उत्तराखंड

जब टीचर ही नहीं भेजोगे तो कैसे पढ़ेंगी बेटियाँ ?

मोहित डिमरी

सफेद हाथी साबित हो रही जखोली महाविद्यालय की बिल्डिंग
काॅलेज में नहीं हैं महत्वपूर्ण विषयों के अध्यापक, छात्रों का भविष्य चौपट
शासनादेश के बावजूद विज्ञान संकाय की आज तक नहीं मिली स्वीकृति
रुद्रप्रयाग। तमाम घोषणाओं और शासनादेश के बावजूद राजकीय महाविद्यालय जखोली दुर्दशा का शिकार है। महाविद्यालय के नाम पर बनाई गई बिल्डिंग सफेद हाथी साबित हो रही है। यहां स्नातक स्तर पर कला संकाय में शिक्षकों के महत्वपूर्ण पद रिक्त चल रहे हैं। शासनादेश के बावजूद स्नातक स्तर पर विज्ञान संकाय की स्वीकृति नहीं मिल पाई है। छात्रों को लाइब्रेरी की भी सुविधा नहीं मिल पा रही है। अब अपने हक के लिए महाविद्यालय के छात्र-छात्राओं ने आंदोलन का बिगुल फूंक दिया है।

करीब 18 वर्ष पूर्व अस्तित्व में आए राजकीय महाविद्यालय जखोली में 323 छात्र-छात्राएं अध्ययनरत हैं। इनमें तीन सौ की संख्या छात्राओं की है। शिक्षकों के पद रिक्त होने के कारण छात्रों का भविष्य चौपट हो रहा है। स्नातक स्तर पर कला संकाय में अंग्रेजी, अर्थशास्त्र, राजनीतिक शास्त्र जैसे महत्वपूर्ण विषयों के अध्यापकों के पद रिक्त चल रहे हैं। सबसे अधिक समस्या छात्रों को अंग्रेजी के शिक्षक न होने से हो रही है। कई छात्र अंग्रेजी विषय में फेल हो रहे हैं। रिक्त पदों पर शिक्षकों की काम-चलाऊ भर्ती के लिए महाविद्यालय की ओर से आवेदन भी आमंत्रित किए गए। इसमें संस्कृत को छोड़कर किसी भी पद पर शिक्षक की तैनाती नहीं हुई है।

 

स्नातकोत्तर स्तर पर कला संकाय में राजनीतिक विज्ञान के अलावा अन्य विषयों की स्वीकृति नहीं मिल पाई है। इस पर भी विषयाध्यापक की तैनाती आज तक नहीं हुई। जबकि महाविद्यालय के दो बैच पास आउट हो चुके हैं। इस समय दो छात्र ही बिना विषयाध्यापक के स्नातकोत्तर की पढ़ाई कर रहे हैं। इस समय महाविद्यालय में स्नातक स्तर पर हिंदी, इतिहास, समाजशास्त्र, भूगोल आदि विषयों पर ही अध्यापकों की नियमित तैनाती हो रखी है।

छह वर्ष पूर्व वर्ष 2012 में स्नातक स्तर पर विज्ञान संकाय स्वीकृति का शासनादेश भी जारी हुआ था। पिछले वर्ष उच्च शिक्षामंत्री धन सिंह रावत ने भी घोषणा की थी कि 90 दिन के भीतर विज्ञान संकाय की स्वीकृति दी जाएगी। लेकिन आज तक कार्यवाही नहीं हुई। महाविद्यालय में छात्रों के लिए खेल मैदान की सुविधा भी नहीं है। छात्र संघ भवन निर्माण का मामला भी फाइलों में लटका हुआ है। विद्यालय को जोड़ने वाली सड़क के भी बुरे हाल हैं। उबड़-खाबड़ सड़क पर कभी भी हादसा हो सकता है। इसके डामरीकरण को लेकर भी छात्र कई बार संबंधित विभाग से पत्राचार कर चुके हैं।

छात्र संघ अध्यक्ष अंकित नेगी, महासचिव कामिनी भट्ट, यूआर कुलदीप भारती, पूर्व अध्यक्ष अरूण नेगी, छात्र संघ के पूर्व महासचिव अरविंद बुटोला, कुलदीप, बबन, सुभाष, पंकज, अरविंद, अंजलि, नीलम का कहना है कि अध्यापकों की नियुक्ति न होने से छात्रों के भविष्य के साथ खिलवाड़ हो रहा है। हमें सिर्फ आश्वासनों का झुनझुना थमाया जा रहा है। विद्यालय की तमाम समस्याओं को लेकर तब तक आंदोलन करेंगे, जब तक मांगें पूरी नहीं हो जाती। छात्र बताते हैं कि महाविद्यालय में कई बार पानी का संकट भी उत्पन्न हो जाता है। पुस्तकालय न होने से छात्रों को पठन-पाठन में कठिनाई हो रही है।

शासन स्तर से होनी है विषयों की स्वीकृतिः डाॅ माधुरी
महाविद्यालय की प्राचार्य डाॅ माधुरी का कहना है कि उच्च शिक्षा निदेशालय के आदेश पर कामचलाऊ व्यवस्था के लिए अंग्रेजी, राजनीति विज्ञान, अर्थशास्त्र एवं संस्कृत विषय में शिक्षण कार्य के लिए आवेदन आमंत्रित किए गए थे। जिसके सापेक्ष सिर्फ संस्कृत विषय में ही एक शिक्षक ने कार्यभार ग्रहण किया। स्नातकोत्तर स्तर पर राजनीतिक विज्ञान के अलावा अन्य कोई विषय स्वीकृत नहीं है। स्नातक स्तर पर कला और विज्ञान संकाय के पूरे विषयों की स्वीकृति शासन स्तर से होनी है। महाविद्यालय पुस्तकालय के लिए महाविद्यालय के निर्माणाधीन प्रशासनिक भवन में व्यवस्था की जा रही है।

जांच के बाद ही हैंडओवर होगी बिल्डिंग 
राजकीय महाविद्यालय जखोली के भवन का निर्माण यूपी राजकीय निर्माण निगम द्वारा किया गया है। यह भवन अभी तक महाविद्यालय को हैंडओवर नहीं हो पाया है। निर्माणाधीन प्राचार्य आवास खंडहर में तब्दील हो गया है। हालांकि प्रशासनिक भवन का निर्माण पूरा हो चुका है। महाविद्यालय की ओर से अभी बिल्डिंग हैंडओवर नहीं की जा रही है। प्राचार्य डाॅ माधुरी ने बताया कि भवन की गुणवत्ता के लिए जांच समिति बनाई जाएगी। गुणवत्ता ठीक पाए जाने के बाद ही बिल्डिंग हैंडओवर की कार्यवाही की जाएगी।

 

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