उत्तराखंड

माँ की कॉल आने से बेटे ने बचाई 25 लोगों की जान..

माँ की कॉल

माँ की कॉल आने से बेटे ने बचाई 25 लोगों की जान..

देश-विदेश : उत्तराखंड के चमोली में हुई जलप्रलय को आज 7 दिन हो चुके हैं. अब तक 40 लोगों के शव बरामद हो चुके हैं. 160 से ज्यादा अभी भी लापता है. फिलहाल तपोवन टनल के अंदर ड्रिलिंग का काम जारी किया है. वहां 30-35 लोगों के फंसे होने की उम्मीद है, जिन्हें बचाने की कोशिशें की जा रही हैं. चमोली के ऋषिगंगा में आए इस सैलाब के गवाह कई खुशकिस्‍मत लोग भी हैं जिन्‍हें मौत छूकर निकल गई और वे आज जिंदा हैं.

 

टाइम्‍स ऑफ इंडिया की एक रिपोर्ट के मुताबिक तपोवन में NTPC जलविद्युत परियोजना में भारी मोटर वाहन चालक का काम करने वाले 27 वर्षीय युवक विपुल कैरेनी रव‍िवार 7 फरवरी को NTPC के हाइड्रोप्रोजेक्‍ट के तपोवन बैराज पर काम कर रहे थे. ऋषि गंगा में सैलाब आने से ठीक पहले विपुल की मां मंगश्री देवी ने उन्‍हें कई फोन कॉल करने की कोशिश की. वे फोन करके विपुल और उसके साथियों को वैराज से दूर भागने के लिए कहती रही. लेकिन विपुल कैरैनी ने उस वक्‍त अपनी मां की चेतावनी को नजरअंदाज कर काम करता रहा. विपुल के नजरअंदाज करने पर उनकी मां दोबारा अपने बेटे को फाेन किया और तब तक कॉल करती रही जब तक क‍ि उनका बेटा वहां से सुरक्षित बाहर न निकल गया. बकौल विपुल मां ने धौलीगंगा में आए सैलाब की जानकारी दी, जिसके बाद विपुल और उसके साथी जिंदगी बचाने के लिए वहां से भागे और किसी तरह बच निकले.

 

 

विपुल कैरैनी ने बताया कि “हमारा गांव ऊंचाई पर स्थित है. जब बाढ़ का पानी आया तो मेरी मां बाहर काम कर रही थी. अगर मेरी मां ने धौलीगंगा में सैलाब आने की चेतावनी नहीं दी होती तो आज मैं और मेरे करीब दो दर्जन से ज्‍यादा साथी मर चुके होते.

 

मैंने मां से मजाक किया,अभी पहाड़ फटा नहीं..

विपुल कैरैनी ने बताया, घटना के दिन वह नौ बजे काम के लिए वह अपने घर ढाक तपोवन प्रोजेक्‍ट साइट के लिए निकले. उन्‍हें एक दिन के 600 रूपये मिलते हैं, लेकिन संडे के दिन काम करने के उन्‍हें दोगुने पैसे मिलते हैं, अतिरिक्‍त पैसा कमाने के लिए वह 7 फरवरी को रविवार की छुट्टी होने के बावजूद काम पर गए. 10.35 बजे उनकी मां ने फोन किया और जोर जोर से चिल्‍लाने लगी. मैंने अपनी मां को कहा मजाक मतकर अभी पहाड़ फटा नहीं है और मां की कॉल को नजरअंदाज कर काम करने लगा. मां ने कुछ देर बाद फिर फोन किया और वहां से भागने की गुजारशि की. इसके बाद मैं और मेरे दोस्‍त एक सीढ़ी के सहारे वहां से भागे और बचकर निकलने में सफल हुए. बकौल विपुल कैरैनी मेरी मां और पत्नी अनीता ने पानी को अपनी सामान्य ऊंचाई से 15 मीटर ऊपर उठते हुए देखा था. विपुल कहते हैं कि एक मां के प्यार की शक्ति इस ब्रह्मांड में किसी भी अन्य शक्ति से परे है.

 

दोस्‍त की मां की वजह से ये जीवन मिला..

विपुल के साथी संदीप लाल कहते हैं कि “मैं बैराज के अंदर था बिजली की लाइन में खराबी को ठीक कर रहा था. जब विपुल ने फोन किया तो मैं भाग गया. मैं मानता हूं कि विपुल की मां की वजह से ये जीवन मिला है. वे आगे कहते हैं, माता-पिता की चेतावनी को अनदेखा करना कभी नहीं सीखा. संदीप और विपुल के 100 से अधिक दोस्त लापता हैं.

 

अब तक 40 लोगों के शव बरामद, 164 लापता..

चमोली की ऋषिगंगा घाटी में सात फरवरी को आई बाढ़ में मारे गए 40 लोगों के शव अब तक बरामद हो चुके हैं, जबकि 164 अन्य लोग अब भी लापता हैं . इन लापता लोगों में तपोवन सुरंग में फंसे 25 से 35 वे लोग भी शामिल हैं जो आपदा के समय वहां काम कर रहे थे. सुरंग में फंसे लोगों को बाहर निकालने के लिए सेना, राष्ट्रीय आपदा मोचन बल, राज्य आपदा प्रतिवादन बल, भारत तिब्बत सीमा पुलिस द्वारा पिछले एक सप्ताह से संयुक्त बचाव अभियान चलाया जा रहा है.

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