उत्तराखंड

देहरादून के किडनी रैकेट मामले में हुआ बड़ा ख़ुलासा

देहरादून। दो दिन पहले हुए किडनी रैकेट के खुलासे के मामले में अब एक से बढ़ कर एक चौंकाने वाले राज बेपर्दा हो रहे हैं। इस मामले में जो सबसे हैरान करने वाला सच सामने आया है वह ये है कि इस गिरोह का सरगना वही डाक्टर अमित राउत है जो नौ साल पहले देश को हिला देने वाले किडनी खरीद-फरोख्त कांड का असली गुनाहगार था। उस गुनाह के लिए अमित को मार्च 2013 में सात साल की सजा हुई थी। एक और हैरान करने वाली बात यह सामने आ रही है कि अमित ने किडनी के काले कारोबार को अंजाम देने के लिए देश-विदेश में पांच सौ से भी ज्यादा एजेंट तैनात किए हुए थे।

पुलिस के मुताबिक साल 2013 में हुई सजा के बाद भी अमित ने किडनी का काला कारोबार जारी रखा। जमानत पर बाहर आने के बाद वह फिर से किडनी का खेल खेलने में लग गया। इस बार उसने देहरादून को अपना ठिकाना बनाया। पुलिस के मुताबिक अमित अपने काम को अंजाम देने के लिए एजेंट तैयार करता था, जिन्हें प्रति किडनी के हिसाब से कमीशन दिया जाता था। बताया जा रहा है कि देश-विदेश में उसके के पांच सौ से भी ज्यादा एजेंट सक्रिय थे। बहरहाल दो दिन पहले हुए भंडाफोड़ के बाद अमित समेत सात लोगों के खिलाफ लुक आउट नोटिस जारी हो गया है।

किडनी गिरोह का सरगना डाक्टर अमित नौ साल पहले जनवरी 2008 में तब सुर्खियों में आया था, जब हरियाणा के गुरुग्राम (तब गुड़गांव) स्थित उसके एक गेस्ट हाउस में हरियाणा पुलिस और उत्तरप्रदेश पुलिस ने छापा मारा था। अमित उस गेस्ट हाउस में छह साल से अवैध रूप से क्लीनक चला रहा था।

अमित के क्लीनिक से सबूत इक्कट्ठा करने के बाद जब पुलिस ने उसकी तलाश शुरू की तो वह फरार हो गया था। उसे काफी मशक्कत के बाद फरवरी 2008 में नेपाल से गिरफ्तार किया था। बाद में मामला सीबीआई के पास गया। मार्च 2013 में सीबीआई की विशेष अदालत ने डाक्टर अमित सहित पांच लोगों को दोषी मानते हुए सात-सात साल की सजा सुनाई थी। सभी दोषियों पर 60-60 लाख रुपये का जुर्माना भी लगाया था।

दस देशों में पांच सौ एजेंट
बताया जा रहा है कि अमित के तार दस देशों से जुड़े थे। अभी तक मिली जानकारी के मुताबिक अमित का कारोबार नेपाल, जापान, दुबई, सउदी अरब, ईरान, फ्रांस, इंग्लेंड, ग्रीस, कनाडा और अमेरिका तक फैला है। एक और चौंकाने वाली बात यह सामने आई है कि गरीबों से दो-तीन लाख रुपये में किडनी खरीद कर उसका सौदा पचास लाख रुपये तक में किया जाता था।

 

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