हाईकोर्ट ने कर्नल कोठियाल के खिलाफ फारेस्ट केस को किया ख़ारिज
उत्तराखंड : हाईकोर्ट ने नेहरू पर्वतारोहण संस्थान उत्तरकाशी के प्रधानाध्यापक कर्नल अजय कोठियाल को बड़ी राहत दी है। कोर्ट ने उनके ऊपर वन विभाग की ओर से लगाए गए नंदा देवी की त्रिशूल चोटी पर अभियान के दौरान अनियमितता संबंधी आरोप खारिज कर दिए हैं। न्यायमूर्ति वीके बिष्ट के समक्ष मामले की सुनवाई हुई। 2005 में भारतीय सेना की आर्मी एडवेंचर विंग ने त्रिशूल पर्वतारोहण अभियान का आयोजन किया था। इसके लिए कर्नल सुमित कोटनाला को लीडर और तब मेजर रहे अजय कोठियाल को क्लाइम्बिंग टीम का लीडर नियुक्त किया गया था। अभियान की समाप्ति के बाद कर्नल कोटनाला और मेजर कोठियाल को सीजेएम चमोली की ओर से सम्मन नोटिस मिला था। यह वन विभाग के रेंजर मदन लाल राही की ओर से दल पर वन्यजीव संरक्षण अधिनियम का उल्लंघन किए जाने की शिकायत के आधार पर दर्ज मुकदमे से संबंधित था। विभाग ने अभियान में वन विभाग को शामिल नहीं करने, बगैर अनुमति स्कीइंग करने, वन क्षेत्र में आग जलाने, जनरेटर का प्रयोग करने जैसे आरोप लगाए थे।
अजय कोठियाल ने इस सम्मन के खिलाफ सेशन जज चमोली के समक्ष रिवीजन दाखिल किया मगर वह वहां से खारिज हो गया। इसके बाद कोठियाल ने मामले को हाईकोर्ट में चुनौती दी थी। कोठियाल के अधिवक्ता विपुल शर्मा ने कहा कि पर्वतारोहण और स्कीइंग अभियान को भारतीय सेना ने आयोजित किया था, जिसकी पूर्व स्वीकृति नियमानुसार प्रमुख वन संरक्षक से ली गई थी। कोठियाल सरकारी दायित्व के तहत इसमें शामिल थे निजी हैसियत से नहीं। उनके विरुद्ध बगैर केंद्र सरकार की अनुमति के मुकदमा दायर नहीं हो सकता था।
कोर्ट ने अपने निर्णय में कहा कि सेना का दल पर्वतारोहण के लिए प्रशिक्षित था जबकि वन कर्मी इसके लिए प्रशिक्षित नहीं थे अत: उन्हें दल में शामिल करने का औचित्य नहीं था। वापसी में जल्द लौटने के लिए स्कीइंग का प्रयोग सही था। अभियान की वीडियोग्राफी भविष्य में सेना के दलों को ट्रेनिंग देने के उद्देश्य से महत्वपूर्ण थी। कोर्ट ने मामले में निचली अदालत में दायर मुकदमे को खारिज कर दिया। कोर्ट ने नाराजगी जताते हुए कहा कि यह मुकदमा दर्ज होना ही नहीं चाहिए था और ऐसे मामलों से सेना के मनोबल पर विपरीत प्रभाव पड़ता है।
17 आतंकियों को अकेले ढेर किया था कोठियाल ने
कर्नल अजय कोठियाल का सेना में शानदार प्रदर्शन रहा है। 2002 में ऑपरेशन पराक्रम के दौरान उन्होंने अकेले 17 आतंकवादियों को ढेर किया था। इसके लिए उन्होंने ऐसी तकनीक अपनाई थी जिसे बाद में सेना के पाठ्यक्रम में शामिल किया गया, इस अभियान के लिए उन्हें कीर्ति चक्र प्रदान किया गया था। उन्हें शौर्य चक्र, विशिष्ट सेवा मेडल, सैन्य सेवा, आपरेशन विजय मेडल सहित दर्जन भर प्रशस्ति मेडल मिले हैं। 2012 में एवरेस्ट फतह कर चुके कोठियाल के नाम 8163 मीटर ऊंची नेपाल की मनासलू चोटी को पहली बार फतह करने का भी रिकॉर्ड दर्ज है।
केदारनाथ आपदा के दौरान अपनी ओर से गठित दलों के साथ 6500 फंसे यात्रियों सहित 46 विदेशियों को रेस्क्यू किया था। उनके ही प्रयासों से वैकल्पिक यात्रा मार्ग तैयार हुआ और पहली बार एयर फोर्स का एमआई 26 केदारनाथ में उतर सका। उनके द्वारा प्रशिक्षित 1800 युवाओं में से 1400 का भारतीय सेना में चयन हो चुका है।
