देहरादून। विगत दिनों लालतप्पड़ (डोईवाला क्षेत्र) में किडनी खरीद-फरोख्त/ट्रांसप्लांट प्रकरण में वांछित एक और अभियुक्त पुलिस के हत्थे चढ़ा है। पुलिस को घटना के दिन से फ़रार चल रहे आरोपी को गिरफ़्तारी के साथ ही कई अहम सुराग़ हाथ लगे हैं।
पुलिस ने आज मुखबिर की सूचना पर अभियुक्त राजीव कुमार चौधरी पुत्र स्व0 श्री सुरेन्द्रपाल पाल सिंह नि0 14/41 आदर्श नगर बिनोली रोड बडौत बागपत को मय कार देव संस्कृति विश्वविद्यालय गेट के सामने गिरफ्तार किया। राजीव चौधरी राज्य छोडकर भागने की फिराक में था। राजीव चौधरी की कार की डिग्गी से बरामद एक कम्प्यूटर कैबनेट जिस पर ASUS का DVD राईडर लगा है एवं पीले रंग की गत्ते की फाईल मिली, जिसमें कॉलेज से सम्बन्धित कई महत्वपूर्ण दस्तावेज व मेडिकल रिपोर्ट है। पुलिस राजीव चौधरी की चल-अचल सम्पत्ति एवं आपराधिक इतिहास की जानकारी प्राप्त कर रही है।
कौन है राजीव
राजीव का जन्म एक सम्पन्न परिवार में हुआ था। राजीव के पिता BDO थे तथा राजीव ने अपनी पढाई बडौत से ही शुरू की थी। उसने BSc Agriculture एवं फिर M.A. Economics किया। सन् 1998 में उसने स्नेह से शादी की जिससे उसको एक बेटा है फिर वर्ष 2000 में उसका तलाक हो गया। वर्ष 2004 में दूसरी शादी अर्चना से की जिससे एक लडकी हुई तथा वर्ष 2013 में उसका फिर से तलाक हो गया, फिर वह अनुपमा के सम्पर्क में आया जो पहले से तलाकशुदा थी। दोनों ने वर्ष 2014 में विवाह कर लिया।
राजीव शुरू से जल्दी-जल्दी पैसा कमाना चाहता था। वर्ष 1999 में उसने हरिद्वार में BSNL अन्डर ग्राउण्ड केबिल बिछाने का टैण्डर लिया था। टैण्डर खत्म होने के बाद वह हरिद्वार में प्रोपर्टी डीलिंग का कार्य करने लगा। फिर उसके बाद उसने लक्सर में खनन का काम भी शुरू कर दिया और साथ -साथ प्रोपर्टी डीलिंग का कार्य भी करता रहा। वर्ष 2005 में अपने एक मित्र अब्बास, जो कि अब दुबई में रहता है, के माध्यम से राजीव की जान-पहचान डॉ0 अमित से हुई।
राजीव ने अपनी पत्नी अनुपमा को नेचरविला में मैनेजर की नौकरी दिलायी और यहां से इनकी उत्तरांचल डेन्टल कॉलेज के चेयरमेन पाण्डे से भी जान -पहचान हो गयी। वर्ष 2016 में डॉ0 अमित ने जब राजीव से देहरादून में एक हॉस्पिटल खोलने की बात कही तो राजीव चौधरी ने उत्तरांचल डेन्टल कॉलेज के चेयरमैन पाण्डे से बात कर जुलाई 2016 में डॉ0 अमित को गंगोत्री चेरिटेबिल हॉस्पिटल लालतप्पड की बिल्डिंग को लीज पर दिलाया। उसके बाद राजीव चौधरी के द्वारा ही उक्त हॉस्पिटल की फिनिशिंग की गयी जिसमें कि डॉ0 अमित का एक साथी भी शामिल था।
इन लोगों ने ही हॉस्पिटल में उपकरण लगाए थे। तीन-चार माह में कार्य खत्म होने पर राजीव चौधरी डॉ0 अमित के साथ इस हॉस्पिटल को चलाने लगा। जब हॉस्पिटल से मोटी कमाई होने लगी तो राजीव चौधरी ने अपनी पत्नी को वहां पर कैन्टीन भी दिला दी। राजीव चौधरी पूरे किडनी प्रकरण में सम्मिलित था, उसके द्वारा ग्राहकों को हॉस्पिटल में लाया जाता था, जिससे राजीव चौधरी को हॉस्पिटल से अच्छी कमाई होने लगी।