उत्तराखंड

गजब तमाशाः मैडम छुट्टी पर और भाड़े पर रख दिया शिक्षक

दस जुलाई से मेडिकल पर हैं प्राथमिक विद्यालय पीड़ा की अध्यापिका
गांव के ही व्यक्ति को दिया है विद्यालय संचालन का जिम्मा
विद्यालय में अध्ययनरत छात्रों को नहीं है पता जिले का नाम
जिले की बदहाल सरकारी शिक्षा व्यवस्था के कारनामे आ रहे सामने

रोहित डिमरी
रुद्रप्रयाग। जिले में बदहाल शिक्षा के लिए शिक्षा महकमा साफ तौर पर दोषी नजर आ रहा है। बच्चों के भविष्य के साथ किस तरह से खिलवाड़ किया जाता है, इसकी बानगी रुद्रप्रयाग में देखी जा सकती है।

दरअसल, प्राथमिक विद्यालय पीड़ा की अध्यापिका दस जुलाई से छुट्टी पर चल रही हैं और विद्यालय में भाड़े पर गावँ के ही युवक को तैनात किया गया, जो छात्रों को शिक्षा देने के बजाय उन्हें कैरम खिला रहा है। इससे भाड़े के शिक्षक की तो ड्यूटी पूरी हो रही है, मगर छात्रों का भविष्य अंधकारमय बना हुआ है। शिक्षा महकमा है कि पूरी घटना से अंजान है।

अगर आपको बदहाल शिक्षा व्यवस्था से रूबरू होना है तो रुद्रप्रयाग जनपद के धनपुर पट्टी के प्राथमिक विद्यालय पीड़ा चले आइये। जहां अध्यापिका दस जुलाई से मेडिकल पर है और गांव के ही एक व्यक्ति को व्यवस्था के तौर पर विद्यालय में तैनात किया गया है। विद्यालय में तैनात अध्यापक छात्रों को पढ़ाने के बजाय उन्हें खेलने-कूदने और भोजन कराने में मस्त हैं। स्थिति यह है कि छात्रों को जिलाधिकारी तो दूर जिस जिले में रह रहे हैं, वहां का नाम तक मालूम नहीं है।

हैरान करने वाली बात यह भी कि शिक्षा विभाग को विद्यालय में व्यवस्था के तौर पर अध्यापक को नियुक्त करना चाहिए था, लेकिन यहां तो अध्यापिका ने ही व्यवस्था के तौर पर गांव के किसी व्यक्ति को तैनात कर दिया। छात्र पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत को वर्तमान मुख्यमंत्री बता रहे हैं। फिर इनके सामने तो प्रधानमंत्री का नाम लेना दूर की बात है। कुल मिलाकर देखा जाय तो जिस अध्यापक ने छात्रों को अक्षरों का ज्ञान देना था, वह विद्यालय में नहीं है। खुद अध्यापिका ने व्यवस्था के तौर पर विद्यालय संचालन की जिम्मेदारी गांव के ही एक व्यक्ति को है। ऐसे में समझा जा सकता है कि किस तरह से बच्चों का पाठन-पाठन चल रहा है।

विद्यालय में अध्ययनरत 16 छात्र-छात्राओं का भविष्य चौपट हो रहा है। सबसे हैरान करने वाली बात तो यह है कि अगर अध्यापिका छुट्टी पर गई हैं तो शिक्षा विभाग को विद्यालय में अध्यापक की व्यवस्था करनी थी, लेकिन यहां तो अध्यापिका ने ही विद्यालय संचालन के लिए अध्यापक की व्यवस्था कर दी। यह शिक्षा विभाग की बहुत बड़ी लापरवाही है कि दूरस्थ क्षेत्र के विद्यालयों में विभाग का कोई ध्यान नही नहीं है। इधर, जिलाधिकारी मंगेश घिल्डियाल का कहना है कि यह एक गंभीर विषय है। कोई भी अध्यापक स्वयं व्यवस्था पर अध्यापक की नियुक्ति नहीं कर सकता है। मामले में पूरी जांच की जायेगी और दोषियों के खिलाफ कठोर कार्रवाई की जायेगी।

Click to comment

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

To Top