देश/ विदेश

महाकवि गोपाल दास नीरज की अस्थियां गंगा में विसर्जित

हरकी पैड़ी ब्रह्मकुंड पर महाकवि गोपाल दास नीरज की अस्थियां गंगा में विसर्जित की गर्इ।

हरिद्वार : महाकवि गोपाल दास नीरज की अस्थियां मंगलवार को हरकी पैड़ी ब्रह्मकुंड पर विसर्जित की गईं। उनके पुत्र मिलन प्रभात और पौत्र पल्लव नीरज ने अस्थियां गंगा में प्रवाहित की। तीर्थ पुरोहित से शैलेष मोहन ने विधि विधान के साथ कर्मकांड कराया। दिवंगत आत्मा की शांति के लिए ईश्वर से प्रार्थना की। मोक्ष के लिए पिंडदान किया। इस दौरान उनके कुछ शुभचिंतक उपस्थित रहे। प्रख्यात कवि गोपाल दास नीरज की अस्थियां मंगलवार सुबह अलीगढ़ से आए उनके पुत्र और सेवानिवृत्त भेल महाप्रबंधक मिलन प्रभात और पौत्र शिवालिक नगर स्थित आवास पर लेकर पहुंचे। जहां बड़ी संख्या में पहुंच कॉलोनीवासियों ने श्रद्धांजलि अर्पित की। तत्पश्चात उनके पुत्र और पौत्र अस्थि कलश लेकर हरकी पैड़ी ब्रह्मकुंड पर पहुंचे। जहां उनके तीर्थ पुरोहित शैलेष मोहन ने विधि विधान के साथ कर्मकांड कराया।

इस दौरान वहां मौजूद लोगों की आंखें नम हो गईं। कर्मकांड के बाद महाकवि नीरज के पुत्र, पौत्र और शुभचिंतक हरकी पैड़ी की प्रबंधकारिणी संस्था श्री गंगा सभा कार्यालय पहुंचे। जहां आगंतुक रजिस्टर में संदेश लिखा। घाट व्यवस्था सचिव प्रदीप झा, मयंक शर्मा ने गंगाजली भेंटकर उन्हें सम्मानित किया। तीर्थ पुरोहित शैलेष मोहन की बही में भी उन्होंने जानकारी दर्ज कराई। इस दौरान नासिर अब्बास, राजीव भटनागर, आलोक सिन्हा, एलके खंडेलवाला, एनके श्रीवास्तव, श्याम अग्रवाल आदि उपस्थित रहे।

प्रख्यात कवि गोपाल दास नीरज के पुत्र, पौत्र के अलावा उनके शुभचिंतक नासिर अब्बास ने केंद्र सरकार से उन्हें भारत रत्न देने की मांग की। कहा कि इसके लिए उन्होंने 2012 में मुहिम भी चलाई थी। लखनऊ में 100 मीटर लंबे बैनर पर हत्स्ताक्षर अभियान चलाया गया था। 1.37 लाख लोगों ने हस्ताक्षर किए थे। उन्होंने कहा कि बुधवार से दोबारा इस मुहिम को आगे बढ़ाएंगे। मुंबई, पुणे, दिल्ली, एटा, इटावा, आगरा , कानपुर और लखनऊ में एक साथ हस्ताक्षर अभियान शुरू किया जाएगा।

धर्मनगरी से रहा पुराना नाता

कवि गोपालदास नीरज का हरिद्वार से पुराना नाता था, उनका यहां गंगा, हरकी पैड़ी और जंगल से याराना सा था। उन्हें हर गर्मियों की छुट्टी हरिद्वार में अपने बेटे मिलन प्रभात के घर मनाना पसंद था। उन्होंने अपने जीवन की करीब 30 गर्मियों की छुट्टियां यहां बिताईं। हर बार यहां वह अपने साथ तरह-तरह के आम की बड़ी खेप लेकर आते थे। उन्हें कलमी आम बेहद पसंद थे। अक्सर वे यहां के अपने साथियों से कहा करते थे कि व्यक्ति को ङ्क्षजदगी अपनी शर्तों पर अपने हुनर के साथ बितानी चाहिए। उनका तकिया कलाम था कि ‘जिंदगी में जो हुनर है, उसे निखारो, उसके साथ जियो।’

महाकवि इस वर्ष 24 अप्रैल को हरिद्वार आए तो किसी को यह इल्म भी न था कि हरिद्वार की उनकी यह आखिरी यात्रा होगी। उन्होंने इस बार भी यहां के अपने साथियों राजीव भटनागर, आलोक सिंह, एनके खंडेलवाल, एमके श्रीवास्तव और श्याम अग्रवाल से अगले वर्ष फिर मिलने और आम पार्टी करने का वादा किया था। वे वापस तो नहीं आए, लेकिन मंगलवार को उनकी अस्थियों को गंगा में विसर्जित किया गया।

Click to comment

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

To Top