उत्तराखंड

प्रदेश में 40 हजार परिवारों को मिलेगा जमीन का मालिकाना हक..

कैबिनेट

प्रदेश में 40 हजार परिवारों को मिलेगा जमीन का मालिकाना हक..

उत्तराखंड :  राज्य में वर्ग चार और वर्ग तीन की भूमि पर काबिज कब्जेदारों को 2004 के सर्किल रेट के आधार पर भूमिधरी अधिकार दिया जाएगा। चार अलग अलग कैटेगरी तय कर 2004 के सर्किल रेट के आधार पर मालिकाना हक मिलेगा। राज्य में 40 हजार परिवारों को कैबिनेट के इस फैसले का लाभ मिलेगा। दोनों श्रेणियों में भूमिधरी का अधिकार देने के सम्बन्ध में 18 जुलाई 2016 और 22 जुलाई 2016 को भी पूर्व में शासनादेश हुए। लोगों को एक वर्ष के भीतर भूमिधरी अधिकार प्राप्त करने का समय दिया गया। हालांकि बाद के वर्षों में हर साल एक एक वर्ष के लिए समय बढ़ाया गया। भूमिधरी अधिकार देने की अंतिम समय सीमा 25 फरवरी 2020 को समाप्त हो गई है। इस सीमा को बढ़ाने और भूमिधरी अधिकार देने को लेकर कैबिनेट में फैसला हुआ।

सरकारी प्रवक्ता कौशिक ने बताया कि राज्य में ऐसे कब्जाधारक जो 30 जून, 1983 से पहले तक वर्ग चार और वर्ग तीन की भूमि पर काबिज रहे, उन्हें ही ये अधिकार मिलेगा। वर्ग-4 की भूमि के अवैध कब्जाधारकों और वर्ग 3 की भूमि के विधिवत पट्टा धारकों, कब्जाधारकों को भूमिधरी का अधिकार मिलेगा। जीओ होने के एक साल की अवधि के भीतर ऐसे परिवार मालिकाना हक लेने की प्रक्रिया कर सकेंगे।

कैबिनेट ने साफ कहा कि धारा 132 के तहत ऐसे कब्जेदारों, जिन्होंने नदी श्रेणी की भूमि, सरकारी गूल, क्रबिस्तान, श्मसान भूमि पर काबिज लोगों को भूमिधरी अधिकार नहीं दिया जाएगा।

तैयार किया गया नया फॉर्मूला..

100 वर्ग मीटर भूमि तक वर्ष 2004 के कुल सर्किल रेट का पांच प्रतिशत बतौर शुल्क देना होगा।
101 से 200 वर्ग मीटर तक वर्ष 2004 के कुल सर्किल रेट का शत प्रतिशत शुल्क।
201 से 400 वर्ग मीटर तक 2004 के कुल सर्किल रेट 110 प्रतिशत शुल्क देना होगा।
400 वर्ग मीटर से अधिक भूमि पर 2004 के सर्किल रेट का 125 प्रतिशत शुल्क के रूप में देना होगा।

Click to comment

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

To Top