उत्तराखंड

चार मामलों में सोया रहा पुलिस प्रशासन, पांचवें में उठा बवाल

रोहित डिमरी
पुलिस का सूचना तंत्र हर मामले में दिखा फिसड्डी
पहले ही होती कार्रवाई, नहीं उठता धुंआ
रुद्रप्रयाग। अगस्त्यमुनि में हुई घटना से केदारघाटी शर्मशार हुई। यहां की शांत वादियों में जो सांप्रदायिक जहर घुला उसकी किसी को भी कल्पना नहीं थी, मगर विगत दिनों हुई कुछ घटनाओं से कुछ संकेत तो मिलने लगे थे कि अगस्त्यमुनि शहर कभी भी दंगों की आग में झुलस सकता है, लेकिन शासन-प्रशासन का सूचना तंत्र इसे सूंघ नहीं पाया। यह शासन-प्रशासन की सबसे बड़ी विफलता है, जिसकी वजह से न केवल कई दुकानों में तोड़ फोड़ हुई, बल्कि कईयों को तो आग के हवाले कर दिया गया। इससे निःसंदेह कई परिवारों पर न केवल गम्भीर आर्थिक संकट भी आ गया होगा, बल्कि इन परिवारों में असुरक्षा की भावना भी घर कर गई होगी।

दरअसल, विगत पांच माह में हुई पांच घटनाओं ने लोगों को आक्रोशित करने का ही काम किया। पहली घटना बनियाड़ी में दूसरे समुदाय के नाई द्वारा एक बालक के साथ अश्लील हरकत का था, जिसमें स्थानीय लोगों ने उसे मारपीट कर पुलिस को सौंपा, मगर पीड़ित पक्ष से कोई भी आगे नहीं आया और आरोपी बरी हो गया। दूसरा मामला एक स्कूल का बताया जा रहा था, जहां पर दूसरे समुदाय के छात्र ने छात्रा से अश्लील हरकत की। यह मामला भी दबा दिया गया। तीसरी घटना में दूसरे समुदाय का एक छात्र लापता हुआ। घरवालों ने पुलिस को इतला किया, बाद में तीसरे दिन छात्र एक छात्रा के कमरे से बरामद हुआ। इस मामले में भी पुलिस कुछ नहीं कर पाई। चैथा मामला तो अभी एक हफ्ता पहले का बताया जा रहा है जब एक छात्रा को एक टेलर की दुकान में काम करने वाले दूसरे समुदाय के कारीगरों ने अपने कमरे में रखा तथा उसे शराब पिलाकर उसके साथ गलत काम किया। आरोपित पकड़े भी गये, मगर इस बार भी पीड़ित पक्ष से कोई सामने नहीं आया और आरोपित बरी हो गये। इन सभी मामलों में समुदाय विशेष के युवकांे की संलिप्तता से स्थानीय लोगों में आक्रोश पनप रहा था, जिसे पुलिस प्रशासन भांप नहीं पाया। यहां तक कि पिछले हफ्ते की घटना के बाद से स्थानीय कुछ युवकों ने बैठक कर इस प्रकार की घटनाओं की पुनरावृत्ति न हो इसके लिए समुदाय विशेष के सभी व्यापारियों को चेतावनी भी दी थी।

इसके बाबजूद भी प्रशासन मूकदर्शक बना रहा। गुरूवार रात की घटना से अंदाजा लग गया था कि इस बार कुछ न कुछ अनहोनी जरूर होगी। इसके बाबजूद भी पुलिस ने सुरक्षा व्यवस्था पुख्ता नहीं की। यहां तक कि शुक्रवार प्रातः जब बाजार बन्द होने लगा और जनता एवं छात्र छात्रायें सड़कों पर निकल आये फिर भी पुलिस प्रशासन नहीं जागा। वहीं सोशल मीडिया पर वायरल हुई एक खबर ने आग में घी का काम किया। सोशल मीडिया में खबर चली कि एक दस वर्षीय लड़की के साथ अगस्त्यमुनि में समुदाय विशेष के लोगों ने गैंगरेप किया गया।ं इससे लोगों में आक्रोश और भी फेल गया और गांवों से भी जनता अगस्त्यमुनि पहंुच गई।ं हजारों की संख्या में अनियंत्रित भीड़ को नियन्त्रित करने के लिए गिनती के ही पुलिस कर्मी थे। जो तोड़फोड़ होने पर मूक दर्शक बने रहे। यहां तक कि जब भारी भीड़ थाने में पहुंची तो पुलिस को थाना बचाना मुश्किल हो गया। यह तो गनीमत रही कि भीड़ सीधे थाने में नहीं घुसी। अन्यथा आज थाना भी जल जाता। यह तो तय है कि आज की घटना ने इस शान्त माहौल में जो जहर घोला है उससे निजात पाने में बड़ा समय लगेगा। दो चार दिन बाद दुकाने भी खुल जायेंगी, लेकिन जो सद्भाव पहले था वह नहीं दिखेगा।

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