उत्तराखंड

आंदोलनकारियों ने मुख्यमंत्री के बयान को बताया अलोकतांत्रिक

गैरसैंण में पक्ष में जगह-जगह लामबंद हो रहे लोग
20 मार्च को गैरसैंण में होगा सरकार का घेराव
रुद्रप्रयाग। स्थायी राजधानी गैरसैंण संघर्ष समिति ने मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र रावत के गैरसैंण को लेकर दिए एक बयान की भर्तसना की है। आंदोलनकारियों का कहना है कि गैरसैंण राजधानी के मामले को उलझाने के लिए इस तरह की बयानबाजी की का रही है। आंदोलनकारियों ने कहा कि बीस मार्च को गैरसैंण में सरकार का घेराव किया जाएगा।

गौरतलब है कि मुख्यमंत्री त्रिवेन्द्र रावत ने एक समाचार पत्र से बातचीत करते हुये कहा था कि श्गैरसैंण भावनात्मक मुद्दा है, इसलिये उसका कोई महत्व नहीं है। उन्होंने स्पष्ट किया कि भारत की किसी भी राज्य की राजधानी केन्द्र में नहीं है। भारत की भी नहीं। उन्होंने कहा था कि गैरसैंण का हम विकास कर रहे हैं। वहां एक झील बना रहे हैं। मुख्यमंत्री के इस बयान की कड़ी भर्त्सना करते हुए संघर्ष समिति के केंद्रीय अध्यक्ष चारु तिवारी ने कहा कि लोकतंत्र में मुख्यमंत्री जैसे अहम पद पर बैठे किसी व्यक्ति का यह बयान न केवल घोर आपत्तिजनक है, बल्कि अलोकतांत्रिक भी है। लोकतंत्र में सबकुछ जनता की भावनाओं के अनुरूप ही होना चाहिये। जनभावना ही लोकतंत्र की आत्मा है।
हमारा संविधान भी हमारी भावनाओं, आकांक्षाओं, उत्कंठाओं और बेहतरी के सपनों को साकार करने के लिये बना है। हमारी भावनाओं के अनुरूप ही कानून भी बनते हैं। हमारी सामाजिक, सांस्कृतिक, आर्थिक और रोजमर्रा के जीवन से जुड़ी सभी संवैधानिक संदर्भों में हामरी भावनायें परिलक्षित होती हैं। जनता द्वारा चुना गया कोई प्रतिनिधि अगर जनता की भावनाओं का सम्मान करना नहीं जानता तो वह अलोकतांत्रिक ही है। उन्होंने कहा कि सरकार का प्रतिकार करने के लिए चैखुटिया से गैरसैंण के लिए युवाओं की एक बाइक रैली निकल रही है। साथ ही अल्मोड़ा से परिवर्तन पार्टी के कार्यकर्ता गैरसैंण के लिए पैदल यात्रा निकाल रहे हैं। पिथोरागढ़ में सीमांत युवा संघर्ष मोर्चा के कार्यकर्ता भी गैरसैंण के लिए आगे आए हैं।

गैरसैंण राजधानी संघर्ष समिति रुद्रप्रयाग के अध्यक्ष मोहित डिमरी ने कहा कि गैरसैंण हमारी भावनाओं का मुद्दा है। गैरसैंण हमारी 42 शहादतों की भावनाओं से जुड़ा है। राज्य आंदोलन में शामिल उन तमाम लोगों की भावना से जुड़ा है जो एक बेहतर भविष्य का सपना लेकर आंदोलन में कूदे थे। इसलिये मुख्यमंत्री को गैरसैंण को इतने हल्के में नहीं लेना चाहिए। आंदोलनकारी प्रदीप सती, संजय घिल्डियाल, गंगा असनोडा थपलियाल, उमा घिल्डियाल ने कहा कि हमारी मांग है कि पहाड़ की राजधानी पहाड़ में होनी चाहिये, जिसके लिये गैरसैंण से बेहतर और कोई जगह नहीं हो सकती। यह राज्य के केन्द्र में है यह बात हमारे लिये और अच्छी है। देश के किसी भी पर्वतीय राज्य की राजधानी मैदान में नहीं है। मुख्यमंत्री गैरसैंण पर कुतर्क गढ़ रहे हैं।

गैरसैंण राजधानी संघर्ष समिति गैरसैंण के अध्यक्ष नारायण सिंह बिष्ट, ज्येष्ठ प्रमुख गम्भीर सिंह नेगी, बल्ली सिंह बिष्ट, राजेंद्र बिष्ट का कहना है कि गैरसैंण उत्तराखंड के विकास के विकेन्द्रीकरण की एक समझ का नाम है। गैरसैंण के आलोक में हम एक पर्वतीय राज्य होने के अहसास का अहसास कर सकते हैं। सरकार ने गैरसैंण राजधानी घोषित नहीं की तो सरकार को इसकी कीमत चुकानी ही होगी।

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