उत्तराखंड

बार-बार आपदाओं से कराह रहा उत्तराखंड, सपने और आशियाने मलबे में दफन..

बार-बार आपदाओं से कराह रहा उत्तराखंड, सपने और आशियाने मलबे में दफन..

 

 

उत्तराखंड: आपदाओं से जूझता उत्तराखंड एक बार फिर बादलों के कहर से कांप उठा है। पहाड़ों पर बरस रहे गाज-गर्जन ने लोगों के जीवन को अस्त-व्यस्त कर दिया है। शुक्रवार को प्रदेश के कई हिस्सों में बादल फटने की घटनाएं सामने आईं, जिनसे एक बार फिर कई परिवार बेघर हो गए। लगातार हो रही बारिश और आपदा ने आम लोगों का जीवन कठिन बना दिया है। कहीं घर मलबे में दब गए, तो कहीं लोगों की सालों की मेहनत से बने आशियाने पलक झपकते ही मिट्टी में समा गए। कई गांवों में भूस्खलन और अचानक आई बाढ़ ने लोगों को दहशत में डाल दिया है। स्थानीय प्रशासन और आपदा प्रबंधन टीमें राहत-बचाव कार्यों में जुटी हुई हैं, लेकिन खराब मौसम और दुर्गम भौगोलिक परिस्थितियों के कारण काम में दिक्कतें आ रही हैं। सबसे ज्यादा दिक्कत उन ग्रामीण इलाकों में है, जहां तक पहुंचना मुश्किल है।

चमोली जिले के देवाल ब्लॉक में बादल फटने से बड़ा हादसा हो गया। घटना में एक पति-पत्नी लापता हैं, जबकि दो लोग घायल हो गए। चमोली जिले की देवाल तहसील के मोपाटा गांव में बादल फटने से भारी नुकसान हुआ है। घटना में कई घर मलबे में दब गए हैं। जिलाधिकारी संदीप तिवारी ने बताया कि मोपाटा गांव में रहने वाले तारा सिंह और उनकी पत्नी अभी तक लापता हैं। वहीं, विक्रम सिंह और उनकी पत्नी गंभीर रूप से घायल हो गए हैं। बताया जा रहा है कि उनका आवास और गोशाला भी मलबे में दब गई, जिसमें करीब 15 से 20 मवेशी दबकर मर गए।घटना की जानकारी मिलते ही प्रशासन और आपदा प्रबंधन टीम मौके पर पहुंची और राहत-बचाव कार्य शुरू किया। हालांकि लगातार बारिश और दुर्गम भौगोलिक स्थिति के कारण रेस्क्यू ऑपरेशन में दिक्कतें आ रही हैं।मोपाटा गांव के लोग दहशत में हैं और सुरक्षित स्थानों की ओर पलायन कर रहे हैं। स्थानीय प्रशासन ने प्रभावित परिवारों को राहत और अस्थायी आश्रय उपलब्ध कराने के निर्देश दिए हैं।

इसी तरह टिहरी जिले के भिलंगना ब्लॉक के गेंवाली गांव पर भी बादल फटने की घटना हुई। गनीमत रही कि यहां किसी भी तरह की जनहानि नहीं हुई, हालांकि ग्रामीणों को भारी नुकसान का सामना करना पड़ा है। वहीं रुद्रप्रयाग जिले में भी अतिवृष्टि ने तबाही मचाई। जखोली ब्लॉक के छेनागाड़, बांगर सहित कई गांवों में भारी बारिश और बादल फटने से मकान, खेत और स्थानीय संसाधनों को नुकसान पहुंचा है। प्रशासन ने प्रभावित इलाकों का जायजा लेना शुरू कर दिया है और राहत कार्य जारी हैं। लगातार हो रही इन घटनाओं ने एक बार फिर साबित कर दिया है कि उत्तराखंड आपदा की दृष्टि से कितना संवेदनशील है। स्थानीय लोग दहशत में हैं और सुरक्षित स्थानों पर जाने के लिए मजबूर हो रहे हैं।

जिलाधिकारी संदीप तिवारी ने का कहना हैं कि तहसील प्रशासन की टीम मौके के लिए रवाना हो चुकी है और राहत-बचाव कार्य शुरू कर दिया गया है। वहीं, भारी बारिश की गंभीर स्थिति को देखते हुए चमोली जनपद के सभी विकास खंडों में शुक्रवार को अवकाश घोषित कर दिया गया है। बारिश से देवाल क्षेत्र में कई जगह सड़कें टूटकर बंद हो गई हैं, जिससे यातायात पूरी तरह प्रभावित हुआ है। उधर थराली में भी देर रात से बारिश का दौर जारी है, जिससे लोग दहशत में हैं। आदिबद्री और कर्णप्रयाग में भी तेज बारिश से नदी-नाले उफान पर हैं और स्थानीय लोग एहतियात बरत रहे हैं। लगातार हो रही बारिश और आपदा की घटनाओं ने एक बार फिर यह साबित कर दिया है कि उत्तराखंड प्राकृतिक आपदाओं के लिहाज से कितना संवेदनशील है। प्रशासन ने लोगों से अपील की है कि वे नदी-नालों के किनारे न जाएं और सावधानी बरतें।

कर्णप्रयाग क्षेत्र में भी शुक्रवार को कालेश्वर इलाके में ऊपर पहाड़ से आया मलबा लोगों के घरों में घुस गया, जिससे स्थानीय निवासियों में दहशत फैल गई। प्रशासन की ओर से तुरंत राहत-बचाव कार्य शुरू किया गया और जेसीबी मशीनों की मदद से मलबा हटाने का प्रयास किया जा रहा है। इस दौरान पुलिस भी मौके पर मौजूद रही और प्रभावित लोगों को सुरक्षित स्थानों पर ले जाया गया। तेज बारिश के कारण अलकनंदा और पिंडर नदी का जलस्तर भी खतरनाक स्तर तक बढ़ गया है, जिससे निचले इलाकों में अलर्ट जारी कर दिया गया है। वहीं कर्णप्रयाग के सुभाषनगर क्षेत्र में पहाड़ी से बोल्डर और मलबा गिरने से सड़क अवरुद्ध हो गई, जिसके चलते यातायात पूरी तरह बाधित है।

 

 

 

 

Click to comment

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

To Top