देश/ विदेश

इंजीनियर से क्रिकेटर कैसे बने शाहबाज अहमद जाने पूरी कहानी..

शाहबाज अहमद

इंजीनियर से क्रिकेटर कैसे बने शाहबाज अहमद जाने पूरी कहानी..

 

देश-विदेश : थ्री इडियट्स तो आपने देखी ही होगी। फरहान कुरैशी भी याद ही होंगे। अगर याद नहीं हैं तो हम बता देते हैं कि उन्होंने जैसे-तैसे इंजीनियरिंग की थी, लेकिन आखिर में अपने दिल की आवाज सुनी और वाइल्ड लाइफ फोटोग्राफर बन गए। अब आप यह सोच रहे होंगे कि हम आपको थ्री इडियट्स की कहानी क्यों सुना रहे हैं?

दरअसल, इस कहानी की कड़ियां अब आईपीएल से जुड़ रही हैं और वहां एक ऐसा धाकड़ ऑलराउंडर है, जिसकी जिंदगी थ्री इडियट्स के फरहान कुरैशी से बेहद मिलती-जुलती है। यह कहानी है आरसीबी के शाहबाज अहमद की, जिन्होंने अपने पिता की जिद के चलते किसी तरह इंजीनियरिंग कर ली, लेकिन आखिर में अपने दिल की सुनी और क्रिकेटर बन गए। शाहबाज ने इंजीनियर से क्रिकेटर का सफर कैसे तय किया

शाहबाज 2020 से रॉयल चैलेंजर्स बैंगलोर के सदस्य हैं। उन्होंने सीजन में दो अहम पारी खेलकर अपना नाम चमकाया है। शाहबाज ने राजस्थान रॉयल्स के खिलाफ मंगलवार (पांच अप्रैल) को मिली जीत में अहम भूमिका निभाई। उन्होंने 26 गेंद पर 45 रन बनाए। इस दौरान चार चौके और तीन छक्के लगाए। उनका स्ट्राइक रेट 173.08 का रहा।

पिता ने नौकरी के लिए गांव छोड़ा था..

हरियाणा के मेवात जिले के रहने वाले शाहबाज के क्रिकेट तक पहुंचने की कहानी रोचक है। आरसीबी के इस ऑलराउंडर के पिता अहमद जान हरियाणा में एसडीएम के रीडर हैं। उन्होंने बच्चों की पढ़ाई और अपनी नौकरी को लिए गांव छोड़ दिया था। उनका सपना था कि बेटा शाहबाज इंजीनियर बने, लेकिन ऐसा नहीं हुआ। शाहबाज को क्रिकेट से प्यार था और उन्होंने इसे ही चुना।

शाहबाज के दादाजी भी खेलते थे क्रिकेट..

शाहबाज के खून में क्रिकेट उनके दादाजी से आया। अहमद जान के पिता को भी क्रिकेट का शौक था। मेवात में क्रिकेट के लिए ज्यादा सुविधाएं नहीं थीं। उनका गांव पढ़ाई-लिखाई के लिए जाना जाता है। वहां डॉक्टर-इंजीनियर की संख्या ज्यादा है। यहां तक कि शाहबाज की छोटी बहन फरहीन डॉक्टर हैं और फरीदाबाद के एक अस्पताल में ट्रेनिंग कर रही हैं। शाहबाज के पिता चाहते थे कि उनका बेटा इंजीनियर बने। इसके लिए फरीदबाद के कॉलेज में उनका एडमिशन भी कराया।

इंजीनियरिंग कॉलेज में नहीं लगता था शाहबाज का मन..

पिता ने इंजीनियरिंग कॉलेज में एडमिशन तो करा दिया, लेकिन शाहबाज का मन पढ़ाई में नहीं लगता था। वे क्रिकेट के लिए क्लास छोड़ देते थे। पिता को इसकी जानकारी कॉलेज से मिली। इस पर पिता अहमद जान ने बेटे से बात की। उन्होंने शाहबाज को कहा कि वे क्रिकेट या इंजीनियरिंग में से किसी एक चुने, लेकिन उसी चीज पर मन लगाए। पिता के कहने के बाद शाहबाज ने क्रिकेट को चुना।

क्रिकेट के लिए बंगाल चले गए..

शाहबाज गुड़गांव के एक क्रिकेट एकेडमी में ट्रेनिंग लेने लगे। क्रिकेट के साथ-साथ शाहबाज ने पढ़ाई भी जारी रखी। उन्होंने अपनी इंजीनियरिंग पूरी की। इसके बाद दोस्त प्रमोद चंदीला के कहने पर बंगाल चले गए। चंदीला वहां एक क्रिकेट क्लब की ओर से खेलते थे। शाहबाज को बंगाल के घरेलू मैचों में बेहतर प्रदर्शन करने के बाद 2018-19 में बंगाल रणजी टीम में चुना गया। इसके बाद 2019-20 में उन्हें इंडिया-ए टीम में चुना गया।

आरसीबी ने पहली बार उन्हें नीलामी में खरीदा..

शाहबाज को रॉयल चैलेंजर्स बैंगलोर (आरसीबी) ने 2020 में 20 लाख रुपये में खरीदा। यूएई में उस साल उन्हें दो मैचों में खेलने का मौका मिला। उन्होंने एक रन बनाए थे और दो विकेट लिए थे। इसके बाद 2021 में शाहबाज को 11 मैचों में खेलने का मौका मिला। तब 59 रन बनाने के अलावा सात विकेट झटके थे। शाहबाज को इस साल नीलामी में आरसीबी ने 2.40 करोड़ रुपये में खरीदा था। उनका बेस प्राइस 20 लाख रुपये था।

इस सीजन में शाहबाज का प्रदर्शन..

शाहबाज को इस सीजन में तीन मैचों में खेलने का मौका मिला। पहले मैच में पंजाब किंग्स के खिलाफ उन्हें बल्लेबाजी का मौका नहीं मिला। गेंदबाजी में छह रन दिए थे। दूसरे मैच में कोलकाता नाइटराइडर्स के खिलाफ 20 गेंद पर 27 रन बनाए। इस दौरान एक चौका और एक छक्का लगाया। उनका स्ट्राइक रेट 135 का था। गेंदबाजी में उन्हें सफलता नहीं मिली थी। तीसरे मैच में राजस्थान रॉयल्स के खिलाफ 26 गेंद पर 45 रन बनाए। उनका स्ट्राइक रेट 173.07 का रहा। उन्होंने चार चौके और तीन छक्के लगाए। इस मैच में शाहबाज को गेंदबाजी का मौका नहीं मिला।

 

 

Click to comment

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

To Top