उत्तराखंड

दाखिलों में सीयूईटी से राहत पर इस सप्ताह हो सकता है बड़ा फैसला..

दाखिलों में सीयूईटी से राहत पर इस सप्ताह हो सकता है बड़ा फैसला..

 

 

 

 

उत्तराखंड: इस सप्ताह गढ़वाल केंद्रीय विश्वविद्यालय और संबद्ध महाविद्यालयों में कॉमन यूनिवर्सिटी एंट्रेंस टेस्ट (सीयूईटी) के बिना दाखिले पर अहम फैसला हो सकता है। 5 सितंबर को गढ़वाल विश्वविद्यालय अकादमिक परिषद की बैठक के बाद कार्यकारी परिषद इस मुद्दे पर निर्णय लेगी और यूजीसी को एक प्रस्ताव सौंपेगी। अगर यूजीसी कॉलेजों को सीयूईटी दाखिलों से राहत देता है तो इस साल के सीयूईटी प्रवेश में लगभग 21,000 छात्र दाखिला ले सकेंगे। इस साल गढ़वाल विश्वविद्यालय से जुड़े 102 कॉलेजों में भी सीयूईटी के माध्यम से प्रवेश की आवश्यकता लागू की गई। बता दे कि बड़ी संख्या में छात्र इस परीक्षा का आवेदन ही नहीं कर पाए। दाखिले शुरू हुए तो कॉलेजों को ढूंढे से भी छात्र नहीं मिले। विवि के 10 अशासकीय कॉलेजों में करीब सात हजार और निजी कॉलेजों में 15 हजार से ज्यादा सीटें खाली पड़ी हुई हैं।

इन मुद्दों पर छात्र संगठन लगातार 12वीं कक्षा के परिणामों के आधार पर प्रवेश के लिए अभियान चला रहे हैं। शनिवार को गढ़वाल विश्वविद्यालय अकादमिक परिषद की बैठक में सीयूईटी के बिना प्रवेश को मंजूरी दे दी गई। अब यह प्रस्ताव पांच सितंबर को विवि कुलपति प्रो. अन्नपूर्णा नौटियाल की अध्यक्षता में होने वाली कार्यकारी परिषद की बैठक में रखा जाएगा। इसके बाद विश्वविद्यालय इसे यूजीसी को भेजेगा। अनुमान है कि इस सप्ताह CUET को लेकर अहम फैसला हो सकता है क्योंकि शैक्षणिक सत्र में लगातार देरी हो रही है।

सीटें न भरने के ये रहे प्रमुख कारण

1- समय से विवि की ओर से कॉलेजों को सीयूईटी दाखिलों की सूचना न भेजा जाना।

2- 12वीं कर रहे छात्रों के बीच परीक्षा की जागरुकता नगण्य होना।

3- सीयूईटी के पोर्टल पर केवल गढ़वाल विवि के तीनों परिसरों की जानकारी। संबद्ध कॉलेजों, उनके कोर्स, सीटों का कोई ब्योरा नहीं।

4- गढ़वाल विवि की ओर से सीयूईटी से कॉलेजों में दाखिलों की कोई जानकारी अपनी वेबसाइट पर जारी न करना।

5- नेशनल टेस्टिंग एजेंसी (एनटीए) की ओर से भेजे गए सीयूईटी परिणाम को कॉलेजों से साझा न करना।

 

 

 

 

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