डीएम स्वाति एस. भदौरिया ने पौड़ी के आंगनबाड़ी केंद्रों को स्मार्ट आंगनबाड़ी केंद्र बनाने के दिए निर्देश..
उत्तराखंड: जिलाधिकारी स्वाति एस. भदौरिया ने गुरुवार को महिला सशक्तिकरण एवं बाल विकास विभाग द्वारा संचालित केंद्र और राज्य पोषित योजनाओं की समीक्षा बैठक की। इस दौरान उन्होंने सभी आंगनबाड़ी केंद्रों को स्मार्ट बनाने के निर्देश दिए और कहा कि कोई भी केंद्र बंद नहीं रहना चाहिए। डीएम ने बाल विकास परियोजना अधिकारियों को निर्देशित किया कि आंगनबाड़ी केंद्रों में बच्चों के लिए गोल मेज, छोटी कुर्सियां, शिक्षण सामग्री और पोषण वाटिका जैसी मूलभूत सुविधाएं अनिवार्य रूप से उपलब्ध होनी चाहिए। इसके साथ ही रसोई गैस की सुचारु आपूर्ति सुनिश्चित करने के लिए उन्होंने जिला कार्यक्रम अधिकारी को जिला पूर्ति अधिकारी से समन्वय करने के निर्देश दिए।
जिलाधिकारी स्वाति एस. भदौरिया ने गुरुवार को महिला सशक्तिकरण एवं बाल विकास विभाग की योजनाओं की समीक्षा के दौरान आंगनबाड़ी केंद्रों को आधुनिक और बच्चों के अनुकूल बनाने के सख्त निर्देश दिए। उन्होंने कहा कि जिन केंद्रों में बिजली की सुविधा नहीं है, वहां सौर ऊर्जा का प्रयोग किया जाए।डीएम ने सभी अधिकारियों को निर्देश दिए कि दीवारों पर बच्चों की शिक्षा और मनोरंजन से जुड़ी आकर्षक पेंटिंग कराई जाए, जिससे केंद्रों का माहौल बाल-मनोविज्ञान के अनुकूल बने। इसके साथ ही नए आंगनबाड़ी भवनों के लिए 3-डी डिज़ाइन तैयार करने के भी निर्देश दिए गए, जिससे भविष्य में बनने वाले केंद्रों को और अधिक आधुनिक, सुरक्षित और सुविधाजनक बनाया जा सके। यह कदम जिले में बाल विकास सेवाओं को मजबूत करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण पहल मानी जा रही है।
जिलाधिकारी ने महिला सशक्तिकरण एवं बाल विकास विभाग की समीक्षा बैठक के दौरान स्पष्ट निर्देश दिए कि आंगनबाड़ी भवनों की मरम्मत केवल बाहरी सौंदर्यीकरण तक सीमित न रहे, बल्कि उसमें शौचालय, पीने का पानी, रसोई तथा बच्चों की गतिविधियों के लिए उपयुक्त स्थान जैसी आवश्यक सुविधाओं को भी अनिवार्य रूप से शामिल किया जाए। डीएम ने कहा कि फिलहाल जिले में 237 आंगनबाड़ी भवनों का निर्माण कार्य प्रगति पर है, जिसे शीघ्र पूरा करने के लिए संबंधित अधिकारियों को निर्देशित किया गया है।
उन्होंने यह भी कहा कि केंद्रों को केवल भवन के रूप में न देखा जाए, बल्कि उन्हें बच्चों के समग्र विकास, पोषण और शिक्षा का केंद्र बनाया जाए। प्रथम चरण में 60 आंगनबाड़ी केंद्रों को उत्कृष्ट सुविधाओं से लैस किया जाएगा। इन केंद्रों में शैक्षिक सामग्री, पोषण व्यवस्था, खेलकूद की सुविधाएं और बाल-मनोविज्ञान पर आधारित माहौल उपलब्ध कराया जाएगा। डीएम ने यह भी कहा कि भविष्य में इस मॉडल को अन्य आंगनबाड़ी केंद्रों तक विस्तारित किया जाएगा, जिससे समूचे जिले में बच्चों को समान और गुणवत्तापूर्ण विकास का अवसर मिल सके। उन्होंने निर्देश दिया कि हर केंद्र में महीने में एक दिन ‘प्रतिभा दिवस’ मनाया जाए, ताकि बच्चों की छिपी प्रतिभाएं सामने आएं और उनका आत्मविश्वास मजबूत हो। यह आयोजन बाल सहभागिता और अभिव्यक्ति को बढ़ावा देने के उद्देश्य से किया जाएगा।
