उत्तराखंड

दो बच्‍चों की तालाब में डूबने से मौत….

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टहलने की बात कहकर घर से निकले दो मासूमों की मत्स्य विभाग के तालाब में डूबने से मौत…

एक ही स्‍कूल में सातवीं क्‍लास में पढ़ने वाले दो बच्‍चों की तालाब में डूबकर मौत

ऊधमसिंहनगर : टहलने की बात कहकर घर से निकले दो मासूमों की मत्स्य विभाग के तालाब में डूबने से मौत हो गई। दोनों एक ही मोहल्ले में रहने के वाले थे। एक ही स्कूल में कक्षा सातवीं के छात्र थे। इस घटना से दोनों के परिवार में कोहराम मचा हुआ है। सूचना से दोनों की मां गश खाकर बेहोश हो गई। उन्हें भी अस्पताल में भर्ती कराया गया।

हिलव्यू कलोनी वार्ड 20 के रहने वाले धन सिंह बोरा का 13 वर्षीय पुत्र निखिल सिंह व हिलव्यू कंजाबाग शिव मंदिर के समीप अर्जुन गिरी का 13 वर्षीय पुत्र दीपक गिरी अलक्ष्या पब्लिक स्कूल में सातवीं कक्षा के छात्र थे। दोनों सहपाठी होने के साथ ही गहरे मित्र भी थे। सोमवार को स्कूल का अवकाश होने की वजह से दोनों घर पर ही थे। सुबह करीब 6.30 बजे दोनों टहलने जाने की बात कहकर घर से निकले थे। 7.55 बजे दूध डेयरी के पीछे स्थित मत्स्य विभाग के तालाब में दो मासूम डूबे हुए दिखाई दिए।

जिसकी सूचना मत्स्य निरीक्षक अमित कुमार कुशवाहा ने कोतवाल संजय पाठक को दी। कुछ ही देर बाद एसडीएम निर्मला बिष्ट, सीओ महेश बिंजोला व कोतवाल पाठक घटनास्थल पर पहुंचे। साथ ही दोनों को बाहर निकालकर नागरिक चिकित्सालय पहुंचाया, जहां चिकित्सकों ने उन्हें मृत घोषित कर दिया। इस बीच बच्चों की तलाश में उनके परिजन भी अस्पताल पहुंच गए। उनकी शिनाख्त करते ही परिजनों पर दुखों का पहाड़ टूट पड़ा। दीपक की मां निर्मला देवी व निखिल की मां मीना देवी अपने लाड़लों के शव देखकर गश खाकर गिर पड़ी। उन्हें महिला पुलिस कर्मियों ने लोगों की मदद से बमुश्किल संभालकर अस्पताल में भर्ती कराया।

निखिल के पिता धन ङ्क्षसह सेना से सेवानिवृत हैं। वे मूलरूप से चंपावत जनपद के लोहाघाट के रहने वाले हैं। परिवार में उनका बड़ा बेटा रितिक सिंह बोरा है, जबकि दीपक की सात वर्ष की छोटी बहन अनुष्का है। उसके पिता अर्जुन दिल्ली में प्राइवेट नौकरी करते हैं, जो मूलरूप से पिथौरागढ़ जनपद के मल्लागर्खा गंगोलीहाट के रहने वाले हैं। वे यहां पिछले कई वर्षों से किराए के मकान में रह रहे हैं।

गेट फांदकर अंदर घुसे थे मासूम :

पुलिस व मत्स्य विभाग के अधिकारियों का कहना है कि दोनों मासूम विभाग की चाहरदीवारी व गेट फांदकर अंदर दाखिल हुए थे। क्योंकि वहां बने गेट पर बच्चों के जूतों के निशान बने हुए हैं। विभाग का गेट हमेशा बंद रहता है।

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