उत्तराखंड

चारधाम यात्रा को कुमाऊ से जोड़ने की मांग

ज्ञापन सौंपते स्थानीय लोग

मुख्यमंत्री और पर्यटन मंत्री को भेजा ज्ञापन

सुमित जोशी

रामनगर (नैनीताल)। वर्षों पहले कुमाऊ को  चारधाम यात्रा के अंतिम पड़ाव के रूप में जाना जाता था। लेकिन अलग पहाड़ी राज्य के रूप में पहचान मिलने के 17 साल बाद भी ये क्षेत्र हुक्मरानों की नजरों से परे रहा। मगर अब चारधाम यात्रा को कुमाऊ से जोड़ने की मांग उठाने लगी है। सोमवार को रामनगर के जनप्रतिनिधियों ने एसडीएम के माध्यम से मुख्यमंत्री और पर्यटन मंत्री को ज्ञापन भेज कर अपनी मांगों से अवगत कराया।

राज्य में पर्यटन के विकास की बातें तो लगातार होती रही है लेकिन विकास धरातल पर कितना हुआ इसकी बानगी अतीत के पन्नों में दर्ज चारधाम यात्रा के अंतिम पड़ाव रामनगर में साफ तौर पर देखी जा सकती है। वर्षों पहले तीर्थ यात्री हरिद्वार से बद्रीनाथ, केदारनाथ, गंगोत्री, यमनोत्री के दर्शन कर गैरसैंण, चौखुटिया होते हुए रामनगर पहुंचते थे।

यहां पहुंच कर तीर्थ यात्री श्रीकृष्ण धर्मशाला में विश्राम कर अपने गन्तव्य को जाते थे। जिस कारण रामनगर चारधाम यात्रा के रूप में विख्यात हुआ। लेकिन आज ये स्थान सरकारों की अंदेखी का दंश झेल रहा है। जिस सम्बंध में यहां के जनप्रतिनिधियों ने एकत्र होकर मुख्यमंत्री और पर्यटन मंत्री को ज्ञापन भेजा है। जिसमें चारधाम यात्रा को कुमाऊ से जोड़ने की मांग करते हुए कहा गया है कि चारधाम यात्रा पर आने वाले तीर्थ यात्री कुमाऊ के तीर्थ स्थलों के दर्शन भी कर सकेंगे। जिससे देवभूमि के नाम से ख्याति प्राप्त उत्तराखंड को आध्यात्मिक राज्य का दर्जा मिल सकेगा। साथ ही कुमाऊ में पर्यटन का विकास भी होगा। जिससे यहां के युवाओं के लिए नये रोजगार भी सृजित हो सकेंगे। और पहाड़ों से हो रहे पलायन को रोकने में भी ये कारगर होगा।

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