उत्तराखंड

प्रमाणपत्रों के लिए तहसील के चक्कर काटने से मुक्ति

उत्तराखंड सरकार अब एक ही बार में प्रमाणपत्र बनने के लिए वृहद अभियान चलाएगी। प्रमाणपत्रों के लिए लोगों को बार-बार इधर-उधर ना भटकना पड़े।

देहरादून : प्रदेश सरकार अब मूल निवास, स्थायी निवास व जाति प्रमाणपत्र अब एक ही बार में बनाने की तैयारी कर रही है। इसके लिए राज्यभर में वृहद स्तर पर कैंप लगाए जाने प्रस्तावित हैं। इससे इन प्रमाणपत्रों के लिए लोगों को बार-बार तहसील के चक्कर काटने से मुक्ति मिल जाएगी।

प्रदेश में तहसील मुख्यालयों में सबसे अधिक कार्य विभिन्न प्रकार के प्रमाणपत्र बनाने का ही होता है। पर्वतीय क्षेत्रों में तहसील मुख्यालय का दायरा बड़ा होने के कारण लोगों को सिर्फ इसी कार्य के लिए दूर दराज से तहसील तक आना पड़ता है। भीड़ होने के कारण कई बार उनके प्रमाणपत्र बनाने के कार्य भी नहीं हो पाते हैं। प्रदेश में इस समय कई जगह नई तहसीलों के गठन की मांग उठ रही है। जब नई तहसीलों के गठन के औचित्य के संबंध में परीक्षण किया गया तो यह बात सामने आई कि प्रशासनिक कार्यो में आ रही दिक्कतों को देखते हुए इस तरह की मांग की जा रही है। इन प्रशासनिक कार्यो में भी मुख्य कार्य विभिन्न प्रकार के प्रमाण पत्र बनाना है। सरकार की ओर से विभिन्न स्थानों पर लगाए गए जनता दरबार में भी प्रमाणपत्र बनाने में आ रही समस्याएं प्रमुखता से उठाई जाती रही हैं।

इन सबको देखते हुए सरकार अब प्रमाणपत्र बनाने के लिए वृहद स्तर पर अभियान चलाने की तैयारी कर रही है। मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत का कहना है कि कई प्रमाणपत्र ऐसे हैं जो पूरे जीवन भर के लिए एक ही बार बनते हैं। मसलन जाति प्रमाणपत्र व मूल निवास प्रमाणपत्र आदि। व्यक्ति देर-सवेर इन्हें बनाता ही है। ऐसे में यदि एक बार वृहद स्तर पर इन्हें बनाने का कार्य किया जाएगा तो इससे भविष्य में तहसील मुख्यालयों का कार्य काफी कम हो सकता है। इसलिए सरकार की मंशा एक बार में ही इस तरह के प्रमाणपत्र बनाने की है ताकि लोगों की प्रमाणपत्र बनाने में आ रही समस्याएं दूर हो सकें।

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