उत्तराखंड

नए साल में धामी सरकार के सामने कई बड़ी चुनौतियां..

नए साल में धामी सरकार के सामने कई बड़ी चुनौतियां..

 

 

 

 

उत्तराखंड: मूल निवास, भू-कानून और यूसीसी जैसे बड़े मुद्दे नए साल में सीएम पुष्कर सिंह धामी की प्रशासनिक कौशल की परीक्षा लेंगे। सीएम धामी को इनमें से लगभग एक दर्जन समस्याओं का समाधान खोजना होगा। मूल निवास और भू-कानून पर छिड़ी बहस से सूबे की सियासत में हलचल मच गई है। इन दोनों समस्याओं के समाधान के लिए सीएम ने अपर मुख्य सचिव राधा रतूड़ी की अध्यक्षता में एक कमेटी गठित की है।

 

 

1- समान नागरिक संहिता- सीएम धामी एलान कर चुके हैं विशेषज्ञ समिति यूसीसी की रिपोर्ट साल के पहले महीने में ही दे देगी। इस रिपोर्ट के आधार पर सरकार को राज्य में समान कानून लागू करने के लिए विधानसभा सत्र में प्रस्ताव पास करना है। सबकी जुबान पर सवाल तैर रहा है कि सरकार क्या जनवरी महीने में यूसीसी लागू कर देगी?

2- राज्य आंदोलनकारियों के लिए आरक्षण- राज्य आंदोलनकारियों के लिए सरकारी नौकरियों में 10 प्रतिशत क्षैतिज आरक्षण का विधेयक धामी सरकार विधानसभा के पटल पर रख चुकी है। लेकिन संशोधन के लिए विधेयक प्रवर समिति को भेजना पड़ा। प्रवर समिति अपनी रिपोर्ट स्पीकर को दे चुकी है। अब सबकी नजरें विधेयक के सदन पटल पर पेश होने के दिन पर लगी है।

3- लोकायुक्त की नियुक्ति- उत्तराखंड का लोकायुक्त बनाने का उच्च न्यायालय का फरमान है। सरकार ने इसके लिए कवायद शुरू कर दी है। त्रिवेंद्र सरकार लोकायुक्त बनाने से बचती रही, लेकिन धामी सरकार पर लोकायुक्त बनाने के लिए बड़ा दबाव है। ऐसे में नए साल में धामी सरकार उत्तराखंड लोकायुक्त बनाएगी या नहीं, इस प्रश्न के जवाब की सबको तलाश है।

4- भू कानून- राज्य की जमीन को बचाने के लिए सशक्त भू कानून की मांग को लेकर जनांदोलन शुरू हो गया है। सीएम धामी के निर्देश पर ही पूर्व सीएस सुभाष कुमार की अध्यक्षता में कमेटी बनी थी। कमेटी अपनी रिपोर्ट सरकार को दे चुकी है। आंदोलनकारियों का कहना है कि जब रिपोर्ट आ गई है तो उसे ठंडे बस्ते में क्यों डाला जा रहा है। उनकी मांग पर मुख्यमंत्री ने एसीएस राधा रतूड़ी की अध्यक्षता में कमेटी बनाई है जो रास्ता निकालेगी।

5- मूल निवास- धामी सरकार को भू कानून के साथ मूल निवास प्रमाण पत्र की पहेली भी सुलझानी है। पिछले कई वर्षों से मूल निवासियों को भी स्थाई निवास प्रमाण पत्र बनाने के लिए मजबूर होना पड़ रहा है। हालांकि सीएम के निर्देश पर आदेश जारी हो चुका है कि जिनके पास मूल निवास प्रमाण पत्र है, उनके लिए स्थाई निवास प्रमाण पत्र की बाध्यता नहीं होगी। साथ ही मूल निवास प्रमाण पत्र जारी करने के संबंध में व्यवस्था बनाने का दायित्व भी एसीएस की कमेटी को दे दिया है।

6- लोकसभा चुनाव- लोकसभा चुनाव भी संगठन के साथ सीएम धामी के भी राजनीतिक कौशल की परीक्षा लेंगे। उन पर पांचों लोकसभा सीटें जीतने का दबाव रहेगा। इसीलिए चुनावी माहौल बनाने, प्रत्याशी चयन से लेकर प्रचार तक सारी जिम्मेदारियों में सीएम सबसे महत्वपूर्ण कड़ी होंगे।

7- निकाय चुनाव- दूसरी परीक्षा निकायों के चुनाव की होगी। दिसंबर महीने में चुनाव हो जाने चाहिए थे, लेकिन ओबीसी सर्वे और मतदाता सूचियों को बनाने के काम में देरी की वजह से चुनाव स्थगित हो गए। नए साल में चुनाव होंगे और इन चुनावों में भी सीएम धामी अहम किरदार में होंगे।

8- कैबिनेट विस्तार- लोकसभा चुनाव की आचार संहिता लागू होने से पहले कैबिनेट विस्तार की संभावना जताई जा रही है। सियासी रणनीति के हिसाब से सीएम धामी के अगले कदम का खासतौर पर भाजपा विधायकों को बेताबी से इंतजार है, क्योंकि मंत्रिमंडल में चार पद खाली हैं।

9- एमओयू की ग्राउंडिंग- अगले पांच साल में उत्तराखंड की जीडीपी को दोगुना करने का लक्ष्य साधने के लिए सरकार निवेश को आकर्षित कर रही है। वैश्विक निवेशक सम्मेलन तक सरकार 3.54 लाख करोड़ के एमओयू कर चुकी है। अब सरकार के सामने इन सभी एमओयू की ग्राउंडिंग करने की चुनौती है।

10- राष्ट्रीय खेल- 2024 में राष्ट्रीय खेलों की मेजबानी उत्तराखंड को मिली। पहली बार इस बड़े आयोजन को सफल बनाने का दबाव धामी सरकार पर होगा।

11- टीबी मुक्त उत्तराखंड- 2024 तक उत्तराखंड को टीबी मुक्त बनाने का लक्ष्य बनाया गया है। धामी सरकार के सामने इस लक्ष्य को पूरा करने की चुनौती होगी।

12- अंतरराष्ट्रीय एयरपोर्ट- सरकार ने जौलीग्रांट स्थित देहरादून एयरपोर्ट व पंतनगर एयरपोर्ट अंतरराष्ट्रीय स्तर का बनाने का फैसला किया है। नए साल में सरकार इस संकल्प को पूरा कर पाएगी, इस पर भी सबकी निगाहें धामी सरकार पर होगी।

 

 

 

 

 

Click to comment

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

To Top