चमोली आपदा : सामने आई हादसे की असली वजह, फ्रांस की सैटेलाइट फोटो से हुआ खुलासा..
देश-विदेश : बीते रविवार को उत्तराखंड के चमोली में आई आपदा का राहत और बचाव कार्य अभी तक जारी है. इस बीच सैटेलाइट फोटो से इस हादसे की असली वजह सामने आई है. दरअसल फ्रांस की स्पेस एजेंसी CNES के पास चमोली आपदा की तस्वीरें हैं. जिनका अध्ययन कर चौंकाने वाला खुलासा हुआ है.
हिमस्खलन के साथ हुई रॉक फेल्यूअर की घटना..
फ्रांस की सैटेलाइट्स द्वारा ली गई फोटो की रिसर्च करने पर पता चला है कि पहाड़ से एक बड़ा पत्थर और बर्फ ऋषिगंगा नदी में गिरी. इसके साथ ही बहुत सारा मलबा नदी में गिरा था, जिससे नदी में बाढ़ आई. फ्रांस ने 9 फरवरी की सैटेलाइट फोटो जारी की हैं, जिसमें 550 मीटर की जगह दिखाई दे रही है, जहां से पहाड़ टूटकर गिरा था. इन इमेज का अध्ययन करने वाले वैज्ञानिकों ने बताया है कि हिमालय पर्वत की नंदा घुंटी और त्रिशूल रेंज के बीच स्थित रोंटी चोटी से पहाड़ टूटने से लैंडस्लाइड और हिमस्खलन हुआ था. बर्फ के साथ पहाड़ के टूटने की घटना को Rock Failure कहा जाता है. बता दें कि भारतीय वैज्ञानिकों का भी यही मानना है.
क्या कहते हैं भारतीय वैज्ञानिक..
वाडिया इंस्टीट्यूट के निदेशक डॉ. कलाचंद साईं का कहना है कि जिस चोटी से मलबा और भारी बर्फ नीचे गिरी थी, उसे स्थानीय लोग मृगुधानी चोटी कहते हैं. हिमालय में हिमस्खलन होना आम बात है और यह आमतौर पर ताजा बर्फ में होता है लेकिन चमोली के मामले में बर्फ के साथ पहाड़ का टूटना हैरान करने वाला है. वैज्ञानिकों का मानना है कि बर्फबारी से चट्टान टूटने की घटना अचानक नहीं हुई है. यह एक लंबी प्रक्रिया होती है.
वैज्ञानिकों का मानना है कि इस बात पर रिसर्च करने की जरूरत है कि बर्फ के साथ चट्टान टूटने की घटना (रॉक फेल्यूअर) कितने समय में होती है. चूंकि अगर इस पर ध्यान नहीं दिया गया तो इससे भविष्य में हालात बिगड़ सकते हैं. बीते रविवार को चमोली आपदा में 200 के करीब लोग लापता हुए थे, जिनमें से 34 शव मिल चुके हैं और अभी भी 170 लोगों का कुछ पता नहीं चल प् रहा है. राहत और बचाव कार्य जारी है. तपोवन टनल में बड़ी संख्या में लोगों के फंसे होने की आशंका है.