चुनौतियों का पहाड़ लांघ अंकिता ध्यानी बनीं गोल्डन गर्ल
राष्ट्रीय स्तर की प्रतियोगिता में प्रतिभा का लोहा मनवाने वाली पहाड़ की बेटी अंकिता ध्यानी….
देहरादून : पर्वतीय क्षेत्रों की पहाड़ जैसी चुनौतियों और संसाधनों के अभाव में राष्ट्रीय स्तर की प्रतियोगिता में अपनी प्रतिभा का लोहा मनवाने वाली पहाड़ की बेटी अंकिता ध्यानी पर पूरे प्रदेश को गर्व है। असम के गुवाहाटी में चल रही तृतीय खेलो इंडिया यूथ गेम्स में पौड़ी जिले के ग्राम मेरूडा निवासी अंकिता ने तीन हजार मीटर दौड़ व पंद्रह सौ मीटर दौड़ में स्वर्ण पदक जीतकर साबित कर दिया कि अगर लक्ष्य पाने की ललक हो तो संसाधनों के अभाव का पहाड़ भी बौना साबित होता है। इतना ही नहीं पंद्रह सौ मीटर की दौड़ को रिकार्ड 4.22.19 मिनट में पूरी कर अंकिता ने सात जुलाई से केन्या में होने वाली अंतरराष्ट्रीय जूनियर एथलेटिक्स के लिए भी क्वालीफाई कर लिया है। अंकिता प्रदेश के उन प्रतिभाशाली खिलाड़ियों लिए प्रेरणास्रोत हैं, जो इन चुनौतियों से जूझते हुए खेल में अपना नाम रोशन करने की ललक अपने दिलों में जगाए हुए हैं।
खेलो इंडिया या पिकनिक मनाओ इंडिया….
इन दिनों खेलो इंडिया के तहत देश में खेलकूद प्रतियोगिताओं का आयोजन किया जा रहा है। इसके पीछे सरकार की मंशा तो खेलों को बढ़ावा देने और उभरते हुए खिलाड़ियों को नया मंच देने की है। लेकिन कुछ अधिकारी तो इसे पिकनिक ही समझ रहे हैं। इनकी मौज मस्ती देख तो लगता है कि यह खेलो इंडिया नहीं, बल्कि पिकनिक मनाओ इंडिया हो। खिलाड़ियों के साथ असम गए उत्तराखंड के अधिकारियों की तो यही कहानी है। उनको खिलाड़ियों के प्रदर्शन से ज्यादा वहां के पर्यटकों स्थलों में रूचि है। वे तो बस यही सोच रहे हैं कि इस बार उन्हें सरकारी खर्चे पर यहां आने का मौका मिल गया, आगे मिले ना मिले। इसलिए इस टूर में पूरी मौज काट ली जाए। ऐसे में उत्तराखंड से बेहतर प्रदर्शन की उम्मीद करना बेमानी होगी। जिम्मेदारों को इसके लिए स्वयं आत्ममंथन करना चाहिए कि वे अपनी जिम्मेदारी के साथ कैसा न्याय कर रहे हैं!
उत्तराखंड में प्रतिभाओं की कमी नहीं है बस उन्हें अवसर मिले तो वह अपने आप को ओर से बेहतर साबित कर सकती हैं। इसकी सशक्त उदाहरण हैं, एथलेटिक्स में राष्ट्रीय स्तर पर स्वर्ण समेत कई पदक जीतने वाली अंकिता नेगी। अंकिता ने भी आर्थिक तंगी से जूझते हुए अपनी प्रतिभा का लोहा राष्ट्रीय स्तर पर मनवाया है, लेकिन अब उसे बेहतर प्रशिक्षण चाहिए। अंकिता की इस समस्या को दैनिक जागरण ने प्रमुखता से उठाते हुए बताया कि उत्तराखंड की खेल प्रतिभाएं सीमित संसाधनों से भी अपना मुकाम हासिल कर रही हैं, अब सरकार उन्हें प्रोत्साहित करे। इसका संज्ञान लेकर खेल मंत्री अरविंद पांडे ने अंकिता को एक्सीलेंस सेंटर में आवेदन करने की सलाह दी। जिससे उन्हें सरकार की तरफ से हर संभव मदद दी जा सकें। अगर आर्थिक परिस्थितियों से जूझ रही ऐसी प्रतिभाओं को सरकार की मदद मिलती है तो खेलों में उत्तराखंड की तरक्की निश्चित है।