उत्तराखंड

प्राथमिक स्तर पर सुविधाएं मानव संसाधन जुटाने का किया जा रहा प्रयास..

गणित की प्रासंगिकता को लेकर राज्य स्तरीय वेबीनार संपंन..

राज्य भर के साढ़े चार हजार शिक्षको ने किया प्रतिभाग..

रुद्रप्रयाग:  प्राथमिक कक्षाओं में आरंभिक भाषा गणित को लेकर नई शिक्षा नीति के आलोक में शिक्षण किस प्रकार हो? विषय को लेकर उत्तराखंड शिक्षा विभाग व अजीम प्रेमजी फाउण्डेशन की एक संयुक्त वेबीनार निदेशक अकादमिक शोध एवं प्रशिक्षण श्रीमती सीमा जौनसारी और निदेशक स्कूल ऑफ एजुकेशन, स्कूल ऑफ कन्टीन्यूइंग एजुकेशन एवं यूनिवर्सिटी रिसोर्स सेन्टर अजीम प्रेमजी विश्वविद्यालय बेंगलूरू कर्नाटक के संयुक्त तत्वावधान में संपंन हुई, जिसमें राज्य भर के साढ़े चार हजार से अधिक शिक्षकों ने प्रतिभाग किया।

वेबीनार का शुभारंभ करते हुए निदेशक शिक्षा विभाग उत्तराखंड सीमा जौनसारी ने कहा कि विभाग ने वर्ष 2023 तक राज्य के सभी बच्चों को बुनियादी साक्षरता तथा अंक ज्ञान समयबद्ध ढंग से देने का लक्ष्य रखा है। राज्य द्वारा बुनियादी साक्षरता और संख्या ज्ञान को सीखने के संकट को तात्कालिक संकट के रूप में रेखांकित किया गया है। उत्तराखंड राज्य में 11,640 प्राथमिक स्कूल हैं, जिनमें विद्यालयों में बुनियादी सुविधाएं और मानव संसाधन जुटाने का प्रयास किया जा रहा है। राज्य में मूलभूत भाषाई दक्षताओं और गणितीय संक्रियाओं पर विशेष ध्यान दिए जाने के लिए मिशन कोशिश और प्रतिभा दिवस जैसे कार्यक्रम पहले ही संचालित हैं, जिसके सकारात्मक परिणाम भी मिले हैं लेकिन अभी भी और प्रयास किये जाने की आवश्यकता है।

 

 

उन्होंने कहा कि कोविड महामारी के कारण ये प्रयास बुरी तरह प्रभावित हुये हैं, लेकिन अध्यापकों के सहयोग से विभाग का पूरा प्रयास रहा है कि हम अधिक से अधिक अधिक बच्चों तक ऑन लाइन माध्यमों से पहुंच बनाये रखें, मगर फिर भी गरीब तबके के वे बच्चे जिनके अभिभावकों के पास नेट सुविधा युक्त मोबाइल नहीं हैं, वे ऑनलाइन माध्यम से मुख्य धारा से नहीं जुड़े रह पाये। राज्य के डायट के माध्यम से प्रयास किया गया कि ऐसे बच्चों तक हम ऑफ लाइन माध्यमों से पहुँचें, इसके लिए निरंतर विभाग प्रयासरत है।

उन्होंने ऐसे अध्यापकों को भी धन्यवाद दिया जिन्होंने अपने स्तर से भी कोरोना काल में छात्रों के शिक्षण के लिए प्रयास किये, जिससे बच्चे आंशिक रूप से ही सही पठन-पाठन गतिविधियों से जुड़े रहे। उन्होंने कहा कि हमें यह भी समझना पड़ेगा कि तकनीकी की भी अपनी सीमायें और चुनौतियां होती हैं। मुख्य वक्ता अजीम प्रेमजी विश्वविद्यालय बेंगलूरू की इन्दु प्रसाद ने कहा कि बच्चे के लिए बुनियादी साक्षरता और संख्या ज्ञान क्यों महत्वपूर्ण है? इस बात को नई शिक्षा नीति में असरदार ढंग से रखा गया है।

 

 

उन्होंने कहा कि नई शिक्षा नीति में इस बात पर जोर दिया गया है कि बुनियादी शिक्षा और संख्या ज्ञान बच्चे की आगे की पढ़ाई और जीवन पर्यन्त सीखने के लिए आधार का काम करते हैं, इसलिए इस पर ध्यान दिया जाना नितान्त आवश्यक है। अगर बच्चे इन कौशलों में पिछड़ जाते हैं तो वे वर्षों तक इसकी भरपाई करने में असमर्थ रहते हैं। इसी कारण हमारे देश के बच्चों का एक बड़ा तबका स्कूलों से बाहर हो जाता रहा है, जिनकी संख्या की बहुत से यूरोपीय देशों की कुल जनसंख्या के बराबर है। हमें बुनियादी साक्षरता तथा अंक ज्ञान को राष्ट्रीय प्राथमिकता में लाना होगा।

इसके लिए उपाय सुझाते हुए इन्दु प्रसाद ने कहा कि हमें बच्चों के साथ खूब संवाद, बातचीत और पढ़ने लिखने की गतिविधियों पर ध्यान देना होगा। कक्षा कक्ष में दैनिक पठन-पाठन में भाषाई व गणितीय खेल, कहानियों के समावेश के साथ कक्षा में ही बच्चों को तथा बच्चों के साथ नाटक के अवसर भी सृजित करने होंगे। बच्चों के साथ मिलकर इसके लिए खूब सारा टी एल एम भी निर्मित करना होगा।

उन्होंने कहा कि बच्चों द्वारा कृत कार्य और उनकी भावनाओं का आदर करते हुए कक्षा में उनके कार्य का प्रदर्शन दीवारों व अन्य माध्यमों से करना एक बढ़िया तरीका हो सकता है। समय समय पर बच्चों के अभिभावकों के साथ मिलकर भाषा व गणित मेलों का आयोजन कर उनके कौशल में वृद्धि करने के अवसर ढूंढे जा सकते हैं। यू ट्यूब पर संचालित इस वेबीनार के तकनीकी पक्ष को माधव गैरोला और संचालन जगमोहन कठैत ने किया।

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