उत्तराखंड

जरा केदारनाथ आपदा भी याद कर लो कांग्रेसियो..

प्रीतम सिंह बताएं, रैंणी के प्रभावितों की क्या की मदद..

हरदा बताएं, केदारनाथ आपदा की भारी भरकम रकम किसने की हजम..

उत्तराखंड: एक ओर सुरंग में 35 लोगों की जिंदगी के लिए हमारे जवान और अन्य एजेंसियों पिछले छह दिन से जुटी हैं वहीं कांग्रेस राहत और बचाव अभियान में कमियां निकाल रही हैं। प्रदेश अध्यक्ष प्रीतम कह रहे हैं कि कांग्रेस आपदा प्रभावितों के साथ खड़ी है। बताओ जनाब, कहां खड़े हो? रैणी के लोग जिनके घरों में दरारें आ गयी जंगल में हैं। क्या आप वहां हो? या आप तपोवन में अपने परिजनों को तलाशने पहुंचे लोगों के आंसू पोंछने के लिए वहां हो? हरदा तकनीक में कमी और सुरंग में आक्सीजन पहुंचाने पर सवाल उठा रहे हैं। ठीक है, हम भी मानते हैं, लेकिन ये बात एनडीआरएफ, सेना और अन्य एजेंसियों के लोग भी जानते हैं। अड़चन तो आ रही है लेकिन कोशिश जारी है। राहत और बचाव में तो जुटे हैं। और बांध और प्रकृति के साथ छेड़छाड़ का यह नासूर तो कांग्रेस के समय में भी रहा।

 

जरा याद करो कांग्रेसियो, केदारनाथ आपदा 16-17 जून 2013 को आई और इसके बाद वहां क्या हालात थे? कांग्रेस की सरकार थी लेकिन वहां कांग्रेसी नेता मीडिया टीम को लेकर हेलीकाॅप्टर में घूम रहे थे नीचे बुग्यालों में लोग भूख और प्यास से दम तोड़ रहे थे। हजारों लोग जल-प्रलय में मर गये, लेकिन बुग्यालों में भूखे- प्यासे भी तो मरे। यदि समय पर उनकी सुध ली होती तो कम से कम जल प्रलय से बचे लोगों को बचाया जा सकता था। और इसके बाद तो कांग्रेस के नेताओं की मौज हो गयी थी। कांग्रेस ने तब आपदा में अवसर तलाशा और केदारनाथ की लाशों पर कमीशन खाया। स्कूटर की टंकी में 40 लीटर तेल दिखाया। यदि कर्नल अजय कोठियाल नहीं होते तो केदारनाथ पहुंचना आज भी दुष्कर होता। बेहतर है नेताओ, यदि अपनी कमाई में से कुछ प्रभावितों को दे सको तो दो, नही तो चुप रहो। दुआ करो, सुरंग में कुछ लोग जिंदा हों।

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