भगवान श्रीराम ने की लंका पर चढ़ाई..
अंगद के समझाने पर भी नहीं माना अहंकारी रावण..
रावण-अंगद संवाद रहा दर्शकों के लिये आकर्षण का केन्द्र..
जिला मुख्यालय में हो रहा है रामलीला का आयोजन..
रुद्रप्रयाग। श्री शक्ति-संस्कृति एवं सांस्कृतिक ट्रस्ट के तत्वावधान में नये बस अडडे पर आयोजित रामलीला में मंगलवार को रावण-अंगद संवाद लीला का भव्य मंचन किया गया। रावण और अंगद के शानदार संवाद को देखकर दर्शक गदगद हो गये। रावण के रूप में अशोक चौधरी और अंगद के रूप में बद्री प्रसाद भटट के अभिनय को दर्शकों की ओर से जमकर सराहा गया।
दरअसल, इन दिनों जिला मुख्यालय रुद्रप्रयाग में रामलीला की धूम मची हुई है। रामलीला को देखने के लिये प्रत्येक दिन श्रद्धालुओं का भारी हुजूम उमड़ रहा है। दर्शक देर रात तक रामलीला का आनंद ले रहे हैं। मंगलवार को रावण-अंगद संवाद लीला का मंचन किया गया। हनुमान के लंका से वापस आने के बाद भगवान राम रावण को समझाने के साथ ही संधी प्रस्ताव को लेकर बाली पुत्र अंगद को रावण के पास भेजते हैं। अंगद रावण को माता सीता को भगवान राम के सौंपने के लिये कहता है, लेकिन रावण नहीं मानता है। कई बार समझाने के बाद भी जब रावण नहीं मानता है तो अंगद भगवान राम की शक्ति बताने के लिये अपना पैर जमीन पर टिका देता है। रावण दरबार के कई बड़े-बड़े योद्धा एवं रावण पुत्र मेघनाथ भी अंगद के पैर को नहीं हिला पाते हैं।
फिर स्वयं रावण पैर हटाने के लिये आता है, लेकिन फिर अंगर रावण को यह समझाता है कि अभी भी वक्त है वह भगवान राम से संधि कर दें। अन्यथा लंका का सर्वनाथ हो जायेगा, लेकिन रावण अंगद की एक नहीं सुनता है और अपनी हट पर अड़ा रहता है। रावण की भूमिका में अशोक चैधरी और अंगद की भूमिका में बद्री प्रसाद भटट के अभिनय को दर्शकों ने खूब सराहा। रावण-अंगद संवाद देखने के लिये देर रात तक दर्शकों की भारी भीड़ जुटी रही। इस मौके पर विधायक भरत सिंह चौधरी, ट्रस्ट के संरक्षक सच्चिदानंद सेमवाल, अध्यक्ष विजय कप्रवाण, उपाध्यक्ष हरि सिंह बिष्ट, कोषाध्यक्ष चन्द्रमोहन सेमवाल, निर्देशक रमेश भटट, प्रसिद्ध कथावाचक आचार्य दीपक नौटियाल, संचालक अरूण प्रकाश वाजपेयी, नरेन्द्र सिंह बिष्ट, मुकेश सिलोड़ी, दीपक सिलोड़ी, रूपेश सेमवाल, कुलदीप कप्रवाण, नवीन सेमवाल सहित अन्य मौजूद थे।