उत्तराखंड

जनपद की समस्याओं के लिए एक बार फिर लड़ने की जरूरत

जनपद की समस्याओं के लिए एक बार फिर लड़ने की जरूरत , एक संयोजक मंडल का गठन

रुद्रप्रयाग। जनपद के गठन के 21 वर्ष पूरे होने पर आयोजित एक सर्वदलीय बैठक में तय किया गया कि जिले के लिए किए गए संघर्षों के समुचित प्रतिफल जनपदवासियों को नहीं मिला है। कार्यालयों की स्थापना में व्याप्त बिखराव ने लोगों की समस्याओं को कम करने की बजाय बढ़ाया है, जिस कारण नए ढंग की समस्याएं पैदा हो गई हैं। इन समस्याओं का निराकरण यदि अभी नहीं किया गया तो इसका कुफल आने वाली पीढ़ियों को भुगतते रहना पड़ेगा।

जनपद रुद्रप्रयाग के निर्माण की पृष्ठभूमि पर प्रकाश डालते हुए वरिष्ठ पत्रकार रमेश पहाड़ी ने बताया कि 1984 में अनिकेत साप्ताहिक का प्रकाशन रुद्रप्रयाग से आरंभ होने के समय यद्यपि रुद्रपयाग बद्री-केदार यात्रा का मुख्य पड़ाव होने के साथ-साथ एक प्रमुख व्यापारिक केंद्र भी था लेकिन प्रशासनिक रूप से यहाँ पौड़ी, चमोली और टिहरी जिलों की पृथक पटवारी चैकियों और एक छोटी पुलिस चैकी के अलावा कोई सरकारी निजाम नहीं था। तीन जिलों के पुच्छल हिस्सों वाले इस भूभाग की लगभग सभी जिला मुख्यालयों की तरफ से उपेकध ही होती थी। रुद्रप्रयाग एक छोटा नगर निकाय था और 15 ग्रामसभाओं वाली धनपुर पट्टी का विकासखंड खिर्सू था। यहां विकास खंड की स्थापना के लिए जनांदोलन आरम्भ हुआ जो तहसील बनने के बाद जिला आंदोलन में बदल गया। तीस सितंबर 1989 को तहसील और आठ वर्ष बाद 18 सितंबर 1997 को जिला निर्माण की अधिसूचना उप्र सरकार द्वारा जारी की गई। कांग्रेस नेता प्रदीप बगवाड़ी और माधो सिंह नेगी ने विस्तार से इस आंदोलन के इतिहास पर प्रकाश डालते हुए बताया कि तहसील और जिला तो बना, लेकिन लोगों की इच्छाओं का मुख्यालय नहीं बन पाया और लोग अपनी समस्याओं के लिए दर-दर भटकने को मजबूर है।

कांग्रेस नेता वीरेंद्र बुटोला, उक्रांद नेता देवेंद्र चमोली, सामाजिक कार्यकर्ता के एल आगरी, रमेश टम्टा, अशोक चैधरी, शैलेन्द्र भारती, बंटी जगवान, राय सिंह रावत, कैलाश खंडूड़ी, छात्र संघ अध्यक्ष लवकुश भट्ट, लखपत भंडारी, धनराज बंगारी सहित सभी वक्ताओं ने इस पहल के लिए पूर्व छात्र नेता लक्ष्मण सिंह रावत को धन्यवाद देते हुए कहा कि दलगत राजनीति से ऊपर उठकर जिले के प्रबुद्ध लोगों को जिले की व्यवस्था के सुचारू संचालन के लिए एक बार फिर संगठित होकर लड़ना चाहिए, ताकि जनपद की अवधारणा के अनुरूप लोगों को न केवल एक सुविधा-सम्पन्न जिला मुख्यालय मिले, बल्कि जिले की समस्याओं के निस्तारण पर भी जनपदवासियों का प्रभावी हस्तक्षेप हो और उसका अधिकतम लाभ जिलावासियों को मिले। बैठक में वरिष्ठ पत्रकार और तहसील व जनपद आंदोलन में सक्रिय रहे रमेश पहाड़ी को संयोजक और लक्ष्मण सिंह रावत को सहसंयोजक बनाते हुए एक संयोजक मंडल गठित किया गया। इसके साथ ही जिले की समस्याओं के समाधान के लिए कार्यवाही आरम्भ करने का निर्णय लिया गया।

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