उत्तराखंड

उत्तरकाशी में बच्ची को जन्म देने के डेढ़ घंटे बाद महिला की मौत..

लंबी बीमारी के बाद बीएसएफ जवान का निधन...

परिजनों ने लगाया डॉक्टरों पर लापरवाही का आरोप…

शव लेने से इनकार, एसडीएम के समझाने पर माने…

उत्तराखंड : उत्तरकाशी सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र, नौगांव में एक महिला की बच्ची को जन्म देने के डेढ़ घंटे बाद ही मौत हो गई। बुधवार को मृतका के परिजनों ने अस्पताल प्रशासन पर लापरवाही का आरोप लगाते हुए जमकर हंगामा किया। दोषियों पर कार्रवाई तक शव उठाने से इनकार कर दिया। एसडीएम के समझाने के बाद ही उन्होंने शव का अंतिम संस्कार कराया।

जानकारी के अनुसार डुंडा ब्लॉक के मैनोल गांव निवासी नीरज डबराल की पत्नी बबीता (24) गर्भवती थी। वह बीते दिनों नौगांव ब्लॉक स्थित अपने मायके चपटाड़ी गांव आई थी। सोमवार रात प्रसव पीड़ा होने पर परिजनों ने उसे सीएचसी नौगांव में भर्ती कराया। मंगलवार शाम करीब सवा चार बजे बबीता ने एक स्वस्थ बच्ची को जन्म दिया।

लेकिन प्रसव के करीब डेढ़ घंटे बाद ही उसकी मौत हो गई। बुधवार को मृतक महिला के परिजनों ने अस्पताल प्रशासन पर लापरवाही का आरोप लगाते हुए विरोध प्रदर्शन किया। आरोपियों पर कार्रवाई किए जाने तक महिला का शव न उठाने की चेतावनी दी।

महिला के पति नीरज डबराल, जिला पंचायत सदस्य आनंद राणा, पवन पंवार, अवतार रावत, केशव सेमवाल, अनीता देवी आदि का आरोप था कि सीएचसी में बीती मार्च से अल्ट्रासाउंड जांच ठप है। इसी वजह से गर्भावस्था के दौरान महिला की अल्ट्रासाउंड जांच नहीं हो सकी। उन्होंने इस संबंध में डीएम को भी ज्ञापन भेजकर दोषियों पर कार्रवाई की मांग की। इस बीच एसडीएम सोहन सैनी ने मौके पर पहुंचकर परिजनों को उचित कार्रवाई का भरोसा दिया। इसके बाद ही परिजनों ने महिला का पोस्टमार्टम कराकर उसका अंतिम संस्कार किया।

डीएम ने दिए मामले की जांच के आदेश…

सीएचसी नौगांव में प्रसव के बाद महिला की मौत के मामले में डीएम डॉ. आशीष चौहान ने जांच के आदेश दिए हैं। उन्होंने एसडीएम बड़कोट और सीएमओ को जांच अधिकारी नियुक्त किया है। मामले में किसी की भी लापरवाही पाए जाने पर कठोर कार्रवाई के निर्देश दिए हैं।

महिला का हीमोग्लोबिन बहुत कम था। परिजनों को बड़े अस्पताल में प्रसव कराने का सुझाव दिया था। लेकिन उन्होंने आर्थिक स्थिति का हवाला देते हुए सीएचसी में ही प्रसव कराने की बात कही। जटिल ऑपरेशन के बाद महिला ने स्वस्थ बच्ची को जन्म दिया। लेकिन अधिक रक्तस्त्राव होने के कारण उसे बचाया नहीं जा सका।
-डॉ. निधि रावत, एमएस, सीएचसी

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