उत्तराखंड में खत्म होगा वन्यजीवों का आतंक, सीएम धामी ने तैयार किया मास्टर प्लान..
उत्तराखंड: उत्तराखंड में लगातार बढ़ते मानव-वन्यजीव संघर्ष को लेकर सीएम धामी ने राज्य सरकार की तरफ से बड़ा बयान दिया है। सीएम धामी का कहना हैं कि हाथी, गुलदार, भालू, नीलगाय, बंदर और जंगली सूअर जैसे वन्यजीवों के हमलों से आम जनजीवन प्रभावित हो रहा है और इससे ग्रामीण क्षेत्रों में सुरक्षा की चिंता बढ़ रही है। उन्होंने कहा कि सरकार ने इस चुनौती से निपटने के लिए एक व्यापक और चरणबद्ध कार्ययोजना तैयार की है। सीएम ने कहा कि जिन क्षेत्रों में मानव-वन्यजीव संघर्ष की घटनाएं अधिक होती हैं, वहां सोलर फेंसिंग की व्यवस्था की जाएगी। साथ ही सेंसर आधारित अलर्ट सिस्टम लगाकर ग्रामीणों और स्थानीय समुदायों को वन्यजीवों की संभावित गतिविधियों से तुरंत सतर्क किया जाएगा। इसका उद्देश्य वन्यजीवों और मानव जीवन दोनों की सुरक्षा सुनिश्चित करना है। सीएम धामी ने कहा कि सरकार वन्यजीवों की संख्या संतुलन बनाए रखने के लिए भी पहल कर रही है।
इसके तहत हर जिले में आधुनिक बंध्याकरण और नसबंदी केंद्र स्थापित किए जाएंगे, ताकि वन्यजीवों की संख्या नियंत्रित की जा सके और संघर्ष की घटनाओं में कमी आए। वन विभाग इसके लिए सभी आवश्यक व्यवस्थाएं सुनिश्चित करेगा और स्थानीय अधिकारियों के माध्यम से नियमित निगरानी रखी जाएगी। वन्यजीव विशेषज्ञों का कहना है कि यह योजना मानव और वन्यजीवों के बीच संतुलन स्थापित करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है। सरकार की इस पहल से न केवल ग्रामीण इलाकों में सुरक्षा बढ़ेगी, बल्कि वन्यजीव संरक्षण और पारिस्थितिक संतुलन को भी मजबूती मिलेगी। सीएम ने सभी जिलाधिकारियों और वन विभाग के अधिकारियों को निर्देश दिए हैं कि वे इस योजना को प्रभावी ढंग से लागू करें और लोगों को इसके बारे में जागरूक करें।
सीएम धामी ने कहा कि संवेदनशील इलाकों में वन्यजीव रेस्क्यू और रिहैबिलिटेशन सेंटर खोले जाएंगे, ताकि घायल या संकट में फंसे वन्यजीवों को सुरक्षित रखा जा सके और उन्हें पुनर्वास की सुविधा मिल सके। उन्होंने कहा कि रामनगर में टाइगर और गुलदार के लिए बनाए गए रेस्क्यू सेंटर में अब तक 25 से अधिक वन्यजीवों को सुरक्षित रखा गया है। इसी तर्ज पर भालू और अन्य वन्यजीवों के लिए भी नए सेंटर स्थापित किए जाएंगे। इसके लिए पर्वतीय क्षेत्रों में न्यूनतम 10 नाली और मैदानी क्षेत्रों में एक-एक एकड़ भूमि आरक्षित की जाएगी। सीएम धामी ने इस समस्या को शीर्ष प्राथमिकता देते हुए वन विभाग को निर्देश दिए हैं कि दो सप्ताह के भीतर पूरी रणनीति लागू की जाए। वन्यजीवों की सुरक्षा और मानव जीवन की रक्षा के लिए वन विभाग को आवश्यक संसाधनों की भी व्यवस्था करने का आदेश दिया गया है।
इसके तहत पिंजरे, ट्रेंकुलाइज गन और अन्य उपकरणों के लिए 5 करोड़ रुपए की अतिरिक्त राशि जारी की जाएगी। इसके साथ ही वन्यजीव अधिनियम के तहत नियमों को और प्रभावी बनाने की प्रक्रिया भी तेज की जाएगी। वन्यजीव विशेषज्ञों और प्रशासनिक अधिकारियों के अनुसार यह पहल मानव और वन्यजीवों के बीच संतुलन स्थापित करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है। इससे न केवल ग्रामीण क्षेत्रों में सुरक्षा बढ़ेगी, बल्कि वन्यजीवों का संरक्षण और प्राकृतिक पारिस्थितिकी को भी मजबूती मिलेगी। सीएम ने अधिकारियों से कहा कि सभी प्रयास इस तरह से किए जाएं कि वन्यजीव और मानव जीवन दोनों की सुरक्षा सुनिश्चित हो और ग्रामीणों में जागरूकता भी बढ़े। इस रणनीति से उत्तराखंड में मानव–वन्यजीव संघर्ष में कमी आएगी और राज्य के पारिस्थितिक संतुलन को बनाए रखने में मदद मिलेगी।
उत्तराखंड में बढ़ते मानव–वन्यजीव संघर्ष को लेकर सीएम धामी ने केंद्रीय वन, पर्यावरण एवं जलवायु परिवर्तन मंत्री भूपेंद्र यादव से फोन पर विस्तृत चर्चा की। सीएम धामी ने केंद्रीय मंत्री को जानकारी दी कि प्रदेश में हाथी, भालू, गुलदार, नीलगाय, बंदर और जंगली सूअर जैसे वन्यजीवों के हमलों से आम जनजीवन प्रभावित हो रहा है और इसे कम करने के लिए वन विभाग और प्रशासन द्वारा प्रभावी कदम उठाए जा रहे हैं। कहा कि हिंसक वन्यजीवों को नियंत्रित करने के लिए आवश्यक दिशा-निर्देश जारी किए गए हैं और संवेदनशील क्षेत्रों में सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए विशेष उपाय किए जा रहे हैं।
उन्होंने केंद्रीय मंत्री से अतिरिक्त संसाधनों और तकनीकी सहयोग की आवश्यकता भी जताई, ताकि मानव सुरक्षा और वन्यजीव संरक्षण के बीच संतुलन बनाए रखा जा सके। इस पर केंद्रीय मंत्री भूपेंद्र यादव ने राज्य सरकार को आश्वासन दिया कि केंद्र सरकार की ओर से हरसंभव सहायता प्रदान की जाएगी। उन्होंने विशेष रूप से वैज्ञानिक प्रबंधन, आधुनिक तकनीक और त्वरित राहत व्यवस्था को लागू करने पर बल दिया। केंद्रीय मंत्री ने कहा कि इन उपायों से न केवल मानव जीवन की सुरक्षा सुनिश्चित होगी, बल्कि वन्यजीवों के संरक्षण और उनके प्राकृतिक व्यवहार को बनाए रखने में भी मदद मिलेगी।