देश के कोने-कोने तक पहुंच रही उत्तराखंड की ये खास मिठाई..
उत्तराखंड: टिहरी की सिंगोरी की मिठास अब देश के कोने-कोने तक पहुंच रही है। दिल्ली, मुंबई जैसे अन्य महानगरों से प्रवासियों को ऑनलाइन डिमांड पर टिहरी की सिंगोरी भेजी जा रही है। यही वजह है कि नई टिहरी के बाद अब आगराखाल बाजार में भी सिंगोरी का कारोबार खूब चल पड़ा है। गूगल बिजनेस ने व्यापारियों की राह को और आसान बना दिया है। अरसा और रोटाने में भी आगराखाल बाजार नई पहचान बना रहा है।
टिहरी की सिंगोरी की राजशाही के जमाने से ही खास पहचान रही है। राजा महाराजाओं को यह मिठाई खास पसंद हुआ करती थी। आज शादी-विवाह हो या कोई अन्य धार्मिक आयोजन, मेहमानों को सिंगोरी अवश्य परोसी जाती है। नई टिहरी के बाद अब आगराखाल स्थित मिठाई की दुकानों पर भी सिंगोरी के साथ ही उत्तराखंड के पारंपरिक पकवान अरसा और रोटाने की भी मांग बढ़ी है। अरसा गुड़ व चावल और रोटाने आटा व गुड़ से तैयार किया जाता है।
अब तक लोग विशेष रूप से शादी-विवाह के मौके पर ही अरसे और रोटाने बनाते थे, लेकिन अब बाजार में हर दिन अरसे और रोटाने की उपलब्धता से इसे भी नया बाजार मिलने लगा है। थर्टी फर्स्ट और नए साल के लिए भी आगराखाल और टिहरी के व्यापारियों के पास दिल्ली समेत अन्य शहरों से सिंगोरी, अरसे और रोटाने की डिमांड आई है।
आगराखाल से ऋषिकेश की दूरी महज 25 किमी होने से यहां की सिंगोरी और अरसा ऋषिकेश भी पहुंच रहा है। सिंगोरी एक विशेष तरह की मिठाई है, जो मावा से तैयार की जाती है। इस मिठाई की खास विशेषता यह है कि इसे मालू के पत्ते में लपेटकर रखा जाता है। त्योहार के सीजन में इसे विशेष रूप से तैयार किया जाता है। मालू के पत्ते उत्तराखंड के जंगलों में 12 महीनों आसानी से उपलब्ध हो जाते है। इस पत्ते की विशेषता यह है कि यह जल्दी खराब नहीं होता है। जंगल से लाने के 15 दिन बाद भी हरा रहता है।
पत्ते की खुशबू सिंगोरी के स्वाद को और लाजवाब बना देती है। सिंगोरी, अरसे और रोटाने की डिमांड अब बढ़ी है। दिल्ली, मुंबई से प्रवासियों की ऑन लाइन डिमांड पर पार्सल और कुरियर के जरिये सिंगोरी की मिठाई भेजी जा रही है। देश ही नहीं बल्कि विदेशों में भी डिमांड पर सिंगोरी की मिठाई और अरसे भेज रहे हैं।