नंदा की चिंता-12
Uk न्यूज़ नेटवर्क के सभी पाठको को नमस्कार। Uk न्यूज़ नेटवर्क टीम की यही कोशिश है कि सामाजिक रूप से जागरूक किया जाए और कुरीतियों पर प्रहार किया जाये। इसी कड़ी में महावीर सिंह जगवाण द्वारा रचित ‘नंदा की चिंता’ आपके बीच ला रहे हैं।
महाबीर सिंह जगवाण
नैना कहती है नंदा कुछ दिनो बाद मेरी छुट्टी खत्म हो जायेंगी और मै शहर चले जाऊँगी,न जाने आज क्यों मुझे पहाड़ का आसमां बहुत बड़ा दिख रहा है,यहाँ की खुसबू और मुस्कान विखेरने को उकसाती हवायें और कहाँ,ऊँचा हिमालय ,आसमां को छूती चोटियाँ बार बार उकसाती हैं ,उठ कुछ बड़ा सोच मेरी तरह शीर्ष बनकर आसमाँ के नजदीक होने का अहसास कर,यहाँ के झरने और पवित्र नदियाँ उदगम से ही मुस्कराते हुये धरा और धरा की हर रचना को तृप्त कर ,जीवन को अलग तरीके से समझने बूझने को उकसाती हैं ,तभी नंदा कहती है दीदी रूक जा अभी पता चला पंख लग गये और अभी से उड़ने की जिद ठान ली,नैना कहती है मै चिंतित हूँ,फिर कुछ दिनो बाद,10×10फिट के कमरों मे कैद हो जाऊँगी ,तभी रूकमणी कहती है,अभी से उड़ने की कोई जरूरत नहीं ,पढाई पर ध्यान देना ,जब कामयाब हो जायेगी तो पहाड़ मे सेवा देना ,हम सब अपने अपने तरीके से एक बड़ी कोशिष करेंगे ताकि वो सपना जो दादा जी ने हमारी आँखो पर बसाया था,जिसके बीज हमारे मन मस्तिष्क मे बोये थे,हम अच्छी शिक्षा दीक्षा लेकर स्वयं की कोशिषों से वह सब हासिल करेंगे,
भले ही दादा जी यह सब न देख पायें लेकिन उनको बड़ा सुकून मिलेगा,वो जो गाँव के ऊपर पीपल के दो बड़े पेड़ हैं वह तब खुशी से झूम उठेंगे और हम वहाँ पर इकट्ठा होकर उत्सव मनायेंगे।रूकमणी कहती है नैना आपकी शहर से होमवर्क के लिये काॅपी किताब ला रखी है उसको पूरा कर दो साथ नंदा तुम्हें दादा जी की छवि के साथ उनकी बनाई लंबी नहर की पेंटिग बनाने को दी थी साथ ही दो पीपल के पेड़ भी दिखाने हैं ,कल एक सेमिनार मे भाग लेने जा रही हूँ वह पेंटिंग भी साथ लेकर जाऊँगी,नंदा कहती है दीदी वह काम तो आपने परसों ही दिया था ,आपको पता है यहाँ तो लेटलतीफी का कोई काम नहीं,दादा जी कहते थे ,आज के काम को आज ही पूरा करो फिर देखे थकान के बजाय तुम अधिक स्फुर्त और ताजगी का अहसास करोगी और कल के काम को खुशी खुशी करने मे सुविधा होगी,दादाजी कहते थे सफल ब्यक्ति के पास नियम संयम तरीका और सलीका ही होता है जिसकी बदौलत आप ऊँचाई को चूम सकते हो,छोटे से जीवन को दीर्घायु आरोग्य और अनुक्रणीय बना सकते हो,तभी नैना कहती है दीदी मै भी अपना होम वर्क कर चुकी हूँ,नंदा ने यहाँ पहुँचते ही कह दिया था ,बड़ी दीदी कड़क तो है लेकिन बीच वाली दीदी तो खण्डूड़ी जी से भी शख्त है ,वह बाहर है दीदी कहती है वह ऐसा इनाम लेकर लौटेगी देश को तो गर्व होगा ही साथ ही उसकी सफलता से दुनियां चौंक जायेगी,पहाड़ों के प्रति राज्य तो दूर की बात राष्ट्र और दुनियाँ का ध्यान आकर्षित होग।लेकिन अधिक नहीं बताया।तभी बड़ी दीदी रूकमणी कहती है,मुझे तुम दोनो बहिनों पर गर्व है ,रही बात बीच वाली दीदी की वह समय बतायेगा उस पर तो अभी कोई चर्चा नहीं।तभी नंदा कहती है दीदी आप कल सेमिनार मे जा रही हैं ,प्लीज प्लीज एक बार हमे भी सुनायें आप वहाँ क्या कहेंगी ,नंदा और नैना के आग्रह को स्वीकार करते हुये ,मीठी मुस्कान विखेरते हुये कहती है,नंदा पेंटिंग लेकर आऔ फिर सोचती हूँ।नंदा दौड़कर पेंटिंग लाती है ,पेंटिंग 3×2फिट के सफेद पेपर है और बाहर से बंद है,रूकमणी के सम्मुख खड़ी होकर ,
नंदा कहती है दीदी वादा करों अपना भाषण सुनाओगी,दीदी कहती है पक्का,फिर आराम से पेंटिंग को खोलकर नैना और रूकमणी आश्चर्यचकित होकर,प्रसन्नता से इतने भाव विभोर होती हैं तीनों की आँखों से मोती लुढकने लगते हैं फिर रूकमणी नंदा और नैना को अपने सीने से चिपकाकर खूब आशीष और शुभकामना बाँटती हैं।रूकमणी कहती है नंदा तुम ही दादा जी की नंबर वन नातिनी बनोगी,नंदा कहती है दीदी हम सभी नंबर वन बनेंगी।रूकमणी नंदा द्वारा निर्मित पेंटिंग को बारीकी से देखती है और उसका चेहरा नंदा के प्रति गौरव और सम्मान का प्रदर्शन कर रहा है।पेंटिंग मे तीन ऊँची आसमाँ को चूमती चोटियाँ हैं,इन चोटियों के ऊपरी टाॅप पर हरे भरे मखमली बुग्याल को चरते हुये कस्तूरी मृग दिख रहें हैं,इन बुग्यालों मे मोनाल पंछी का एक जोड़ा स्वछन्द विचरण करता हुआ दिखता है,बुग्यालों की ढलानों पर नाना प्रकार की वनौषधि और उनके रंग विरंगे पुष्प मंद हवाऔं मे ऐसे झूम रहे हों मानों गंगा की लहरें उत्सव मना रही हों ,बुग्यालों से सटे नीचे की ओर देवदार और थुनेर के घने जंगल और उनकी ओट मे छिपे तेन्दुये को दिखाया गया है,इस वन के नीचे चोटी पर क्रमवार शोभित काफल के फल और बुराँस के फूलों से भरा जंगल यहाँ पच्छियों की बड़ी शंख्या बुरांश के पुष्प का मकरंद लेने मे मसगूल हैं,
उसके नीचे सेब के पेड़ों पर श्वेत पुष्प और अखरोट के पेड़ों पर हरी बाल इनके ऊपर मण्डराती मधुमक्खियाँ,इनकी तलहटी मे हीसर ,किरमोड़,चायपत्ती,बड़ी इलायची और हल्दी जैसे पौधे,उसके नीचे ढालदार ढलान पर एक गहरी और लंबी नहर जिसके दोनो छोरों और मध्य मे बड़े बड़े जल भण्डार के तालाब,नीचे खेत और इन सीढी नुमा खेतों के मध्य सुन्दर फूलों के गुलदस्ता जैसा दिखता पारंपरिक शैली मे बसा गाँव,इस गाँव के ऊपरी छोर पर दो विशाल पीपल पेड़ ,मंद मंद बहती हवा और रिम झिम नृत्य करती हुई धरा को चूमती वर्षा की बूँदे,दोनो पीपल के पेड़ की लतायें इस मंद हवा मे आपस मे एक दूसरो को मधुर श्पर्श करती हुई,जिस ओर जंगल हरियाली और गाँव है ,उस ओर आसमाँ भी मेहरवान है,वहाँ बादल लगे हैं और वर्षा की फुहार गिर रही है,ऊँचे बुग्यालों से होकर वन से गुजरता हुवा जल बड़ी नहर मे गिर रहा है ,वहाँ से तीन बड़े तालाबों मे इकट्ठा होकर फिर खेतों की रोपाई के लिये छोटी छोटी नहरें जुड़ी हुई हैं ,इन तीन चोटियों के मध्य पीपल के वृक्षों संग ऊँची कद काठी के एक आदमी का चित्र बना है जिसके हाथ पर दादा जी के हाथ वाली घड़ी जैसे बनी है ,उनके सम्मुख तीन बेटियाँ खड़ी हैं और मुस्करा संवाद कर रही हैं ।ठीक इन तीन चोटी और गाँव के सम्मुख छोटी बड़ी कई चोटियों को दिखाई गई हैं ,जैसा कि आसमान आधा बादलों से ढका है और तो ठीक इस तेज धूप लगी है,इनकी चोटियाँ भूस्खलन से खण्डित हैं,जंगल छितरे हुये हैं ,भूखे और चिपटे पेट वाले बंदरों के झुण्ड हैं ,टूटे फूटे उजड़े घर हैं सारे लोग जिनकी कमर झुकी है,छोटे छोटे बच्चों के सफेद लंबे बाल और पेट और रीढ की हड्डी चिपकी है,औरतें और पुरूष मानो सब कुछ लुट गया हो और टकटकी लगाये सामने वाली हरी भरी खुशहाल चोटी,हरे भरे सम्मपन्न वन ,बाग बगीचे लहलहाते खेत,मुस्कराते गाँव और उस बृद्ध और उन तीन बेटियों की ओर जो समृद्धि का संवाद संग वर्षा की फुहार का दृष्य है ,नवजीवन के संचार की मौन रूप मे आशीष की प्रतीक्षा कर रहे हैं।
रूकमणी ,नंदा की पेंटिंग से गदगद है उसका जो ब्याख्यान अगले दिन सेमिनार मे है उसका तो सारा सार इस पेंटिंग मे है,नंदा को सैल्यूट करती है और कहती है नंदा सच मे तुम ही मेरे महान दादा की अनमोल वैचारिक विरासत की पहली हकदार है।तुम भले छोटी हो लेकिन मेरे लिये दादा जी के बाद तुम्ही प्रेरणादाई हो,मै तुम्हारी चिंता समझती हूँ ,नंदा कहती है दीदी हम एक सौ एक फीसदी इस पेंटिंग मे दिखाये गये दादा जी के संकल्प को साकार करेंगी,बस एक टीस है आखिर जिनकी असल जिम्मेदारी है वो क्यों मौन है,हम तो यह भी नही समझ पाते वो सब जो घड़ियाली आँसू बहाते हैं उसके पीछे भी षडयंत्र ही निकलता है,रूकमणी और नंदा के साथ नैना कहती है ,हम होंगे कामयाब,हम करेंगे बदलाव की शुरूआत।
क्रमश:जारी
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