उत्तराखंड

गुलदार ने पंजा मारा तो गुलदार से भिड़ गया युवक..

गुलदार ने पंजा मारा तो गुलदार से भिड़ गया युवक..

उत्तराखंड: अब तक गुलदार द्वारा राहगीरों पर झपट्टा मारकर घायल करने की घटनाएं होती रही हैं, लेकिन शनिवार रात गन्ने के खेत से निकल रहे गुलदार से एक दूधिया और गन्ना सेंटर इंचार्ज जा भिड़े। इससे उनके होश उड़ गए। भिड़ंत के बाद हड़बड़ाए गुलदार ने गन्ना सेंटर इंचार्ज के हाथ में पंजा मार दिया। इससे वह घायल हो गए। हालांकि दूधिये को चोट नहीं आई है। वहीं ग्रामीणों में दहशत का माहौल है। वहीं वन विभाग अब पिंजरा लगाने की तैयारी कर रहा है। नादेही चीनी मिल ने ग्राम तीरथ के नाम से पतरामपुर में गुरुद्वारे से आगे गन्ना सेंटर बनाया हुआ है।

सेंटर पर रोजाना गन्ना एकत्र हो रहा है। इस पर 55 वर्षीय अनिल शर्मा की ड्यूटी लगाई गई है। बताते हैं कि शनिवार रात अनिल शर्मा सेंटर से तौल बंद कराकर जसपुर आ रहे थे। गुरुद्वारे के पास पीछे से बाइक सवार दूधिये ने उन्हें क्रॉस किया। इस दौरान गन्ने के खेत से निकला गुलदार सड़क पार कर रहा था। तभी दूधिये की केन गुलदार के मुंह पर लग गई। इससे पहले गुलदार संभल पाता, तभी अनिल शर्मा की बाइक भी गुलदार से भिड़ गई। गुलदार को देखकर अनिल शर्मा के होश उड़ गए।

 

 

जबकि हड़बड़ाहट में उठा गुलदार अनिल शर्मा के हाथ पर पंजा मारकर खेतों में छुप गया। शोर मचाने पर आये ग्रामीणों ने उन्हें उठाया और एक निजी अस्पताल में उपचार कराकर घर भेज दिया। गुलदार की आमद की सूचना ग्रामीणों ने वन विभाग को दी।

रेंजर आनंद रावत ने बताया कि गुरुद्वारे के एक सौ मीटर के दायरे में गुलदार के घूमने की सूचना पर पिंजरा लगाया जाएगा। वहीं गुलदार की आमद से ग्रमीणों में दहशत है। वन विभाग किसानों से आग्रह कर सड़क किनारे का गन्ना कटवा रहा है। रेंजर ने बताया कि गन्ना सेंटर पर आने वाले किसानों की सुरक्षा के लिए यह कदम उठाया गया है। बताया कि गुलदार को पकड़ने के लिए पिंजरे के पास ट्रैप कैमरे भी लगाये जायेंगे। साथ ही गश्त बढ़ा दी गई है।

 

 

पतरामपुर क्षेत्र में मादा गुलदार कई लोगों पर झपट चुकी है। बीती 27 नवंबर को पतरामपुर निवासी पिता-पुत्र पर घर लौटते समय गुलदार ने हमला कर दिया था। इसी रात कालू सैयद मजार से लौट रहे साइकिल सवार को झपट्टा मारकर घायल कर दिया था। इससे ग्रामीणों में दहशत का माहौल है।

शाम के समय ग्रामीण घरों से बाहर निकलने में डर रहे हैं। जरूरी होने पर समूह में जा रहे हैं। साथ ही बच्चों को लेकर भी ग्रामीण चिंतित रहते हैं। रेंजर आनंद रावत ने बताया कि मादा गुलदार के साथ दो शावक भी हैं। वह लगातार अपना स्थान बदल रही है। इस वजह से वह पिंजरे में कैद नहीं हो पाई है।

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