उत्तराखंड

दस साल बाद सूख जाएंगे अस्सी फीसदी जलस्रोत: डॉ सोनी..

पर्यावरणविद् वृक्षमित्र डाॅ सोनी ने जताई वनाग्नि की घटनाओं पर चिंता..

रुद्रप्रयाग: जंगलों में लग रही आगजनि की घटनाओं को रोकने के लिए पर्यावरणविद वृक्षमित्र डाॅ त्रिलोक चन्द्र सोनी काफी चिंतित हैं। उन्होंने चमोली जनपद का भ्रमण करने के बाद रुद्रप्रयाग पहुंचकर पत्रकारों से वार्ता की। इस दौरान उन्होंने कहा कि जिस प्रकार से आगजनि से पूरे पहाड़ धधक रहे हैं, उससे वातावरण दूषित हो रहा है। समय रहते इन पर रोक नहीं लगाई गई तो वो दिन दूर नहीं होगा, जब सांस, आंखों व त्वचा की बीमारी होगी। इस प्रकार के तपिश से आने वाले दस सालों में अस्सी प्रतिशत जलस्रोत सूखने के कगार पर होंगे, जिसका सीधा असर हमारे खेतों, जानवरों व जंगलों पर पड़ेगा।

 

कहा कि फायर सीजन के बजट का लाभ ग्राम प्रधानों, वन सरपंचों को मिले और अपने गांव से लगे जंगलों की जम्मेदारी प्रधानों व वन पंचायतों को दी जाय। उन्होंने कहा कि जिस प्रकार वन व जंगली जानवरों के तस्करों के लिए जंगलों में सीसी टीवी कैमरे लगे हुए हैं। ठीक वैसे ही उत्तराखंड के जंगलों में भी लगाये जांए। तभी इस मानव जनित आपदा पर रोक लगेगी। कहा किइसके लिए जन जन को आगे आने की जरुरत है। वन पंचायतों को सशक्त बनाना के साथ ही जंगलों की जिम्मेदारी उन्हें दी जाय, ताकि वह भी अपना योगदान उत्तराखंड के जंगलों में वनाग्नि रोकने पर कर सके। इस मौके पर कमला देवी, मुन्ना देवी, पार्वती देवी, पुष्पा, गंगा देवी आशा देवी, लीला देवी, संतोष कुमार, सचिन कुमार, हरीश सोनी, वंशराज, वैभव, ललित मोहन सहित अन्य मौजूद थे।

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