उत्तराखंड

गैरसैंण की लड़ाई के लिए ताकतों को किया जाएगा एक

रोहित डिमरी

हल्द्वानी में 7 अप्रैल को जुटेंगे प्रदेशभर के आंदोलनकारी और चिंतक
बैठक में बनेगी आंदोलन की व्यापक रणनीति
रुद्रप्रयाग।
राजधानी आंदोलन को प्रदेशभर में फैलाने के मकसद से हल्द्वानी में आंदोलनकारी, विभिन्न संगठनों के कार्यकर्ता और बुद्धिजीवी जुटेंगे। बैठक में गैरसैंण के लिए लड़ाई लड़ रहे तमाम ताकतो को एकजुट किया जाएगा। जानकारी देते हुए स्थायी राजधानी गैरसैंण संघर्ष समिति के अध्यक्ष मोहित डिमरी ने कहा कि बैठक सात अप्रैल को देवगिरी लॉन, तल्ली बमौरी, हल्द्वानी (नैनीताल) में आयोजित की जाएगी। बैठक में स्थायी राजधानी गैरसैंण के लिये आंदोलन की रणनीति बनाई जाएगी। इसके साथ ही उत्तराखंड के जमीनों को बचाने के लिये धारा- 371 और हिमाचल की तर्ज पर भूमि कानून की धारा-18 को लागू करने, उत्तराखंड की जमीनों की पैमाइश कर ठोस भू-प्रबंधन कानून लाने और राज्य में संविधान के 73वें और 74वें संशोधन के अनुसार ठोस पंचायतीराज एक्ट के लिए सरकार पर दबाव बनाया जाएगा। आंदोलनकारी डिमरी ने कहा कि राज्य में लोकसभा और विधानसभा का परिसीमन जनसंख्या की जगह क्षेत्रफल के आधार पर किया जाये।

उत्तराखंड में कम से कम 106 विधानसभा सीटें होनी चाहिये। राज्य में जिलों का नया परिसीमन कर नये जिले सृजित किये जायें। प्राकृतिक संसाधनों पर पहला अधिकार स्थानीय लोगों का होना चाहिये और बड़ी जलविद्युत परियोजनाओं को तुरंत बंद किया जाये और पंचेश्वर जैसे विनाशकारी बांधों को बनने से रोका जाना चाहिए। इसके साथ ही राज्य में लगातार बंद हो रहे स्कूलों और पीपीपी मोड पर दिये जा रहे अस्पतालों की नीति तुरंत बंद होनी चाहिये। शिक्षा और स्वास्थ्य के लिये मानकों की आड़ में जनता से छल बंद होना चाहिये। राज्य में राजस्व के नाम पर शराब को बढावा देने वाली नीति का विरोध किया जाएगा। आंदोलनकारी केपी ढोंडियाल, विनोद डिमरी, प्यार सिंह नेगी, सत्यपाल नेगी, रमेश नौटियाल, दीपक बेंजवाल, भगवती शैव, राज्य बनने के इन 18 सालों में जिस तरह सत्तासीन लोगों ने हमारे सपनों पर तुषारापात किया है, उसका प्रतिकार करने का समय आ गया है। इन तमाम समस्याओं और पलायन का कारण नीतिजनित है।

इसका समाधान भी नीतियों से ही होगा। दुर्भाग्य से नीतियों के अभाव में लगातार पहाड़ खाली हो रहे हैं। एक तरह से पहाड़ हमारे हाथ से निकल रहा है। पहाड़ की अस्मिता के साथ नई चुनौतियां खड़ी हो गयी हैं। वे तनकर और मजबूती के साथ हमारे अस्तित्व को लीलने के लिये घात लगा रही हैं। हमें पहाड़ से खदेड़ने के पूरे इंतजाम किये जा रहे हैं। एक बार हम सब लोगों को खुली आंखों और संवेदनशीलता के साथ पहाड़ को देखने की जरूरत है।

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