वैश्विक टूरिज्म मैप पर चमका उत्तराखंड, हर साल बढ़ रहा सैलानियों का सैलाब..
उत्तराखंड: राज्य गठन के 25 वर्ष पूरे होने पर उत्तराखंड अब वैश्विक पर्यटन मानचित्र पर एक नए डेस्टिनेशन के रूप में उभरकर सामने आया है। कभी चारधाम और नैनीताल-मसूरी जैसे सीमित स्थलों तक सिमटा यह राज्य अब देश-विदेश के पर्यटकों के लिए रोमांच, अध्यात्म, संस्कृति और प्रकृति का संपूर्ण संगम बन चुका है। राज्य का पर्यटन उद्योग अब केवल तीर्थाटन तक सीमित नहीं रहा है, बल्कि एडवेंचर, वेलनेस, इको, होमस्टे और फिल्म पर्यटन जैसी नई पहलों से यह क्षेत्र तेजी से आगे बढ़ रहा है। स्कीइंग, ट्रेकिंग, पैराग्लाइडिंग, रिवर राफ्टिंग और बाइकिंग जैसे साहसिक खेलों ने उत्तराखंड को युवाओं का पसंदीदा डेस्टिनेशन बना दिया है। राज्य गठन के शुरुआती वर्षों में जहां चारधाम यात्रा और कुछ पर्वतीय शहरों तक ही पर्यटक पहुंचते थे, वहीं आज उत्तरकाशी, चमोली, पिथौरागढ़, टिहरी और चंपावत जैसे जिलों में भी पर्यटन का दायरा लगातार बढ़ रहा है।
उत्तराखंड आने वाले पर्यटकों की संख्या हर साल नया रिकॉर्ड बना रही है जो राज्य की अर्थव्यवस्था की रीढ़ बन चुकी है। राज्य सरकार की नई पहलें और बुनियादी ढांचे का विस्तार उत्तराखंड के पर्यटन विकास में मील का पत्थर साबित हुए हैं। ऑल वेदर रोड परियोजना, हेली सेवा, चारधाम यात्रा मार्गों का आधुनिकीकरण, ट्रेकिंग ट्रेल्स का विकास और डिजिटल टूरिज्म प्रमोशन से यात्रा अब पहले से कहीं अधिक सुगम और सुरक्षित हो गई है। राज्य सरकार का फोकस अब “तीर्थाटन से पर्यटन” की दिशा में बदलाव पर है। धार्मिक पर्यटन के साथ अब फिल्म सिटी, योगा-वेलनेस, इको और होमस्टे टूरिज्म को भी प्राथमिकता दी जा रही है।
अवस्थापना सुविधाओं के लगातार विकास, सड़क और हेली सेवाओं के विस्तार तथा साहसिक पर्यटन की बढ़ती लोकप्रियता ने उत्तराखंड को देश के सबसे तेजी से उभरते टूरिज्म डेस्टिनेशन में शामिल कर दिया है। पिछले तीन वर्षों में 23 करोड़ से अधिक पर्यटक उत्तराखंड पहुंचे हैं, जो अपने आप में एक रिकॉर्ड है। इन पर्यटकों ने न केवल राज्य की प्राकृतिक सुंदरता का आनंद लिया, बल्कि यहां की संस्कृति, भोजन, योग और आध्यात्मिकता से भी गहरा जुड़ाव महसूस किया। अब पर्यटक सिर्फ मसूरी, नैनीताल या चारधाम यात्रा तक सीमित नहीं हैं। रानीखेत, चंपावत, टिहरी, औली, मुनस्यारी, चकराता, कौसानी, भीमताल जैसे छोटे और शांत स्थलों में भी सैलानियों की संख्या में अभूतपूर्व बढ़ोतरी हुई है। इससे गांवों और दूरस्थ क्षेत्रों में भी आर्थिक गतिविधियों को नई दिशा मिली है।
उत्तराखंड अब सिर्फ धार्मिक या पारंपरिक पर्यटन तक सीमित नहीं रहा। रिवर राफ्टिंग, ट्रेकिंग, बंजी जम्पिंग, पैराग्लाइडिंग, माउंटेन बाइकिंग जैसी एडवेंचर गतिविधियों ने युवाओं को आकर्षित किया है। वहीं, योग, ध्यान और “वर्क फ्रॉम माउंटेन” जैसी पहलें राज्य को देश-दुनिया के पेशेवरों और विदेशी सैलानियों के बीच भी खास बना रही हैं। चारधाम ऑल वेदर रोड, हेलीकॉप्टर सेवाएं, बेहतर कनेक्टिविटी, स्वच्छ और सुरक्षित ठहराव स्थलों ने यात्रियों के अनुभव को और सुविधाजनक बनाया है। पर्यटन विभाग के अनुसार, राज्य की जीडीपी में पर्यटन क्षेत्र का योगदान लगातार बढ़ रहा है, जो इसे उत्तराखंड की अर्थव्यवस्था की रीढ़ बना रहा है।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के ड्रीम प्रोजेक्ट के तहत हुए पुनर्निर्माण कार्यों ने केदारनाथ धाम को एक नया आयाम दिया है। आज केदारपुरी न केवल आस्था का केंद्र है, बल्कि आधुनिक सुविधाओं और प्राचीन आध्यात्मिकता का अद्भुत संगम बन चुकी है। वर्ष 2013 की 16-17 जून की विनाशकारी आपदा में जब केदारपुरी पूरी तरह तबाह हो गई थी, तब किसी ने नहीं सोचा था कि यह धाम फिर इतनी भव्यता से खड़ा होगा। लेकिन प्रधानमंत्री मोदी ने 2017 में केदारधाम के पुनर्निर्माण का बीड़ा उठाया और इसे अपने व्यक्तिगत संकल्प के रूप में आगे बढ़ाया। प्रधानमंत्री के विज़न के तहत शुरू किए गए प्रोजेक्ट के पहले चरण में लगभग ₹225 करोड़ की लागत से प्रमुख कार्य पूरे किए गए हैं। मंदिर परिसर, श्रद्धालुओं के लिए आवासीय सुविधाएं, आपदा प्रबंधन केंद्र, घाट और मंदिर मार्गों का कायाकल्प किया गया है।
अब दूसरे चरण के कार्य तेजी से प्रगति पर हैं, जिसमें स्मार्ट सुविधाओं, रिट्रीट सेंटर, संग्रहालय, ध्यान केंद्र और सुरक्षा व्यवस्था का विस्तार शामिल है। इसके परिणामस्वरूप केदारनाथ यात्रा हर साल नए रिकॉर्ड बना रही है। तीर्थयात्रियों की संख्या लगातार बढ़ रही है, जिससे स्थानीय लोगों की आजीविका और राज्य की अर्थव्यवस्था को भी मजबूत आधार मिला है। केदारनाथ की तरह बद्रीनाथ धाम का कायाकल्प भी प्रधानमंत्री के विज़न का अहम हिस्सा है। बद्रीनाथ मास्टर प्लान के तहत धाम को एक आध्यात्मिक पर्वतीय शहर के रूप में विकसित किया जा रहा है। परियोजना का लक्ष्य यहां श्रद्धालुओं को आधुनिक सुविधाओं के साथ आध्यात्मिक शांति और हिमालयी संस्कृति का अनुभव कराना है।
पर्यटक स्थलों पर बढ़ रहा दबाव, नए डेस्टीनेशन बनाने की योजना..
राज्य में दूरस्थ क्षेत्रों से तक सड़क, हवाई कनेक्टिविटी बढ़ने से पर्यटक स्थलों पर दबाव बढ़ रहा है। इसके लिए सरकार धारण क्षमता का आकलन कर रही है। साथ ही नए पर्यटन स्थलों को विकसित करने की योजना है। टिहरी झील को अंतरराष्ट्रीय पर्यटन गंतव्य के रूप में विकसित करने के लिए 1200 करोड़ की योजना को मंजूरी मिली है। पयर्टन उत्तराखंड की आर्थिकी का आधार है। पर्यटन व तीर्थाटन का लाभ सीधे तौर पर स्थानीय लोगों को मिलता है। इसलिए सरकार वर्षभर पर्यटन गतिविधियों को जारी रखने का प्रयास कर रही है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के दौरों से उत्तराखंड में तीर्थाटन-पर्यटन को बल मिला है।