उत्तराखंड

भालू के हमले में बुजुर्ग महिला गंभीर रूप से घायल, वन विभाग की लापरवाही पर भड़के ग्रामीण..

भालू के हमले में बुजुर्ग महिला गंभीर रूप से घायल, वन विभाग की लापरवाही पर भड़के ग्रामीण…

 

उत्तराखंड: उत्तरकाशी जनपद में इन दिनों गुलदार और भालू का आतंक लगातार बढ़ता जा रहा है। आबादी वाले क्षेत्रों में वन्यजीवों की बढ़ती आवाजाही से ग्रामीण भयभीत हैं। खासतौर पर भालुओं के हमलों की घटनाएं लगातार सामने आ रही हैं, जिससे ग्रामीणों में दहशत का माहौल है। ताज़ा मामला अस्सी गंगा घाटी के सेकू गांव का है, जहां मंगलवार शाम खेतों में काम कर रही एक बुजुर्ग महिला पर भालू ने अचानक हमला कर दिया। हमला इतना तेज़ था कि महिला गंभीर रूप से घायल हो गई। आसपास मौजूद ग्रामीणों ने हिम्मत दिखाते हुए शोर मचाया और पत्थर फेंककर किसी तरह भालू को वहां से भगाया।

घटना के बाद ग्रामीणों ने घायल महिला को निजी वाहन से जिला अस्पताल उत्तरकाशी पहुंचाया, जहां चिकित्सकों ने उसकी गंभीर स्थिति को देखते हुए हायर सेंटर रेफर कर दिया। डॉक्टरों के अनुसार, महिला के शरीर पर गहरे जख्म हैं, जिससे स्पष्ट है कि भालू का हमला बेहद घातक था। सूचना पर वन विभाग की टीम भी अस्पताल पहुंची, लेकिन स्थानीय लोगों ने विभाग की लापरवाही पर नाराजगी जताई। ग्रामीणों का आरोप है कि वन विभाग के उच्च अधिकारी फोन तक नहीं उठा रहे थे, जिससे मौके पर मदद मिलने में देरी हुई। ग्रामीणों का कहना है कि पिछले कई दिनों से इलाके में भालुओं और गुलदारों की सक्रियता बढ़ी हुई है, लेकिन विभाग की ओर से कोई ठोस कदम नहीं उठाया जा रहा। लोगों ने मांग की है कि प्रभावित क्षेत्रों में गश्त बढ़ाई जाए और भालुओं की मूवमेंट को नियंत्रित करने के लिए तत्काल कदम उठाए जाएं। ग्रामीणों का यह भी कहना है कि यदि जल्द वन्यजीवों के बढ़ते खतरे पर नियंत्रण नहीं किया गया तो वे सामूहिक आंदोलन करने को बाध्य होंगे।

लगातार बढ़ते वन्यजीव हमलों से ग्रामीणों में भय और आक्रोश दोनों का माहौल है। बता दे कि सेकू गांव निवासी प्यारदेई (70) मंगलवार शाम अपने खेतों में काम कर रही थीं। इसी दौरान झाड़ियों से अचानक एक भालू निकल आया और उन पर हमला कर दिया। हमले में प्यारदेई के चेहरे पर गहरे और गंभीर जख्म आए। उनकी आंख के नीचे का पूरा चेहरा बुरी तरह क्षतिग्रस्त हो गया। हमले के दौरान आसपास मौजूद ग्रामीणों ने शोर मचाकर और पत्थर फेंककर किसी तरह भालू को वहां से भगाया और घायल महिला को उसके चंगुल से छुड़वाया। इसके बाद ग्रामीणों ने आनन-फानन में महिला को निजी वाहन से जिला अस्पताल उत्तरकाशी पहुंचाया।

मुख्य चिकित्सा अधीक्षक (सीएमएस) डॉ. पी.एस. पोखरियाल ने कहा कि घायल महिला के चेहरे पर अत्यधिक चोटें हैं और उनका काफी खून बह चुका था। उन्होंने कहा कि घायल महिला की स्थिति गंभीर थी, इसलिए उन्हें खून चढ़ाने के बाद एंबुलेंस से हायर सेंटर रेफर किया गया। घटना के बाद ग्रामीणों में भारी आक्रोश है। उनका कहना है कि पिछले कुछ समय से सेकू और आसपास के गांवों में भालू और गुलदार लगातार दिखाई दे रहे हैं, लेकिन वन विभाग की ओर से कोई ठोस कदम नहीं उठाए गए। स्थानीय लोगों ने मांग की है कि प्रशासन और वन विभाग तत्काल प्रभावित क्षेत्रों में निगरानी और गश्त बढ़ाए, ताकि ऐसी घटनाओं की पुनरावृत्ति रोकी जा सके।

स्थानीय निवासियों ने घटना के तुरंत बाद वन विभाग के उच्च अधिकारियों से फोन पर संपर्क करने की कोशिश की, लेकिन किसी अधिकारी ने फोन नहीं उठाया। ग्रामीणों का आरोप है कि यह पहली बार नहीं है, पहले भी कई बार जब अफसरों को सूचना दी गई, तब भी उन्होंने फोन उठाने की ज़रूरत नहीं समझी। ग्रामीणों ने कहा कि भालू के बढ़ते हमलों से पहाड़ी क्षेत्रों में भय का माहौल बना हुआ है। लोगों का कहना है कि बच्चे और महिलाएं अब खेतों में अकेले जाने से डरने लगे हैं। इसके बावजूद विभाग की ओर से न तो ट्रैकिंग की कोई प्रभावी व्यवस्था की गई है और न ही प्रभावित क्षेत्रों में नियमित गश्त बढ़ाई गई है।

इस बीच रेंज अधिकारी मुकेश रतूड़ी ने जानकारी देते हुए कहा कि विभाग ने घटना की जानकारी मिलते ही कर्मचारियों को अस्पताल भेजा, जहां घायल महिला का इलाज चल रहा है। उन्होंने कहा, “विभाग लगातार प्रभावित क्षेत्रों में गश्त कर रहा है और ग्रामीणों को सतर्क रहने के निर्देश दिए गए हैं। फिलहाल ग्रामीणों ने चेतावनी दी है कि यदि जल्द वन्यजीवों के बढ़ते आतंक पर नियंत्रण नहीं हुआ, तो वे सामूहिक रूप से आंदोलन करने को बाध्य होंगे।

 

 

 

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