा है कि सहखातेदारों की सहमति ली जाय, लेकिन सह खातेदार इसमें अनापत्ति प्रमाण पत्र देने को तैयार नहीं हैं। इस तरह की विसंगति को लेकर लोग अदालत में जाने की बात कर रहे हैं और यह मामला अदालत में गया तो महत्वांकाक्षी परियोजना में अनावश्यक विलंब होगा और इसकी लागत बढ़ जाएगी।

श्री चौधरी ने यह भी कहा कि भारत सरकार के भूमि अधिग्रहण और उचित प्रतिकर एक्ट के प्राविधानों के तहत प्रभावितों का दायरा सिर्फ उन्हीं लोगों तक सीमित नहीं है, जो भूमिधर है। बल्कि प्रभावितों की श्रेणी में वो लोग भी आते हैं जो उस भूमि के अधिग्रहण से प्रभावित होंगे, वो भी प्रभावितों की श्रेणी में आते हैं। प्रभावितों को परिभाषित करने में जिला प्रशासन ने बहुत बड़ी चूक की है। ऐसे कई लोगों को छोड़ दिया गया, जो प्रभावितों की श्रेणी में आते हैं। इसके भी लोग कोर्ट जाने का मन बना रहे हैं।

इसके अलावा जो प्रभावित कुटुंब है, इसकी परिभाषा को लेकर भी जिला प्रशासन दुविधा में है। जबकि एक्ट में कुटुंब को अच्छी तरह से सुपरिभाषित किया गया है। उसमें कोई भी व्यक्ति उसकी पत्नी अथवा उसके नाबालिग बच्चों को एक कुटंुब माना जाएगा। अगर उसके परिवार में कोई बालिग बच्चे मेल और फिमेल हैं, तो उनको उस प्रयोजन के लिए एक अलग कुटुंब माना जाएगा। किसी परिवार में कोई महिला विधवा है तो इस प्रयोजन के लिए उसे एक परिवार और एक इकाई माना जाएगा। प्रभावितों की श्रेणी में होने से उसे भी वह मुआवजा दिया जाएगा, जो कि वन टाइम सेटलमेंट के तहत दिया जाता है।

श्री चौधरी ने कहा कि मुख्यमंत्री के सम्मुख इस विषय को रखेंगे और गुजारिश करेंगे कि इसमें सुधार किया जाए और अध्यादेश जारी किया जाए। ताकि मुआवजे के बंटावरे को लेकर विसंगति सामने न आए।

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