इन बेटियों की सुध लेने वाला कोई नहीं…
रुद्रप्रयाग। जखोली ब्लाक के त्यूंखर गांव की बसु और निशा दो नन्ही बालिकाओं के ऊपर दुखों का पहाड़ टूट पड़ा है। मात्र 5 और 2 साल की इन बच्चियों के इस दुनियां में कोई नहीं है। अब दोनों बहनें अनाथ हो गई हैं और गांव में ही घर-घर जाकर खाना मांग कर खा रही हैं। राष्ट्रीय बालिका दिवस मना रहे किसी भी जनप्रतिनिधि ने इन बेटियों की सुध लेना तक मुनासिब नहीं समझा है।
त्यूंखर गांव के प्रेमु लाल की दस माह पूर्व बीमारी से मौत हो गई थी। वह अपने पीछे पत्नी सुनीता देवी और दो बेटियां, बसु (5) और निशा (2) को छोड़ गए। पति की मौत के बाद से मानसिक तनाव से ग्रसित सुनीता देवी की भी कुछ दिन पूर्व मौत हो गई। अब दोनों बेटियां अनाथ हो गई हैं। कड़ाके की ठंड में नंगे पैर ये दोनों बहनों गांव में घर-घर पर भटकने को मजबूर हैं।
भले ही गांव के कुछ परिवार इन दोनों बच्चियों को सुबह और शाम को भोजन दे रहे हैं, लेकिन ये व्यवस्था कब तक चलेगी। ठंड से बच्चों के हाथ-पैर नीले हो गए हैं। उनका घर तो है लेकिन वह किसके साथ रहेंगे। सामाजिक कार्यकर्ता रामरतन सिंह पंवार ने बेटियों के संरक्षण और लालन-पालन के लिए उचित व्यवस्था की मांग की। इधर, बाल संरक्षण आयोग के सदस्य वाचस्पति सेमवाल ने बताया कि दोनों बच्चियों की देखभाल और भरण-पोषण के लिए बाल कल्याण समिति में प्रस्ताव रखा जाएगा।