उत्तराखंड

टैक्सी यूनियनो की हड़ताल से थमी पहाड़ की जिन्दगी

टैक्सी संचालकों सामने रखी माँगे.

पूराने वाहनो में गति नियंत्रित लगाने की बाध्यता समाप्त हो.

प्रदेश की परिवहन नितिन लागू करना.

चार धाम यात्रा में बाहरी, प्राइवेट , डग्गामार वाहनों पर रोक लगे.

वर्ष 2017 मे केन्द्र सरकार द्वारा की गई फीस बृद्धि वापस हो सहित 12 माँगे है.

ऋषिकेश : पहाड़ी इलाकों में यातायात का जिम्मा सम्भाले टैक्सी -मैक्सी मालिक व चालकों की अपनी 12 सूत्रीय माॅगो को लेकर हड़ताल पर जाने से पहाड़ी के क्षेत्रों में मानो जिंदगी ठहर सी गई है । जिसका सबसे ज्यादा असर लिकं मार्गों पर देखने को मिल रहा है जहां के लोग आज भी बस सेवा न होने से अपनी दिनचर्या की सभी जरूरी वस्तुओं के लिए व आवागमन के लिए पूर्ण रूप से टैक्सीयो पर ही निर्भर है ।
उधर टैक्सी संचालकों का कहना है कि हमारे द्वारा अपनी समस्याओं को लेकर कई बार सरकार से गुहार लगाई गई किन्तु इस ओर कोई ध्यान न लिया गया जिसके बाद आज हड़ताल पर जाना ही टैक्सी संचालकों के आगे एक मात्र विकल्प है । गति नियंत्रित यंत्र लगाने के सम्बन्ध मे टैक्सी चालकों का कहना है कि पहाड़ की भौगोलिक परिस्थिति ही ऐसी है कि जहां पर किसी भी हाल मे वाहन की गति अधिकतम 50 कि0 मी0 प्रति घण्टे से ऊपर हो ही न हो सकती ऐसे में इस यंत्र लगाने का कोई औचित्य न हो रही जाता वही पुलिस व परिवहन विभाग के खिलाफ नाराजगी जताते हुए कहा कि टैक्सी संचालकों चारधाम यात्रा से पूर्व अपने वाहनों की नियमानुसार मरम्मत कर सभी प्रकार की औपचारिकता पूरी करता है लेकिन सीजन शुरू होते ही बाहरी राज्यों के डग्गामार व प्राइवेट वाहनों के हरिद्वार व ऋषिकेश से संचालन पर लगाम लगाने नाकाम साबित होते है जिसका असर सरकारी टैक्स व टैक्सी संचालकों पर पड़ता है।

Click to comment

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

To Top