रौलाकोट के बांध प्रभावितों ने घेरा वन मंत्री का काफिला..
उत्तराखंड: सेम मुखेम मंदिर जा रहे वन मंत्री हरक सिंह रावत को डोबरा चांठी पुल के ऊपर से ग्रामीणों ने नहीं जाने दिया। जिसके बाद मंत्री को पुल से वापस लौटना पड़ा और दूसरे रास्ते से वह मंदिर गए। विस्थापना की मांग को लेकर धरना दे रहे रौलाकोट के ग्रामीणों ने कहा की जब तक उनका विस्थापन नहीं होता तब तक पुल के ऊपर से वाहनों का संचालन नहीं होने देंगे। ग्रामीणों ने कहा कि वे लंबे समय से पुनर्वास की मांग को लेकर आंदोलनरत हैं, लेकिन शासन-प्रशासन उनकी समस्याओं को गंभीरता से नहीं ले रहा है। टिहरी झील से हो रहे भूस्खलन के कारण उनके आवासीय भवन जर्जर हो चुके हैं।
रविवार को वन एवं पर्यावरण मंत्री डॉ. हरक सिंह रावत सेम मुखेम स्थित नागराजा के मंदिर में पूजा अर्चना को जा रहे थे। मंत्री नवनिर्मित डोबरा-चांठी पुल से गुजर रहे थे। पुल के ऊपर मंत्री के गुजरने की सूचना मिलते ही चांठी के समीप 16 अक्तूबर से धरना दे रहे रौलकोट के बांध प्रभावित पुल पर पहुंच गए। उन्होंने मंत्री का काफिला रोककर सरकार के खिलाफ जमकर नारेबाजी की। मौके पर पहुंचे एसडीएम पीआर चौहान ने आक्रोशित ग्रामीणों से वार्ता की। बावजूद प्रभावित नहीं माने, इतने में मंत्री भी ग्रामीणों के बीच पहुंच गए। ग्रामीणों ने मंत्री का घेराव कर समस्याएं बताई। कहा कि टिहरी बांध की झील बनने के कारण उनके भवन और भूमि भूधंसाव की चपेट में आ गई है। सरकार ने वर्ष 2010-11 में रौलाकोट गांव का भू-गर्भीय सर्वे करवाया था, जिसमें गांव को पुनर्वास के लिए पात्र पाया था।
लेकिन वर्षों बाद भी भूमि उपलब्ध न करवाए जाने के कारण पुनर्वास नहीं हुआ। मंत्री ने ग्रामीणों को समस्याओं के निराकरण का भरोसा दिया, लेकिन आक्रोशित ग्रामीण नहीं माने। इस दौरान पुलिस और ग्रामीणों के बीच नोकझोंक भी हुई। ग्रामीणों ने कहा की डोबर पुल के ऊपर से वाहनों को तब ही जाने दिया जायेगा जब सरकार उनका विस्थापन करेगी।