जोशीमठ। केंद्र सरकार की महत्वाकांक्षी योजना आल वेदर रोड के ख़िलाफ़ जोशीमठ में भी आक्रोश देखने को मिल रहा है। यहाँ स्थानीय लोग बाईपास निर्माण का विरोध कर रहे हैं।
स्थानीय लोगों का कहना है कि जोशीमठ से 13 किलोमीटर पहले हेलंग से ही बद्रीनाथ धाम के लिए एक हेलंग मारवाड़ी बाईपास का निर्माण होना है, जिसके कारण बद्रीनाथ यात्रा का सफ़र 40 किलोमीटर से घटकर महज़ 5 किलोमीटर हो जायेगा। ऐसे में जोशीमठ पूरी तरह यात्रा मार्ग से कट जाएगा और इसका असर व्यापार पर पड़ेगा। साथ ही श्रद्धालु नृसिंह भगवान के भी दर्शन नहीं कर पाएँगे।
प्रशासन की ओर से जोशीमठ में आयोजित बैठक में लोगों का कहना है की मान्यताओं के अनुसार जोशीमठ के नृसिंह मंदिर के दर्शन के बाद ही बद्रीनाथ यात्रा आगे बढ़ती है। इसलिए जोशीमठ के पास ही बाईपास रोड बनाकर रोड का निर्माण किया जाय। बैठक में उप जिलाधिकारी योगेन्द्र सिंह ने कहा कि यह सिर्फ आल वेदर रोड नहीं है, बल्कि सीमा से जुड़ी हुई सड़क है और जोशीमठ जैसे शहर में रोजाना जाम लगता है और यात्रियों के साथ सेना के जवानों को भी परेशानी का सामना करना पड़ता है। जिस कारण आल वेदर रोड में बाईपास बनना जरुरी है।
बीआरओ के कर्नल एसएस मकर ने कहा कि हेलंग-मारवाड़ी बाईपास सुरक्षा की दृष्टि से बहुत जरुरी है। क्योंकि जोशीमठ से होकर वाहनों के गुजरने से ट्रेफिक जाम की समस्या का सामना करना पड़ता है। खासकर सीजन में सबसे ज्यादा दिक्कत होती है। यह बाईपास बन जायेगा तो सेना को बोर्डर तक सामान पहुँचाने में आसानी होगी। इस दौरान स्थानीय लोगों ने विरोध जताकर हंगामा किया। ब्लॉक प्रमुख प्रकाश रावत ने कहा कि जोशीमठ को छू कर ही बाईपास का निर्माण होना चाहिए। जोशीमठ धार्मिक परम्पराओं और पर्यटन की दृष्टि से बहुत जरुरी है।
वहीं जोशीमठ नगर पालिका अध्यक्ष रोहिणी रावत कहना है कि वह जोशीमठ के नागरिकों के साथ हैं। हम जोशीमठ के पास से बाईपास के लिए जमीन देने के लिए तैयार हैं। हम चाहते हैं कि बाईपास जोशीमठ से ही होकर बनाया जाय। मनोनीत नगरपंचायत अध्यक्ष अरविन्द शर्मा ने कहा कि सबसे पहले बोर्डर की सुरक्षा है, जिसकी सुरक्षा को लेकर यह बाईपास बहुत जरुरी है। बाईपास बनने के बाद 50 किमी की दूरी कम होगी।
