त्रियुगीनारायण मंदिर रुद्रप्रयाग। शिव-पार्वती का विवाह स्थल त्रियुगीनारायण का मंदिर जल्द वेडिंग डेस्टीनेशन के रूप में विकसित होने जा रहा है। अब विश्व के सभी धर्म, जाति वर्ग के लोग यहां आकर अपना विवाह कर सकते हैं। इसके लिये शासन-प्रशासन के साथ ही रुद्रप्रयाग का गढ़ माटी संगठन पूरी मदद करेगा। इससे त्रियुगीनारायण मंदिर को एक नई पहचान मिलेगी। साथ ही तीर्थ यात्रियों की संख्या भी बढ़ेगी। त्रियुगीनारायण मंदिर में कई जानी-मानी हस्तियां विवाह के बंधन में बंधी हैं।
त्रियुगीनारायण मंदिर क्यों है खास
मान्यता है कि सृष्टि रचयिता भगवान ब्रह्मा ने पार्वती एवं शंकर का विवाह त्रियुगीनारायण मंदिर में ही कराया था। भगवान विष्णु को साक्षी मानकर राजा हिमवान ने अपनी पुत्री पार्वती का विवाह भगवान शंकर से कराया था। इस शादी मंडप की प्रज्वलित धूनी अभीतक जलती आ रही है। मंदिर में जलती यह धूनी आज भी श्रद्धालुओं को दिखाई देती है। इसके साथ ही माना जाता है कि जो व्यक्ति त्रियुगीनारायण में जलाभिषेक कर धूनी के लिए लकड़ी दान देता है, उनकी 300 पीढ़ियों को स्वर्ग प्राप्त होता है।
सोनप्रयाग से 13 किमी की दूरी पर स्थित त्रियुगीनारायण सिद्धपीठ शैव और वैष्णवों की आस्था का केन्द्र है। पौराणिक मान्यताओं के अनुसार, इस स्थान पर भगवान नारायण ने तीन रूप बामन, विनायक और नागरूप बनाए थे। इसलिए इस तीर्थ को त्रियुगीनारायण के नाम से जाना जाता है। यहां पर मुख्य आकर्षण का केन्द्र भगवान शंकर का मंदिर है।
सोनप्रयाग से 13 किमी की दूरी पर स्थित त्रियुगीनारायण सिद्धपीठ शैव और वैष्णवों की आस्था का केन्द्र है। पौराणिक मान्यताओं के अनुसार इस स्थान पर भगवान नारायण ने तीन रूप बामन, विनायक तथा नागरूप बनाए थे। इसलिए इस तीर्थ को त्रियुगीनारायण के नाम से जाना जाता है।
त्रियुगीनारायण सिद्धपीठ: आस्था का प्रतीक
त्रियुगीनारायण में जो भी श्रद्धा भाव से फूल चढ़ाकर पूजा करता है उसकी सभी मनोकामनाएं पूरी होती हैं। हर वर्ष कई लोग अपना विवाह संपन्न कराने इस मंदिर में पहुंचते हैं। इसके साथ ही निसंतान दंपत्ति भी पुत्र कामना के लिये भगवान त्रियुगीनारायण के दर्शन करने आते हैं।
ऐसे मिलेगी नई पहचान
त्रियुगीनारायण मंदिर को नई पहचान देने के लिये शासन-प्रशासन के साथ ही गढ़ माटी संगठन आगे आया है। त्रियुगीनारायण मंदिर को वैडिंग डेस्टीनेशन बनाकर देश-विदेश में पहचान मिलेगी। पहाड़ी रीति-रिवाजों से विवाह संपन्न कराया जाएगा। विवाह की सारी व्यवस्थाएं गढ़ माटी संगठन करेगा।
गढ़ माटी संगठन की अध्यक्ष रंजना रावत ने कहा कि त्रियुगीनारायण को हालांकि किसी पहचान की जरूरत नहीं है, लेकिन हम त्रियुगीनारायण को अलग रूप में विकसित करना चाहते हैं। अक्सर लोग शांत और एकांत जगह पर विवाह संपंन करवाना चाहते हैं। इसके लिये त्रियुगीनारायण से अच्छी जगह और कोई भी नहीं हो सकती है।ये भी पढ़े:- हिंमवन्त देश हौला त्रियुगीनारायण
