देहरादून में अवैध भवनों के लिए नहीं लगाने पड़ेंगे MDDA के चक्कर..
उत्तराखंड: एक अनुमान के अनुसार स्मार्ट सिटी देहरादून में 28 हजार से ज्यादा अवैध भवन अस्तित्व में हैं ख़ास बात ये है कि ये वो भवन हैं, जिनके चालान एमडीडीए ने किए हैं। मतलब साफ़ है कि जो दस्तावेज़ों में आंकड़े हैं असलियत में तादात इससे ज्यादा हो सकती है। हांलाकि राज्य सरकार समय-समय पर वन टाइम सेटेलमेंट स्कीम (ओटीएस) लाकर अवैध भवनों को कंपाउंड कर वैध बनाने के लिए प्रेरित करती रहती है। बावजूद इसके भवनों को वैध करने के लिए उम्मीद के मुताबिक लोग सामने नहीं आते हैं। एक बार फिर सरकार ने ओटीएस को मंजूरी तो दे दी है, मगर अभी इसका शासनादेश जारी नहीं हुआ है । अब इस मुद्दे पर एमडीडीए ने अपने स्तर पर ओटीएस के लिए तैयारी शुरू कर दी है।
मसूरी देहरादून विकास प्राधिकरण के उपाध्यक्ष रणवीर सिंह चौहान ने अधिकारियों और आर्किटेक्ट के साथ बैठक करते हुए कहा कि शासनादेश आने के बाद ये साफ़ हो पाएगा कि भवनों को वैध बनाने के लिए मानकों में उन्हें कितनी ढील मिलने वाली है । एमडीडीए को स्कीम से पहले ही इस तरह की व्यवस्था बनानी होगी कि स्कीम लागू होने के बाद आमजन को अनावश्यक परेशानी न हो, क्योंकि ओटीएस के बाद भी कई बार लोग भवन को वैध कराने के लिए अनावश्यक एमडीडीए कार्यालय के चक्कर लगाते रहते हैं।
एमडीडीए उपाध्यक्ष ने दून के सभी आर्किटेक्ट से अपील की है कि वो मानकों को लेकर जनता को पूरी और सही जानकारी दें और प्रयास करें कि बिना किसी अड़चन के उनका नक्शा पास हो जाए। यदि कहीं पर तकनीकी दिक्कत आती है तो उसे सुलझाने का पूरा प्रयास किया जाएगा।