उत्तराखंड

पहाड़ में उम्मीदों के चिराग हैं ये कुछ खास लोग…

उम्मीदों के चिराग

पहाड़ में उम्मीदों के चिराग हैं ये कुछ खास लोग…

मौका मिले तो बदल सकते हैं पहाड की तस्वीर और तकदीर..

विडम्बना यह है कि हम अपने लोगों को स्पेस ही नहीं देते…

गुणानंद जखमोला 

उत्तराखंड : पूर्व कर्नल अजय कोठियाल ने उत्तराखंड के हजारों सैन्य अफसरों के बीच में अपनी एक अलग छवि बनाई है। कर्नल कोठियाल ने सेना में रहते हुए पाक घुसपैठियों और आतंकवादियों के साथ लोहा लिया है। उनकी वीरता और देशभक्ति का आकलन इसी बात से किया जा सकता है कि कश्मीर में आतंकवादियों के साथ हुई मुठभेड़ में उनके शरीर में दो गोलियां लगी थी जो आज भी शरीर के अंदर ही हैं। बदले में उन्होंने सात आतंकवादियों को मार गिराया था। कीर्ति चक्र, शौर्य चक्र और विशिष्ट सेवा मेडल विजेता कर्नल कोठियाल ने केदारनाथ को दोबारा से बसाने में अहम भूमिका अदा की। यही नहीं व अब तक यूथ फाउंडेशन के माध्यम से दस हजार से भी अधिक सैनिक दे चुके हैं। मौजूदा समय में म्यांमार में देश के लिए एक अहम प्रोजेक्ट पर काम कर रहे हैं।

 

मोहन काला प्रदेश ही नहीं देश के नामी उद्यमी और समाजसेवी हैं। कोरोना काल में उन्होंने 2200 लोगों को देश के विभिन्न भागों से अपने घरों को भेजने का काम किया। मुंबई से उत्तराखंड तक एक गरीब मरीज को एम्बुलेंस से पहुंचाया। वो हाल में गांव में सवा लाख से भी अधिक मास्क, सेनेटाइजर और आक्सीमीटर लेकर गांव-गांव घूमे। वो अपने गांव में एक स्कूल चलाते हैं, जिसमें हर बच्चा मुफ्त पढ़ता है। एनआईटी सुमाड़ी में निर्मित करवाने में उनका अहम योगदान है।

 

कवींद्र इस्टवाल पौड़ी इलाके में दगड्या फाउंडेशन के माध्यम से समाज सेवा कर रहे हैं। कोरोना काल में उन्होंने पौड़ी के विभिन्न इलाकों में जरूरतमंदों की मदद की। वो अपने गांव समेत कई सरकारी स्कूलों के कायाकल्प में भी जुटे हैं। ग्राउंड वाटर रिचार्ज करने के लिए चाल-खाल बनाने और प्रवासी युवाओं को स्वरोजगार से जोड़ने में जुटे हैं।

 

पहाड़ की प्रकृति, संस्कृति और उत्पादकता को बचाने में जुटे हैं युवा नेता व समाजसेवी रघुवीर बिष्ट। रघुवीर बिष्ट इन दिनों गांवों में महिलाओं के थड्या-चैंफला आदि सांस्कृतिक विरासत को बचाने में तो जुटे हुए ही हैं, साथ ही वो प्रवासियों को भी रोजगार से जोड़ने की मुहिम चला रहे हैं।

मोहित डिमरी रुद्रप्रयाग से हैं। सबसे युवा और प्रतिभाशाली। मोहित बहुत ही भावुक और पहाड़ के लिए समर्पित है। उसने समाज के हर वर्ग की लड़ाई लड़ी है। चाहे वो गांव का किसान हो या शहर का व्यापारी। महिला हो बच्चे। पिछले तीन-चार साल से वह गांव-गांव घूम रहा है और जनसेवा में जुटा है। बेघर राखी देवी को घर बनाकर देने में और कई अभावग्रस्त लोगों की मदद करने के लिए मोहित हमेशा तत्पर रहते हैं।

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