उत्तराखंड

परम्पराओं को संजोये रखने के लिए बेहतरीन पहल: भट्ट

गुप्तकाशी में फुलारी महोत्सव का आयोजन
फुलारी प्रतियोगिता में आशुतोष एंड टीम को मिला प्रथम पुरस्कार
रुद्रप्रयाग। गुप्तकाशी मे आयोजित फुलारी महोत्सव धूमधाम से मनाया गया। इस दौरान नन्हें-मुन्हें बच्चों ने घोघा डोली को कंधे पर सजाकर ढोल-दमाउ और घोघा माता के जयकारों के साथ विश्वनाथ मंदिर से मुख्य बाजार गुप्तकाशी तक नृत्य किया। सोसायटी फाॅर होली हिमालया की अगुवाई में गत वर्षांे की भांति इस वर्ष भी फुलारी महोत्सव आयोजित कर सभी प्रतिभागी फुलारी टीमों को सम्मानित भी किया गया।
कार्यक्रम के मुख्य अतिथि पूर्व जिला पंचायत अध्यक्ष चण्डी प्रसाद भट्ट ने कहा कि पर्वतीय परंपराओं और रीति-रिवाजों को संजोये रखने के लिए संस्था की यह बेहतरीन पहल हैै। चैत मास के शुभारंभ होते ही पर्वतीय क्षेत्र मे स्थित सभी पर्वत चांदी की भांति चमकने लगते हैं। साथ ही फ्यंूली, बुरांश, कुखड़ी, अमलतास आदि के फूलांे की महक चारों ओर बिखर जाती है।

ऐसे में प्रातः काल बच्चों द्वारा लोगों की डेहरियों पर फूल डालकर उनके सुख समृद्धि की कामना करते हैं। उन्हांेने सरकार से फुलारी महोत्सव को बाल पर्व के रूप में मान्यता देने की अपील की है। श्री भट्ट ने कहा कि लोक परंपराआंे को जीवित रखने की दिशा मंे सभी लोगों को सामूहिक कार्य करने चाहिए। कार्यक्रम से पूर्व होली हिमालया की अध्यक्ष लता ने सभी अतिथियों का माल्यापर्ण कर स्वागत किया। प्रातः काल विभिन्न गावांे से आये फुलारी टीमों ने अपने वाद्य यन्त्रों और घोघा माता के जयकारो के बीच क्षेत्रीय मांगल व वीर गीतों के साथ विश्वनाथ मंदिर से मुख्य बाजार तक यात्रा निकालकर नृत्य कर लोगों को मंत्रमुग्ध कर दिया। उसके बाद विश्वनाथ मंदिर में सभी प्रतिभागी टीमों ने गढ़वाली भाषा पर आधारित गीतों पर नृत्य किया। फुलारी प्रतियोगिता में प्रथम आशुतोष एंड टीम, द्वितीय संजय एंड टीम, तृतीय नरसिंह मंगल टीमों को सम्मानित कर अन्य टीमों को सांत्वना पुरस्कार दिया गया। इस अवसर पर ग्राम प्रधान गुप्तकाशी मदन अग्रवाल, रघुवीर सिंह अश्वाल, विनोद जमलोकी, प्रदीप सेमवाल, सुदर्शन सिंह नेगी, धर्म सिंह, महेन्द्र सिंह कमल सिंह, मनोज बैंजवाल समेत सैकडों की तादात में लोग मौजूद थे।

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