उत्तराखंड

देर रात्रि तक बाबा के भजनों पर झूमते रहे भक्त

केदारनाथ। केदारपुरी से आपदा के दंश धीरे-धीरे मिटने लग गये हैं। श्रद्धालुओं की आस्था को देखकर नहीं लग रहा है कि केदारपुरी में कभी इतनी भयावह आपदा आई होगी। रविवार को जो नजारा केदारुपरी का था, वह नजारा शायद ही कभी रहा होगा। केदारपुरी में चारों और बाबा केदार के जयकारें गूंज रहे थे और तीर्थ यात्री जगह-जगह बाबा की भक्ति में नृत्य कर रहे थे। श्रद्धालुओं की अगाध आस्था को देखकर केदारपुरी में मौजूद हरेक व्यक्ति उत्साहित था।

16-17 जून, 2013 को केदारनाथ में आई आपदा को शायद ही कभी भुलाया जाय। केदारघाटी और केदारपुरी में आपदा की यादें आज भी ताजा हंै। केदारनाथ आपदा को पांच वर्ष का समय होने को है, लेकिन केदारनाथ में आपदा के निंशा आज भी ताजा हैं। केदारपुरी में स्थित खंडहर भवन और जहां-तहां फैला मलबा आपदा की यादों को ताजा करता है। पिछले वर्षों की तुलना में केदारनाथ यात्रा इस बार अलग ही लग रही है। केदारुपरी पूरी तरह से तीर्थ यात्रियों के लिये सजी हुई है। गौरीकंुड से लेकर पूरे केदारनाथ पैदल मार्ग पर तीर्थ यात्रियों की चहल-पहल दिखाई दे रही है। मंदिर समिति ने भी तीर्थ यात्रियों के स्वागत के लिये केदारनाथ मंदिर को फूल-मालाओं से सजाया हुआ है। यात्रा पर जाने से पूर्व सीतापुर, फाटा, सोनप्रयाग आदि स्थानों में तीर्थ यात्रियों का बायो मैट्रिक रजिस्टेªशन किया जा रहा है। इस बार गौरीकंुड में भी नई रौनक दिखाई दे रही है। गौरीकुंड में पहले जैसी दुकानें सजी हुई हैं। शनिवार को बाबा केदार की डोली के साथ ही हजारों तीर्थ यात्री केदारपुरी पहुंच चुके थे, जबकि देर सांय तक भी हजारों तीर्थयात्रियों को आवागमन लगा रहा।

यात्रा मार्ग गुलजार
बाबा केदार के कपाट खुलने के बाद यात्रा मार्गों पर चहल-पहल बढ़ गई है। फाटा, गुप्तकाशी, सोनप्रयाग, सीतापुर, रामपुर और गौरीकुंड में भी भारी संख्या में तीर्थयात्री नजर आ रहे हैं। इससे स्थानीय व्यवसायियों के चेहरे खिल उठे हैं। इसके अलावा डंडी-कंडी और खच्चर मालिकों की उम्मीदें भी बढ़ गयी हैं। उनका मानना है कि अब आपदा की यादों को भुलाया जा चुका है और तीर्थ यात्रियों की बाबा से नाराजगी खत्म हो गई है।

पैदल संपर्क मार्ग के बुरे हाल
केदारनाथ धाम को जाने वाले रामबाड़ा से लिनचैली पैदल संपर्क मार्ग के बुरे हाल हैं। यात्रा के दौरान कई यात्री घोड़े से गिरकर घायल हो गये। प्रशासन का एक भी नुमाइंदा यात्रा मार्ग पर कईं तैनात नहीं है। गौरीकुंड घोड़ा पड़ाव न होने से गौरीकुंड में शौचालय व पानी की काफी दिक्कतें हैं। पांच हजार से अधिक घोड़े-खच्चर गौरीकुंड पहुंच चुके हैं। प्रशासन ने समय रहते व्यवस्थाएं नहीं सुधारी तो कईं दिक्कतें आ जायेंगी। यात्री हजारों की संख्या में पहुंच चुके हैं और प्रशासन की ओर से यात्रियों की कोई सुध नहीं ली जा रही है। ऐसे में देश-विदेश में अच्छा संदेश नहीं जा रहा है।

सोनप्रयाग से गौरीकुंड पैदल गये तीर्थयात्री
गौरीकुंड। केदारनाथ यात्रा का आगाज हो चुका है, मगर यात्रा मार्गों पर समस्याओं को अम्बार लगा है। कपाट खुलने से पूर्व किये गये प्रशासन के सभी दावे फेल साबित हुए है। आपदा के पांच साल बाद भी सोनप्रयाग से गौरीकुंड पांच किमी राजमार्ग नहीं बन पाया है। ऐसे में तीर्थयात्री को सोनप्रयाग में रजिस्ट्रेशन करने के बाद पैदल ही दूरी नापनी पड़ी। इसके अलावा रजिस्ट्रेशन काउंटर पर भी तीर्थयात्रियों को भारी परेशानियों से जूझना पड़ रहा है। सीमित कर्मचारियों को काउंटर में रखने से यात्री परेशान हैं। यदि समय रहते प्रशासन ने व्यवस्थाएं नहीं सुधारी तो आने-वाले समय में यात्रा पर इसका बुरा असर पड़ सकता है।

यात्रा मार्गों पर लगे हैं गंदगी के ढेर
रुद्रप्रयाग। विश्व विख्यात धाम ग्यारहवें ज्योतिर्लिंग भगवान केदारनाथ के कपाट देश विदेश के तीर्थ यात्रियों के दर्शनार्थ को खुल चुके हैं और सफाई व्यवस्था का जिम्मा संभाले जिला पंचायत गहरी निंद्रा में सोया हुआ दिखाई दे रहा है। भगवान केदारनाथ के दर्शनार्थ को पहुंच रहे देश-विदेश के तीर्थ यात्रियों को नगर क्षेत्रों में फैली गंदगी से दो-चार होना पड़ रहा है। सफाई व्यवस्था के पुख्ता इंतजाम ना होने से तीर्थ यात्री नाक सिकोड़ने को मजबूर हैं। गंगोत्री-यमुनोत्री से भगवान केदार के दर्शनार्थ को पहुंच रहे श्रद्धालुओं को चिरबटिया, बुढ़ना, अमकोटी, मयाली, तुनेटा, सुमाड़ी, तिलवाड़ा, रामपुर, सौड़ी, चन्द्रापुरी भीरी, कुंड, गुप्तकाशी, नारायणकोटी, फाटा, रामपुर, सीतापुर, सोनप्रयाग, गौरीकुंड और गौरीकंुड से केदारनाथ पैदल मार्ग पर गंदगी के ढेर होने से नाक सिकोड़ने को मजबूर होना पड़ रहा है। कहने को तो जिला पंचायत रुद्रप्रयाग ने सफाई कर्मचारी यात्रा मार्गों पर तैनात किये हुए हैं, लेकिन जिला पंचायत के सफाई नायक कईं भी सड़कों पर नहीं दिखाई दे रहे हैं। तिलवाड़ा एवं सुमाड़ी की स्थिति यह है कि चारों तरफ गंदगी फैली हुई है और तिलवाड़ा-सुमाड़ी-मयाली-घनसाली मोटरमार्ग पर फैली गंदगी से दुर्गंध ही दुर्गंध आ रही है। जिला पंचायत की लापरवाही का खामियाजा देश-विदेश से आ रहे तीर्थ यात्रियों को झेलना पड़ रहा है। जिला पंचायत की कार्यप्रणाली पर भी स्थानीय जनता ने आक्रोश जताया और कहा कि जिला पंचायत की लापरवाही के कारण यात्रा मार्गों पर गंदगी की भरमार लगी है। भाजपा नेता विक्रम सिंह कंडारी ने कहा कि जिला पंचायत की लापरवाही का खामियाजा स्थानीय जनता एवं तीर्थ यात्रियों को भुगतना पड़ रहा है। यात्रा मार्गों पर जिला पंचायत सफाई व्यवस्था भगवान भरोसे चल रही है और तीर्थयात्री दुर्गंध की महक से तीर्थयात्रा करने को मजबूर हैं। उन्होंने कहा कि चारधाम यात्रा के कपाट खुल चुके हैं और जिला पंचायत को यात्रा कपाट खुलने से पन्द्रह दिन पूर्व यात्रा मार्गों की सफाई व्यवस्था चाक-चैबंध कर देनी चाहिए थी, लेकिन कपाट खुलने के बाद भी सफाई व्यवस्था के बुरे हाल हैं।

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