उत्तराखंड

अनाथ बच्चों और बेसहारा महिलाओं के लिए उम्मीद की किरण, शराब सेस से बनेगी सहायता निधि..

अनाथ बच्चों और बेसहारा महिलाओं के लिए उम्मीद की किरण, शराब सेस से बनेगी सहायता निधि..

 

 

उत्तराखंड: प्रदेश सरकार ने एक महत्वपूर्ण सामाजिक निर्णय लेते हुए अंग्रेजी शराब पर लगाए जाने वाले सेस से प्राप्त धनराशि के एक हिस्से को महिला और बाल कल्याण के लिए उपयोग करने का रास्ता साफ कर दिया है। सीएम पुष्कर सिंह धामी की अध्यक्षता में हुई मंत्रिमंडल बैठक में ‘मुख्यमंत्री महिला एवं बाल बहुमुखी सहायता निधि नियमावली’ को मंजूरी दे दी गई। इस नियमावली के तहत अब शराब सेस से प्राप्त कुल धनराशि का एक प्रतिशत हिस्सा उन बच्चों, किशोरियों, वृद्ध महिलाओं और आर्थिक रूप से कमजोर महिलाओं पर खर्च किया जाएगा जो आपदा या किसी आकस्मिक दुर्घटना में अनाथ, बेसहारा या निराश्रित हो जाते हैं। नए नियमों के अनुसार यह सहायता राशि शिक्षा, स्वास्थ्य, पुनर्वास, मानसिक परामर्श, कानूनी सहायता और आश्रय गृह जैसी सुविधाओं में व्यय की जाएगी। इस निधि का संचालन मुख्यमंत्री स्तर पर निगरानी के अंतर्गत किया जाएगा ताकि पारदर्शिता और त्वरित सहायता सुनिश्चित की जा सके। मुख्य सचिव कार्यालय से मिली जानकारी के अनुसार, “सरकार का प्रयास है कि आपदा जैसी विपरीत परिस्थितियों में जिन बच्चों और महिलाओं की पूरी दुनिया उजड़ जाती है, उन्हें सरकारी तंत्र के माध्यम से नई आशा दी जा सके। विपक्षी दलों ने इस निर्णय का स्वागत किया है लेकिन साथ ही नियमावली के प्रभावी क्रियान्वयन की मांग भी रखी है। समाजसेवी संस्थाओं ने कहा कि यदि इस निधि का उपयोग ईमानदारी से किया गया, तो यह हजारों ज़िंदगियों को पुनर्स्थापित करने में सहायक सिद्ध हो सकता है। आपको बता दे कि राज्य सरकार को अंग्रेजी शराब पर लगाए गए सेस से हर वर्ष करोड़ों रुपये की आय होती है। अब इस राजस्व का एक हिस्सा सीधे सामाजिक पुनर्वास कार्यों में लगेगा। इससे राज्य सरकार की समवेदनशील और उत्तरदायी शासन व्यवस्था की छवि भी मजबूत होगी।

इस नियमावली के तहत अब अंग्रेजी शराब पर लगाए गए सेस से प्राप्त धनराशि का एक प्रतिशत हिस्सा ऐसे जरूरतमंदों की सहायता में खर्च किया जाएगा। सहायता राशि रहने, खाने, स्वास्थ्य, शिक्षा, कौशल विकास और स्वरोजगार जैसे उद्देश्यों के लिए दी जाएगी। राज्य सरकार ने त्वरित सहायता सुनिश्चित करने के लिए तीन स्तरों पर निर्णय प्रक्रिया तय की हैं। जिसमे ब्लॉक स्तरीय समिति 5,000 तक की मदद के लिए 15 दिन में निर्णय लेगी। जिला स्तरीय समिति 10,000 से 25,000 तक की सहायता पर 15 दिन में निर्णय लेगी। राज्य स्तरीय समिति 5 लाख तक की बड़ी आर्थिक सहायता के प्रस्तावों पर निर्णय लेगी। यह तंत्र सुनिश्चित करेगा कि जरूरतमंदों को समय पर और प्रभावी सहायता मिल सके। नियमावली में यह भी प्रावधान किया गया है कि आर्थिक रूप से कमजोर महिलाओं और युवाओं को स्वरोजगार हेतु भी धनराशि उपलब्ध कराई जाएगी। इससे वे आत्मनिर्भर बन सकेंगे और सम्मानपूर्वक जीवन जी सकेंगे। इस नियमावली का उद्देश्य केवल आर्थिक सहायता देना नहीं, बल्कि पीड़ितों को पुनः जीवन की मुख्यधारा से जोड़ना है। यह उत्तराखंड में सामाजिक सुरक्षा और संवेदनशील शासन व्यवस्था की दिशा में एक बड़ी पहल है। महिला और बाल अधिकार से जुड़ी संस्थाओं ने इस फैसले की सराहना करते हुए कहा है कि यदि इस निधि का पारदर्शी और ईमानदार क्रियान्वयन किया गया, तो यह हजारों जिंदगियों में नई आशा जगा सकता है।

 

 

 

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