सातवें वेतनमान समेत छह माँगों को लेकर हड़ताल पर हैं प्रदेश भर के कर्मचारी
हड़ताल से किसान व मिनी बैंक खाताधारक परेशान
मंगलवार को विधानसभा कूच करेंगे कर्मचारी, वार्ता के लिए बुलाया
देहरादून। साधन समिति सचिव परिषद एवं आंकिक कर्मचारी संगठन सहकारी समितियां उत्तराखंड के संयुक्त तत्वाधान में अनिश्चितकालीन हड़ताल 36 वें दिन भी जारी रही। आज बड़ी संख्या में कर्मचारियों ने धरना स्थल परेड ग्राउंड से प्रदर्शन करते हुए सचिवालय कूच किया। इस बीच सचिवालय के समीप पुलिस ने बैरिकेटिंग लगाकर कर्मचारियों को रोक दिया। शासन ने सहकारी पदाधिकारियों को वार्ता के लिए बुलाया है। कल मंगलवार को सचिव परिषद विधानसभा कूच करेगा।
वहीं हड़ताल से पिछले एक माह से किसान व मिनी बैंक खाताधारक काफी परेशान हैं। हड़ताल के चलते समिति एवं मिनी बैंकों में कामकाज पूरी तरह बंद होने से कोई लेन-देन नहीं हो पा रहा है। प्रदेश सरकार की बेरूखी का खामियाजा आम जनता को भुगतना पड़ रहा है। हड़ताल के चलते कृषि ऋण की वसूली पर भी इसका व्यापक असर पड़ा है।
गत 19 फरवरी से सचिवों को सावतें वेतनमान लाभ देने एवं आंकिकों को समान कार्य का समान वेतन समेत छह सूत्रीय मांगों लेकर प्रदेश के समस्त जिलों के सचिव परिषद एवं आंकिक कर्मचारी देहरादून परेड ग्राउंड में अनिश्चितकालीन हड़ताल पर हैं। कर्मचारियों की हडताल को एक माह से अधिक का समय हो गया है, लेकिन सरकार एवं सहकारिता विभाग की ओर से कोई सकारात्मक कार्रवाई अभी तक नहीं हो सकी है। जिससे कर्मचारियों में आक्रोश बढ़ता ही जा रहा है। गत 17 मार्च से कर्मचारियों ने यहीं पर क्रमिक अनशन भी शुरू कर दिया है। जिसमें जिले वाइज कर्मचारियों की डयूटी लगाई गई है।
वहीं समिति के समस्त कर्मचारियों के हड़ताल पर चले जाने से समिति में किसान ऋण वितरण के साथ ही बीज, खाद एवं कृषि यंत्र किसानों को समय से नहीं मिल पा रहे हैं। इसके अलावा समिति से जुडा मिनी बैंक में समाज कल्याण विभाग की विधवा, विकलांग, वृद्धावस्था एवं किसान पेंशन को भी पहुंच चुकी है। जिसका वितरण भी अभी तक नहीं हो सका है। किसान एवं मिनी बैँक के खाताधारक प्रतिदिन समिति कार्यालय तो पहुंच रहे हैं, लेकिन कार्यालयों में ताले लटकने से उन्हें बैरंग ही वापस लौटना पड़ रहा है। ऐसे में किसानों से होने वाली बकाया ऋण वसूली भी इससे काफी प्रभावित हो रही है। इसके अलावा समिति में चल रहे मिनी बैंक में सेविंग, आरडी एवं एफडी के बचत खातों पर इसका असर देखा जा रहा है।
संघर्ष समिति के अध्यक्ष हर्षमणि नौटियाल, प्रदेश अध्यक्ष विजेंदर शर्मा, महामंत्री लक्ष्मण रावत, आंकिक संगठन के प्रदेश देवेंद्र आर्य, प्रांतीय संरक्षक आरएस तोमर, कृष्णानंद डिमरी का कहना है कि कर्मचारी पिछले एक माह से हड़ताल पर हैं, लेकिन सरकार चुप्पी साधे है। उन्होंने कहा कि पैक्स सचिवों का राजकीयकरण कर वेतन का स्थाई समाधान किया जाय। साथ ही सातवें वेतनमान का लाभ दिया जाय। कैडर सचिवों का ग्रेड वेतन 2800 किया जाय। सचिवों के पद पर आंकिक कर्मचारियों की पदोन्नति एवं समिति कर्मचारियों को ज़िला कैडर बनाया जाए।
उन्होंने कहा कि सरकार उनकी मांगों पर कोई हल नहीं निकाल सकी है। जिसका खामियाजा आम जनता को भुगतना पड़ रहा है। बताया कि समिति से निकाले ऋण की किस्त जमा करनी थी, लेकिन हड़ताल के चलते वह जमा नहीं हो पा रही है। उन्होंने कहा कि सरकार को शीघ्र कर्मचारियों की मांगे मान लेनी चाहिए, जिससे समिति कार्यालय में एक माह से बंद ताले फिर से खुल सके।