उत्तराखंड

बंजर भूमि में बना डाल बायोडायवर्सिटी गार्डन

– फलदार और औषधीय पौधे बढ़ा रहे यहां की शोभा।

सुमित जोशी।

रामनगर(नैनीताल)। अमूमन देखा जाता है कि पर्यावरण पर होने वाली चर्चा चार दीवारियों तक सिमट कर रह जाती है लेकिन कल्पतरू संस्था ने कोसी नदी के किनारे बंजर भूमि में बायोडायवर्सिटी गार्डन स्थापित कर पर्यावरण के प्रति अपनी संवेदनशीलता को दर्शाया है। जहां विभिन्न प्रजातियों फलदार और औषधीय पौधे लगाए गए हैं। यही कारण है की तीन साल पहले अस्तित्व में आयी कल्पतरु संस्था द्वारा पर्यावरण संरक्षण को लेकर किए गए काम देशभर में अपनी छाप छोड़ने लगे हैं।

गर्जिया मंदिर के पास कोसी नदी के किनारे रामनगर वन प्रभाग की कुछ भूमि बंजर पड़ी थी। जहां आज से दो साल पहले रामनगर वन प्रभाग के सहयोग से कल्पतरू समिति ने हरेला पर्व के दिन पर्यावरण प्रेमी स्व. कुँवर दामोदर राठौर को समर्पित बायोडायवर्सिटी गार्डन को स्थापित किया। इस गार्डन में अलग अलग प्रजातियों के औषधीय और फलदार वृक्षों के पौध रोपित किए गए हैं। संस्था के सदस्यों का कहना है कि कॉर्बेट पार्क की सीमा से लगे होने के कारण वन्यजीव भोजन की तलाश में आबादी में घुस आते हैं तो कई बार एनएच के किनारे भी आ जाते हैं। जिस कारण मानव वन्य जीव संघर्ष की घटनाएं सामने आती हैं। उनका मानना है इस प्रयोग से गार्डन के आसपास के क्षेत्र से भू-कटाव रोका जा सकेगा तो वहीं मानव वन्यजीव संघर्ष को भी रोका जा सकेगा।

कौन थे कुँवर दामोदर राठौर…..
अपने जीवन को पर्यावरण के समर्पित करने वाले उत्तराखंड के पिथौरागढ़ जिले के निवासी स्व. कुँवर दामोदर राठौर को पर्यावरण से एक अलग ही लगाव था। उन्होंने अपने इसी लगाव के कारण अपने जीवन में करीब साढ़े आठ करोड़ पेड़ लगाने का एक करिश्माई काम किया था। साथ ही 25 हेक्टेयर के तीन वनों को भी स्थापित किया था। उनके प्रकृति प्रेम को देखते हुए सन् 2000 में भारत सरकार ने उन्हें इंदिरा गांधी वृक्षमित्र अवार्ड से सम्मानित किया था। राठौर के पर्यावरण के प्रति समर्पण के देखें तो 5 जून 2016 को जब बीमारी के कारण अस्पताल में भर्ती कराया गया तो उस सुबह भी उन्होंने पांच पौधे लगाए थे। लेकिन 9 जून 2016 को वे संसार को अलविदा कह कर चले गए। ऐसी महान विभूति को समर्पित करते हुए कल्पतरु वृक्षमित्र समिति ने कुँवर दामोदर राठौर बायोडायवर्सिटी गार्डन की स्थापना की।

बायोडायवर्सिटी गार्डन में ये पौध है रोपित
पुत्रन्जीवा, विषतेंदु, शतावरी, घिंगारू, अर्जुन, तुलसी, पीपल, बरगद, गुलमोहर, कुम्भी, आंक, आंवला, बेल, अमरूद, रातरानी, बेर, आम, लेमन ग्रास, अनार, जामुन, रूद्राक्ष, पारिजात, हरड़, अश्वगंधा आदि पौधे लगाए गए हैं।

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