सयुंक्त राष्ट्र के मुख्यालय न्यूयॉर्क में आयोजित न्यू अर्बन एजेंडा और यूएन हैबिटाट की मीटिंग में डॉ. वीरेंद्र रावत ने ऑब्सर्बर के तौर पर देश का प्रतिनिधित्व किया ।
इस उच्च स्तरीय मीटिंग में विश्व के 193 देशों के प्रतिनिधियों ने भाग लिया और इस मीटिंग में ऑब्सर्बर के तौर पर सिर्फ तीन देशों के ही लोगों ने प्रतिनिधित्व किया। ये थे इटली के कुसिया ब्रेबो, लेबनान देश से मोहब्बत और भारत से डॉ. वीरेंद्र रावत।
मूलरूप से टिहरी गढ़वाल में प्रतापनगर ब्लॉक की उपली रमौली में हेरवाल गांव में मुकुंद सिंह रावत व बच्चा देवी रावत के घर जन्मी छह संतानों में सबसे बड़े वीरेंद्र रावत की प्रारंभिक शिक्षा दीन गांव में हुई। उन्होंने राजकीय इंटर कालेज तोलीसैण, टिहरी से 12वीं करने के बाद गढ़वाल विवि से स्नातक की पढ़ाई पूरी की। 1994 में वह नौकरी के सिलसिले में अहमदाबाद चले गए, जहां उन्होंने 1200 रुपये वेतन पर नौकरी की। रावत पर उत्तराखंड की हरियाली का गहरा असर था। वर्ष 2010 में उन्होंने अहमदाबाद में पहले ग्रीन स्कूल की स्थापना की।
आज वीरेंद्र रावत सीबीएसई के 10 से अधिक संबद्ध ग्रीन स्कूलों के संचालक होने के साथ ही 100 से अधिक ग्रीन स्कूलों की देखरेख का जिम्मा संभाल रहे हैं। भारत में ग्रीन एजूकेशन के क्षेत्र में दिशा निर्देशक के तौर पर वह 100 सबसे सफल निर्देशकों में गिने जाते हैं। डॉ वीरेंद्र रावत पहले ऐसे भारतीय भी हैं, जिन्हें बोस्टन यूनिवर्सिटी अमेरिका ने अपने आठवें वार्षिक एमए ग्रीन स्कूल समिट के लिए आमंत्रित किया और सम्मानित किया।