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अब पलायन कमेटी की सलाहकार बनी भरतू की ब्वारी

भरतु के माँ-बाप गाँव में रहते हैं। कभी-कबार नाती-पोतों को मिलने की चाह उनको देहरादून खींच लाती है। आजकल वो देहरादून हैं। दो चार दिन में ही उनको उब होने लगी है। सास भी बात-बात पर ककड़ाट करती रहती तो भरतु की ब्वारी भी मन ही मन चाहती है कि जितनी जल्दी यहाँ से निकले उतना बढ़िया। अब वो गाँव आ चुके हैं, उनको अपनी खेती-पाती, बाड़े सगोडो की फिक्र लगी रहती है। बूढ़ी सास के लिए खेतों को आबाद रखना किसी चेलेंज से कम नही है। दो हज़ार, बीड़ी माचिस और बोतल का खर्चा देकर हळ्या दो चार खेत जोतता है।

इसी बीच एक नेपाली परिवार से उनकी बात होती है कि रहना खाना फ्री, दो हज़ार महीना अलग से देंगे पर हमारे खेतों को करो। अब नेपाली परिवार की महिला, पुरुष और बच्चे खूब मेहनत करके नजदीकी खेतों में सब्जी और दूर के खेतों में कोदा-झंगोरा उगाने लगे। उन्होंने दो मुर्रा भैंसे भी पाल ली और गाँव और कस्बे में ही सब्जी और दूध बेचकर मंथली हज़ारो कमाने लगे और बच्चो को भी गांव के विद्यालय में पढ़ाने लगे।
इधर भरतु की ब्वारी सिफारिश से पलायन कमेटी की सलाहकार बन चुकी है। आखिर गढ़वाल विश्वविद्यालय से सामाजिक विषय में उत्तीर्ण थी। यलो कलर की सूट और प्लाजु पहनकर, सिर में काला चश्मा अटकाए हुए, राजपुर रोड स्थित अपने शानदार ए.सी. ऑफिस में चाय की चुस्कियां ले रही है। वहाँ पलायन कमेटी की बैठक चल रही है। बैठक में तय हो रहा है कि कमेटी के सदस्यों के भत्तों में वृद्धि की जाय और दो स्कॉर्पियो ऑफिस के काम के लिए और खरीदी जाय। कमेटी पर हर महीने सरकार को तीस से चालीस लाख खर्चा करना पड़ रहा है। इसी बीच बैठक में तय होता है कि सभी सदस्य एक हफ्ते के लिए टूर बनाकर पहाड़ो में गोष्ठियाँ और भ्रमण करेंगे।

अब सारे सदस्य पहाड़ों में आकर सबसे पहले बद्रीनाथ दर्शन करने जाते हैं, फिर एक दिन चोपता में कैम्पिंग का कार्यक्रम बनाते हैं। पहाड़ो की हसीन वादियों में खूब सेल्फी खिंचवाते हैं। कहीं पर दो चार बुजुर्गो को पलायन पर पूछते हैं तो बुजुर्गो का मानना था कि सिखासौर (देखा-देखी) में ज्यादा पलायन हो गया है। किसी ने बताया कि सबसे ज्यादा पलायन ब्राह्मणों के गांवों से हुआ है। किसी ने स्कूल, किसी ने अस्पताल, किसी ने सड़क को कारण बताया। फिर एक हफ्ते टूर करके कमेटी के सदस्य शिवपुरी केम्प में राफ्टिंग करते हुए देहरादून जाकर अपने-अपने टूर बिल बना रहे हैं।

इसी बीच एक खाँटी आर.टी.आई.कार्यकर्ता ने पलायन कमेटी पर आर.टी.आई लगाकर सूचना माँग ली। जिससे कमेटी में हड़कम्प मच गया। फिर सरकार को एक ठोस निर्णय लेना पडा। क्या था उस आर.टी.आई में ? जानने के लिए पढ़िए भरतु की ब्वारी- पार्ट-08
क्रमशः

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