देश विदेश के पर्यटक यूं ही नहीं ‘मिनी स्विट्जरलैंड’ चोपता के दीवाने….
उत्तराखंड के हिमालय पर्वत की तलहटी पर बसे इस छोटे से हिल स्टेशन को यूं ही ‘मिनी स्विट्जरलैंड’ नहीं कहा जाता है।
उत्तराखंड : उत्तराखंड राज्य के रुद्रप्रयाग जिले में बसे चोपता में बर्फबारी से जन्नत से नजारे देखने को मिल रहे हैं। चोपता ऐसा अनछुई और अनजान हिल स्टेशन है जिसकी प्राकृतिक खूबसूरती और हरियाली आपको अंदर तक आनंदित कर देगी।
इसलिए ही इसे यहां का छोटा स्विटजरलैंड कहा जाता है। यह जगह भगवान शिव के प्रसिद्ध मंदिर तुंगनाथ के लिए भी जानी जाती है। वहीं यहां से त्रिशूल पर्वत, का भी खूबसूरत नजारा दिखता है।
यहां पूरे क्षेत्र में लगातार बर्फबारी से वर्षों पुराने रिकार्ड तोड़ दिए हैं। बुजुर्गों का कहना है कि वर्ष 1993 के बाद गांवों में इस तरह की बर्फबारी हुई है। मौसम की मार से पांच हजार फीट की ऊंचाई पर बसे गांव भी बर्फ की चपेट में आ गए हैं।
ऊखीमठ, जखोली और अगस्त्यमुनि ब्लाक के ऊंचाई वाले गांवों में मंगलवार सुबह छह बजे से शुरू हुई बर्फबारी बुधवार को भी रुक-रुककर जारी रही। इस दौरान अधिकांश गांवों में तीन से चार फीट तक बर्फ जम चुकी है।
मद्महेश्वर घाटी के गौंडार और रांसी गांव में भी भारी बर्फ के कारण जनजीवन व्यापक रूप से प्रभावित हुआ है। कालीमठ घाटी की सभी 10 ग्राम पंचायतें बर्फ की चपेट में आ चुकी हैं। इधर, अगस्त्यमुनि ब्लाक के भणज, बाड़व, किंनज्याणी, केड़ा, खाल्यू, चंद्रनगर, कोंथा आदि गांवों में डेढ़ से ढाई फीट तक बर्फबारी हो चुकी है।
बच्छणस्यूं पट्टी के बणगांव, झुंडोली, धनपुर के पीड़ा, पाबौ, ग्वेफड और रानीगढ़ के कोदिमा, जसोली सहित अन्य गांवों में जमकर बर्फबारी हुई है। स्थानीय निवासी सुधीर राणा ने बताया कि पांच वर्ष के बाद क्यूंजा घाटी के गांवों में भारी बर्फबारी हो रही है।
3 दिन से हो रही बर्फ़बारी के बाद चोपता अपने उस प्राकृतिक सौंदर्य में आ चुका है जिसके लिए देश दुनिया में उसे जाना जाता है. इसकी खूबसूरती देखने के लिए विदेशी भी यहां घूमने आते हैं.
चोपता में आपको रहने के लिए होटल के साथ ही कैम्प भी मिल जाते हैं. लेकिन अगर आप चोपता की सुंदरता का आनंद लेने आना चाहते हैं तो इस तैयारी के साथ आइये कि आपको यहां अधिक दिन तक रुकने में कोई दिक्कत न हो क्योंकि बर्फ़बारी की स्थिति में सड़क मार्ग बंद हो सकता है और आपको यहां ज़्यादा दिन गुज़ारने पड़ सकते हैं.